महज छोटे छोटे प्रयासों से बदल सकती है प्रदूषित सीवान की तस्वीर!
प्रदूषण की समस्या से निबटने में बेहद कारगर साबित होगी जनभागीदारी
स्वच्छ सिवान, सुंदर सिवान
✍️गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कुछ दिनों पहले एक हिंदी अखबार में प्रकाशित इंफोग्राफिक में सीवान को देश में चौथे स्थान का प्रदूषित शहर बताया गया था। विश्लेषण करने पर पता चला कि सिवान में प्रदूषण मुख्य रूप से कचरा के कुप्रबंधन से जुड़ा हुआ है। जिससे जहां यहां की मृदा खराब हो रही है। वहीं जहां तहां कचरा जलाए जाने से सीवान की वायु भी खतरनाक तरीके से प्रदूषित हो रही है। इस संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक आलेख मेरे द्वारा सोशल मीडिया पर पूर्व में डाला गया था। सीवान शहर से कई प्रबुद्धजनों के फोन आए। वे सभी सीवान के प्रदूषित होने के तथ्य से विचलित थे और समाधान के मसले पर संवाद के इच्छुक दिखे।
जनभागीदारी ही दिखाएगी कमाल
सीवान में प्रदूषण की समस्या गंभीर स्वरूप धारण करती जा रही है। कचरा कुप्रबंधन के कारण जहां तहां बिखरा पॉलीथिन भविष्य में भारी तबाही ला सकता है। पिछले दिनों सीवान में भी पॉलीथिन पर नियंत्रण के सरकारी अभियान चले थे। लेकिन वर्तमान में वह अभियान शिथिल पड़ चुका है। ऐसे में सरकार के प्रयास की आकांक्षा में समय गुजरता जा रहा है। कुछ प्रयास देखने में तो बेहद छोटे हैं लेकिन अगर उसे अपने व्यवहार में सीवानवासी ला सके तो परिणाम बेहद सुखद होंगे। निश्चित तौर पर सीवान को प्रदूषण मुक्त बनाने में जनभागीदारी ही बेहद कारगर भूमिका निभा सकती है।
बाजार जाएं तो थैला लेकर ही
सबसे पहला प्रयास तो यह हो सकता है कि घर से बाजार जाते समय हर व्यक्ति कपड़ा या जूट का थैला लेकर ही बाहर जाए। दुकान पर खरीदारी करते समय पॉलीथिन के मांग को कम कर सके। हर व्यक्ति के स्तर पर यह प्रयास बेहद कारगर साबित होगा और पॉलीथिन थैलियों के उत्सर्जन में भारी कमी आयेगी। सबको समझना होगा कि ये पॉलिथीन थैलियां ही सीवान को प्रदूषित करने में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही है। इसके उपयोग में जितनी कमी आ सके उतना ही बेहतर होगा।
उपहार में दिए जाएं सिर्फ पौधें
किसी भी तरह के प्रदूषण चाहे वो वायु प्रदूषण हो या जल या ध्वनि या मृदा प्रदूषण सबके लिए सबसे बड़ा समाधान वृक्षारोपण ही है। इसलिए हर उपलब्ध जगह पर यदि पौधें रोपे जाएं तो पर्यावरण के संदर्भ और प्रदूषण की मुक्ति के संदर्भ में एक विशेष पहल हो सकती है। सबसे बेहतर होगा कि जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ और अन्य मांगलिक अवसर पर उपहार के तौर पर पौधों को ही देने की परंपरा विकसित कर लिया जाए। यह परंपरा जहां हमारी संस्कृति में समाहित हो जाएगी वहीं जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से निबटने में भी बेहद कारगर रहेगी।
यहां वहां कचरा न फेंकें
सामान्य तौर पर देखा जाता है कि लोग यहां वहां कचरा फेंक देते हैं।इस आदत को बदलना चाहिए। नगर परिषद् द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही कचरा फेंकना चाहिए ताकि उसका नियमित तौर पर उठाव सुनिश्चित हो सकें। निश्चित तौर पर सीवान नगर परिषद् को भी कचरा निपटान के वर्तमान प्रक्रिया पर मंथन करना चाहिए और कचरा निपटान के सुव्यवस्थित प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सड़कों के किनारे कचरा का उत्सर्जन और दहन मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है।
चले निरंतर संवाद का दौर
शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक कार्यक्रमों में पर्यावरण और प्रदूषण के संदर्भ में संवाद का दौर चले। जब इस तरह संवाद कायम होगा तो समाज का हर व्यक्ति प्रदूषण के मामले की गंभीरता को समझ पाएगा, जागरूकता का प्रसार होगा और अपने सक्रिय योगदान के लिए हर नागरिक आगे आएगा और यह जनभागीदारी कमाल दिखा जाएगी।
निकट भविष्य में बेहतर सड़कों से सीवान का जुड़ाव जहां आर्थिक विकास के अवसर मुहैया कराने वाला है। वही कचरा कुप्रबंधन और प्रदूषण सीवान के लिए एक गंभीर चुनौती भी होगी। सरकारी प्रयास तो अपने समय पर ही होंगे। लेकिन हम सीवानवासियों का कर्तव्य है कि अपने स्वच्छ और सुंदर सीवान के लिए अपने स्तर पर भरपूर प्रयास करें। सीवान में प्रदूषण की समस्या से निबटने में हर व्यक्ति के स्तर पर ऊपर बताए गए छोटे छोटे प्रयास कमाल दिखा जाएंगे। सीवान के आबोहवा को स्वच्छ रखने के लिए हमारे ये प्रयास समय की मांग है।
यह तस्वीर तो बदलनी ही चाहिए…..
1.सीवान में बिखरा कचरा।
2.शादी के सालगिरह के शुभ अवसर पर पौधारोपण करते प्रधानाचार्य श्री कृष्ण कुमार सिंह।
3 गणतंत्र यू दिवस के अवसर पर पौधारोपण करते पाठक आईएएस संस्थान के निदेशक श्री गणेश दत्त पाठक।
- यह भी पढ़े……
- राष्ट्रपति फ़ख़रूद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी की घोषणा पर लगाई थी मुहर.
- पुलिस ने तीन वारंटियों को गिरफ्तार कर भेजा जेल
- नसबंदी से लेकर अखबारों की सेंसरशिप तक इमरजेंसी.
- खनन विभाग ने दिया जब्त बालू उठाव का आदेश
- आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय क्यों कहा जाता है?