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मोतीहारी:-सेव द चिल्ड्रन के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन - श्रीनारद मीडिया

मोतीहारी:-सेव द चिल्ड्रन के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

सेव द चिल्ड्रन के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

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श्रीनारद मीडिया / प्रतीक कु. सिंह / मोतीहारी , पूर्वी चम्पारण

मोतीहारी/ सेव द चिल्ड्रन के द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी बाल श्रम, बाल व्यापार एवं बाल विवाह पर आयोजित की गई। जिसमें जिला स्तर के प्रमुख घटक सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई, श्रम अधीक्षक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जिला (आईसीडीएस), जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आईसीडीएस, कमांडेंट होमगार्ड, डीएसपी क्राइम ब्रांच, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ने सामूहिक तौर पर दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सेव द चिल्ड्रन के प्रोग्राम मैनेजर पीयूष कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि इस संगोष्ठी का मूल उद्देश्य जिला स्तरीय घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना और बाल संरक्षण बाल सुरक्षा के संदर्भ में जो कानून एवं अधिनियम बने हैं उसका सही ढंग से अनुपालन कराना, क्रियान्वयन कराना है। उन्होंने कहा कि बाल एवं किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) 1986 अधिनियम का सही रूप से क्रियान्वयन हो ताकि बच्चे जो बालश्रम से मुक्त हुए हैं या वैसे बच्चे जो बाल श्रम के खतरे में हैं उनका पुनर्वास सही ढंग से कराया जा सके। उन्होंने कहा कि बिहार में कुक आबादी का 46% बच्चे हैं इसमें बाल संरक्षण से जुड़े संस्थाओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों से संबंधित जो योजनाएं बने हैं उसका सीधा लाभ बच्चे और उसके परिवार को मिले इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर की बहुत बड़ी जिम्मेवारी है, तभी हम बाल विवाह बाल श्रम को हम रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाल श्रम और बाल विवाह रोकने में शिक्षा विभाग की अहम जवाबदेही है। विद्यालय में अगर रुचिकर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था हो तो ड्रॉपआउट की समस्या दूर हो सकती है। आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि हम सबको मिलकर स्कूलों को आकर्षक सुसज्जित और बच्चों के लिए प्रेरणादायक बनाने हेतु मिलकर पहल करने की आवश्यकता है ताकि बच्चे स्कूल में आकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद और विभिन्न तरह के रचनात्मक कार्यों में भाग ले सके। जिससे उनका ठहराव स्कूलों में सुनिश्चित हो सके। इस कार्यशाला में श्रम अधीक्षक राकेश रंजन ने कहा कि जिला में बच्चों से काम कराने वालों लोगों के अंदर भय पैदा करने में हमें कामयाबी मिली है। धावा दल के द्वारा लगातार छापामारी की जाती है। उन्होंने जो बच्चे बाल श्रम से मुक्त किए गए हैं उनका पुनर्वास भी कर रहे हैं। संगोष्ठी को संबोधित करते सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई धीरज कुमार ने कहा कि हम सभी लोग काम कर रहे हैं क्या समाज बदलाव दिख रहा है स्वम मूल्यांकन करें। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर कम से कम एक विद्यालय को सभी अधिकारी और संस्थाए गॉड लेकर मॉडल विद्यालय बनाए तभी हम बच्चों के विद्यालय में ठहराव सुनिश्चित करा सकते हैं। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कमांडेंट होमगार्ड अशोक कुमार ने कहा कि बाल श्रम और बाल विवाह को रोकने में शिक्षा विभाग से लोगों को ज़्यादह उम्मीद है। शिक्षण व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। डी एस पी क्राइम ब्रांच फखरे आलम ने कहा कि गार्जियन और शिक्षक के बीच परस्परिक तालमेल की जरूरत है। इस संगोष्ठी में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जुली कुमारी , जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी राकेश कुमार,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुगौली विजय कुमार यादव,

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