जीरादेई के विकास के रोड मैप पर मंथन ही जीरादेई महोत्सव को सार्थकता प्रदान कर सकती है

जीरादेई के विकास के रोड मैप पर मंथन ही जीरादेई महोत्सव को सार्थकता प्रदान कर सकती है

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जीरादेई में विकास की है प्रचुर संभावनाएं आवश्यकता समन्वित प्रयासों की

श्रीनारद मीडिया :

✍️ गणेश दत्त पाठक :


आगामी 11 दिसंबर,2023 को सिवान जिला प्रशासन जीरादेई महोत्सव मनाने जा रहा है। जो निश्चित तौर पर सराहनीय और प्रशंसनीय पहल है। जीरादेई के विकास के रोडमैप पर सार्थक मंथन ही इस जीरादेई महोत्सव को सार्थकता प्रदान कर सकता है। जीरादेई क्षेत्र में विकास की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद है। बस आवश्यकता समन्वित और सार्थक प्रयासों की है। प्रशासन, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन, सांस्कृतिक आयोजन, शिक्षाविद्, व्यापारी वर्ग और विदेशों में रहनेवाले जीरादेई के लोग मिलकर समन्वित प्रयास करें तो जीरादेई विकास के उस पायदान पर पहुंच सकता है, जो क्षेत्र के लिए उपयुक्त और यथोचित है।

राजेंद्र बाबू ही जीरादेई के पहचान

जीरादेई की पहचान का सबसे बड़ा तथ्य देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली का होना है। यहीं इस क्षेत्र के आकर्षण का बड़ा आधार और प्रचुर संभावनाओं की बुनियाद भी है। देशरत्न की जन्मस्थली जीरादेई में व्यवस्थाएं अगर बेहतर सृजित हो जाए तो प्रतिदिन यहां पर भारी संख्या में पर्यटक आ सकते हैं। कुछ प्रयास हुए अवश्य हैं लेकिन जैसा जीरादेई का आकर्षण है, वैसा प्रयास अभी नहीं हुआ है। शिक्षाविद् श्री पुष्पेंद्र पाठक बताते हैं कि राजेंद्र बाबू का संपूर्ण व्यक्तित्व प्रेरणा का असीम स्रोत है। आज की युवा पीढ़ी और बच्चों को राजेंद्र बाबू के व्यक्तित्व के हर आयाम से परिचित कराने के हरसंभव जतन करने चाहिए। जीरादेई में कुछ तस्वीरें लगी हैं वहां लाइट एंड साउंड प्रोग्राम और राजेंद्र साहित्य से संबंधी सुविधाओं को सृजित करना चाहिए। इससे पर्यटन के संदर्भ में क्षेत्र का आकर्षण बढ़ेगा। गांधी जी की जन्मस्थली पोरबंदर और पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्मस्थली प्रयागराज की तरह व्यवस्थाओं को सृजित करने में अभी लंबा सफर तय करना होगा
राजेंद्र बाबू की जन्मस्थली पर पर्यटन के लिहाज से बुनियादी ढांचा अभी बेहद कमजोर स्थिति में है। प्रकाश, सड़क की व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा। राम जानकी पथ और सिवान से गुजरानेवाले हाईवे भविष्य की बड़ी संभावनाओं की ओर संकेत करते दिख रहे हैं। जीरादेई के बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में उभरने के लिए एक सुव्यवस्थित और सुनियोजित रोड मैप के विकास पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

तितिर स्तूप भी महत्वपूर्ण

जीरादेई के समीप में स्थित तितिरा बंगरा में बौद्धकालीन पुरातात्विक साक्ष्य मिल चुके हैं। कई साहित्यिक साक्ष्य तितिरा के ही वास्तविक कुशीनगर होने की तरफ संकेत करते दिख रहे हैं जिसकी पुरातात्विक पुष्टि होना जरूरी है। तितिरा बंगरा क्षेत्र अगर पुरातात्विक क्षेत्र घोषित हो जाता है तो यह क्षेत्र भी राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर आ जाएगा।देशरत्न की जन्मस्थली जीरादेई और बौद्धकालीन तितिर स्तूप प्रक्षेत्र एक बहुत बड़ी पर्यटन के विकास की संभावना की तरफ संकेत कर रहे हैं। तितिर स्तूप विकास मिशन के अध्यक्ष कृष्णकुमार सिंह बताते हैं कि तितिर स्तूप पर देशी विदेशी सैलानी आते रहते हैं। स्तूप के आस पास का आध्यात्मिक सुकून उन्हें आनंदित करता रहता है। तितिर स्तूप विकास मिशन के सचिव युवा चित्रकार रजनीश मौर्य भी बताते हैं कि क्षेत्र में बुनियादी पर्यटन सुविधाओं का विकास भारी संख्या में देशी विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर सकता है।

