संघर्ष के प्रति सकारात्मक अनुराग ही हो सकती है नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक

संघर्ष के प्रति सकारात्मक अनुराग ही हो सकती है नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक

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अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर सोमवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर विशेष परिचर्चा का हुआ आयोजन

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

संघर्ष ही जिंदगी की सबसे अनमोल दास्तां होती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पूरी जिंदगी संघर्ष की कहानी रही। आईसीएस की कठिन परीक्षा को पास करना, कांग्रेस पार्टी में तमाम मतभेदों के बावजूद अपने वसूलों पर कायम रहना, आजाद हिंद फौज के माध्यम से जंगे आजादी में शिरकत, सभी कुछ बस संघर्ष की कहानियां रही। स्वयं नेताजी स्वीकार करते थे कि संघर्ष ही तो हमारे अंदर आत्मविश्वास की ऊर्जा सृजित करती है।

जबकि आज के डिजिटल क्रांति के युवा संघर्ष से दूर रहना चाहते हैं। सब कुछ फटाफट पा लेना चाहते हैं। संघर्ष के पल ही तो जिंदगी की खूबसूरत कहानी को लिखते हैं। इसलिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तो सिर्फ संघर्ष के प्रति सकारात्मक अनुराग ही हो सकती है।

ये बातें अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शिक्षाविद् गणेश दत्त पाठक ने कही। इस अवसर पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन भी किया गया। जिसमें अनुज पांडेय, रागिनी कुमारी, श्वेता सिंह, सुमन दास, मोहम्मद शमी, शीतल सिन्हा आदि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी भी शामिल रहे।

परिचर्चा में भाग लेते हुए श्री पाठक ने कहा कि नेता जी ने आजाद हिंद फौज के माध्यम से जरूर जंगे आजादी में शिरकत किया लेकिन वे लोकतंत्र के भी प्रबल अनुरागी थे। वे भारतीय लोकतंत्र को पश्चिम का अनुकरण नहीं मानते थे अपितु उनका मानना था कि भारतीय समाज लोकतांत्रिक भाव रखता है और हमारे यहां प्राचीन काल से लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान रही हैं।

परिचर्चा में दिव्या कुमारी ने कहा कि नेता जी कहा करते थे कि एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक प्रशिक्षण दोनों की दरकार होती है। अभ्यर्थी मोहम्मद शमी ने कहा कि नेता जी कहा करते थे कि सदैव अपनी ताकत पर भरोसा करो। उधार की ताकत आपको बलशाली नहीं बना सकती। जिसे आज आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के संदर्भ में बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। रागिनी कुमारी ने कहा कि नेता जी इस बात के प्रबल पक्षधर थे कि अन्याय सहना सबसे बड़ा अपराध है। परिचर्चा में शीतल सिन्हा ने कहा कि नेता जी सुभाषचंद्र बोस के विचार आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है। आज जबकि युवा उपभोक्तावाद के दौर में अपने रास्ते से भटक रहा है तो बहुत जरूरी है कि नेता जी के विचार के बारे में चर्चा हो ताकि युवाओं में राष्ट्र के प्रति स्नेह जागृत हो सके।

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