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अपना पुरखा पुरनिया लोग के शत शत नमन बा!

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मॉरिसस में भोजपुरिया के पहिला डेग,आजुवे के दिने पहुंचल रहे पहिला भोजपुरिया ( गिरमिटीया )

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

189 साल पहिले आजुये के दिना 2 नवम्बर ,1834 के भोजपुरी के पुरखा पुरनिया जे अपना देश से मॉरीशस गइले आ गिरमिटिया कहइले।अपना साथे भोजपुरी के सभ्यता,संस्कृति आ परम्परा के भी साथे लेके गइले।जवन आज उहवा देखे के मिलेला। एही दिवस के (2 नवंबर के) मॉरीशस में पब्लिक हॉलीडे यानि कि एक दिवसीय छुट्टी घोषित कईल गइल बा।

आज से 189 बरिस पहिले 2 नवंबर,1834 के एग्रीमेंट के तहत गिरमिटिया मजदूर के रूप में भारतीय नौजवान मारीशस के टापू पर पैर रखले आ अपना मेहनत आ लगन से ओह धरती के स्वर्ग बना दिहले।आज भी उ भारत के आपन मातृभूमि आ भोजपुरी के आपन मातृभाषा मानेले। मॉरीशस में भारतीय संस्कृति आजो जीवंत बा ,उहाँ के लोगन में जाति आ संप्रदाय के जहर नइखे घुलल।विचारणीय बा कि अपेक्षाकृत कम शिक्षित उ पूर्वज लोगन द्वारा जाति आ संप्रदाय के भुला के राष्ट्रीय चेतना आ विकास के भाव संस्कार रूप में अपना संततियन में भरे में सफलता पवले। अइसन हमनी के काहे नइखी जा कर पावत?

आजुवे के दिने ( 2 नवम्बर 1834 ) मॉरिसस मे भारत से भोजपुरिया लोगन के पहिला खेप एटलस जहाज से पहुंचल रहे । एग्रीमेंट के हिसाब से मजदूर लोग मॉरिसस पहुंचल रहे जे बाद मे ” गिरमिटिया ” के नाव से जानल जाला । 5 साल के कांट्रेक्ट ओह लोगन से भईल जे कलकत्ता मे ओह घरी नोकरी करत रहे , आ ब्रिटेन के ट्रेडिंग कम्पनी ” हंटर-आर्बुथ्नाट एंड कम्पनी ” संगे ई कांट्रेक्ट जवना के एग्रिमेंट कहल गईल बनल रहे ।

पहिला खेप मे उ लोग रहे जे बिहार आ पुर्वांचल से कलकत्ता मे नोकरी करत रहे आ ओह लो के बहुत कुछ देबे के वादा कई के ई एग्रिमेंट भईल रहे । ब्रिटेन के ई कम्पनी ओह घरी कलकत्ता आ मॉरिसस दुनो जगहा रहे आ ओकरा बिहार पुर्वांचल के लोग मजदूरी खाति नीमन बुझाईल ।

36 लोगन के पहिला टीम जवना के मेठ ” स्वरुप ” रहले आ उनुका संगे रहले सबराम । एह लो के संगे जाये वाला अउरी लोगन मे कुछ नाव रहे कैलाशचंद , दूखन , भुमराह , बुद्धू , बिगना , चम्पा , लुगन , बुद्धराम । कांट्रेक्ट बंगाली भाषा मे लिखल रहे जवना मे महीना के तनखाह मे मरदाना खाति 5 रुपया आ मेहरारुन खाति 4 रुपया रहे । मेठ के तनखाह 10 रुपया महीना आ मेठ के संगे जे रहे ओकर 8रुपया महीना तनखाह रहे ।ई यात्रा कलकत्ता पोर्ट से पोर्ट लुईस ( अप्रवासी घाट ) ले रहे ।

1834 से 1910 के बीचे 451796 लोग मॉरिसस गईल रहे जवना मे 346036 लोग मरदाना आ 105760 लोग मेहरारु रहे । तकरीबन 294257 लोग मारिसस मे रुकि गईल , जबकि 157539 लोग वापस भारत लवट आईल आ एहि मे से कुछ लोग दक्षिण अफ्रीका , ब्रिटिश गुयाना , त्रिनिदाद आ फिजी चल गईल ।

मॉरिसस मे पहुंचल इहे लोग आजुओ अपना भाषा अपना संस्कार के बना के रखले बा , आजूओ एह देस मे भोजपुरी के फेंड़ प हिन्दी के फर लागल बा । मॉरिसस में 2 नवम्बर के Arrival of Indentured Labourers Day कहल जाला आ आज के दिने ओजुगा स्कूल कॉलेज दफ्तर आदि जगहन प छुट्टी रहेला ।

बेरि बेरि नमन मेहनतकश समाज के ….

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