स्थानीय प्रतिभाओं के प्रोत्साहन की है दरकार

जीरादेई मेधा की धरती रही है। संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की मेधा शक्ति एक इतिहास रही है। क्षेत्र की कई स्थानीय प्रतिभाओं ने समय समय पर अपनी उपलब्धियों से क्षेत्र को गौरान्वित किया है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह, आईएएस कौशल किशोर, आईएएस अभिषेक प्रकाश, आईपीएस हरिकिशोर राय, मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर अतुल सहाय आदि ने अपनी उपलब्धियों से बेशुमार प्रतिष्ठा अर्जित की है। आज भी क्षेत्र की प्रतिभाएं प्रतियोगिता परीक्षाओं और अन्य मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर जीरादेई को गौरांवित कर रही है। आवश्यकता क्षेत्र की मेधाशक्ति के समुचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की है। जीरादेई महोत्सव जैसे आयोजन में क्षेत्र की मेधाशक्ति का सम्मान निश्चित तौर पर प्रेरणा की बयार बहा ले जायेगा।

फूड प्रोसेसिंग में प्रचुर अवसर

जीरादेई क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उर्वर मृदा उपलब्ध है। अनाजों की खेती बृहद स्तर पर होती रही है। कई क्षेत्रों में सब्जियों की अच्छी खेती होती रही है। यदि छोटे छोटे ही सही फूड प्रोसेसिंग संयंत्र स्थापित हो सकें तो जहां किसानों की आमदनी बढ़ेगी वहीं रोजगार भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकेंगे। क्षेत्र में बांस का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है। बांस पर आधारित फर्नीचर उद्योग का विकास भी क्षेत्र में समृद्धि की बयार बहा सकता है। राष्ट्र सृजन अभियान के महासचिव, समाजसेवी श्री ललितेश्वर कुमार बताते हैं कि जीरा देई में कृषि के विविधिकरण की प्रचुर संभावनाएं मौजूद है, मत्स्ययन, मुर्गीपालन, फूड प्रोसेसिंग, फूलों की खेती किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर बना सकती है।

विदेशी मुद्रा के सार्थक चैनलाइजेशन की दरकार

जीरादेई क्षेत्र के बहुत सारे लोग अरब देशों में कार्यरत हैं जो भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी भेजते हैं। इस आनेवाली विदेशी मुद्रा के सार्थक चैनलाइजेशन की आवश्यकता है। इस विदेशी मुद्रा को यदि उत्पादक कार्यों में निवेश की सुविधाएं सृजित की जाएं तो क्षेत्र की विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। निश्चित तौर पर बैंकिंग और वाणिज्यिक संस्थान इसमें मार्गदर्शक के तौर पर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। बैंकिंग विशेषज्ञ गौरव महाजन बताते हैं कि जीरादेई में निवेश संबंधी मार्गदर्शन कमाल दिखा सकता है।

युवाओं के कौशल उन्नयन पर देना होगा ध्यान

जीरादेई क्षेत्र से भारी संख्या में युवा प्रतिवर्ष गल्फ देशों में तथा अन्य बड़े शहरों में रोजगार हेतु जाते हैं। ऐसे में इन युवाओं का कौशल उन्नयन और तकनीकी दक्षता बढ़ाने के प्रयास कमाल दिखा सकते हैं। साथ ही, उद्यमिता की भावना का विकास भी क्षेत्र के युवाओं के उज्जवल भविष्य की सुनहरी दास्तां लिख सकता है।

चौर, तलैया में भी संभावनाएं

जीरादेई क्षेत्र में उपलब्ध भारी संख्या में चौर जहां बेहतर मत्स्ययन के लिए संभावनाएं उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं वेटलैंड के तौर पर भूमिगत जल के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भी उनका विशेष महत्व है। क्षेत्र में उपलब्ध ताल तलैया जल कृषि के लिए भी संभावनाएं सृजित करते दिखते हैं। क्षेत्र के जलीय संरचनाओं की बेहतरी के लिए जल जीवन हरियाली अभियान चल रहा है। इस अभियान को और प्रभावी बनाने की दरकार है।

कुछ समस्याएं भी…

जीरादेई क्षेत्र में यदि विकास की प्रचुर संभावनाएं है लेकिन भूमि विवाद, सड़क, बिजली, ड्रेनेज सिस्टम आदि की बुनियादी समस्याएं भी मौजूद है। अपराध और कानून व्यवस्था से संबंधित चुनौतियां भी मौजूद हैं। परिवहन और सिंचाई के संबंध में कई चुनौतियां भी हैं।

प्रशासन, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और प्रबुद्धजन मिलकर क्षेत्र के विकास के लिए एक व्यवस्थित और सुनियोजित रोड मैप का निर्माण करें तो क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है। जीरादेई महोत्सव भी अगर 3 दिसंबर को राजेंद्र जयंती पर मनाया जाए तो ज्यादा बेहतर रहेगा। यह ध्यान रखना होगा कि देशरत्न राजेंद्र बाबू का व्यक्तित्व और कृतित्व क्षेत्र के विकास के लिए संजीवनी बूटी के समान ही है। देखना होगा कि जीरादेई महोत्सव राजेंद्र बाबू के वसूलों को कितना प्रभावी अंदाज में स्थापित कर पाता है?

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