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रिमोट ईवीएम की पहल का विरोध हास्यास्पद,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

रिमोट ईवीएम की पहल का विरोध हास्यास्पद,कैसे?

रिमोट ईवीएम की पहल का विरोध हास्यास्पद,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजनीतिक दल किस तरह ईवीएम पर निशाना साधने और अपनी विफलताओं का ठीकरा उस पर फोड़ने के लिए उतावले रहते हैं, इसका ताजा उदाहरण है बसपा प्रमुख मायावती की यह मांग की हर चुनाव इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के स्थान पर मत पत्र से कराए जाएं।

उन्होंने यह मांग एक ऐसे समय की, जब चुनाव आयोग रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से मतदान का परीक्षण करने जा रहा है। रिमोट ईवीएम के उपयोग की पहल चुनाव सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इसके माध्यम से प्रवासी भारतीय मतदाताओं को वोट देने में समर्थ बनाया जा सकेगा। इससे उन करोड़ों मतदाताओं की चुनाव में सहभागिता हो सकेगी, जो नौकरी, व्यापार, शिक्षा एवं अन्य कारणों से अपने घर से दूर रहने के कारण चाहकर भी मतदान में हिस्सा नहीं ले पाते।

यह विडंबना ही है कि जब रिमोट ईवीएम की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए, तब उसके विरोध में स्वर उठ रहे हैं। कांग्रेस समेत 16 दलों ने जिस तरह यह संकेत दिए कि वे रिमोट ईवीएम के प्रायोगिक परीक्षण का विरोध करेंगे, वह अंध विरोध की राजनीति का एक और शर्मनाक उदाहरण ही है।

क्या यह हास्यास्पद नहीं कि रिमोट ईवीएम के परीक्षण और उसके प्रायोगिक उपयोग के परिणाम सामने आने के पहले ही उसका विरोध करने के लिए कमर कसी जा रही है? इसी के साथ ईवीएम के विरोध को भी नए सिरे से धार दी जा रही है। मायावती का बयान इसी की पुष्टि करता है।

मायावती ने जनता की आड़ लेते हुए यह कहा कि उसके मन में ईवीएम को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं व्याप्त हैं। यह निरा झूठ ही नहीं, जनता को बरगलाने की कोशिश भी है। इस तरह की कोशिश पहले भी हुई है, लेकिन जनता के स्तर पर ईवीएम को लेकर कोई संदेह नहीं जताया गया। आम तौर पर वही राजनीतिक दल ईवीएम को लेकर जनता को बरगलाने की कोशिश करते हैं, जो चुनाव में पराजित हो जाते हैं या फिर जिन्हें पराजय मिलने की आशंका होती है।

यह किसी से छिपा नहीं कि पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। 2014 के आम चुनाव में उसे लोकसभा की एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके विपरीत जब वह 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी तो उसे दस सीटों पर जीत हासिल हुई।

बसपा प्रमुख को यह ध्यान होना चाहिए कि ये चुनाव ईवीएम के जरिये ही कराए गए थे। कम से कम उन्हें यह तो अच्छे से स्मरण ही होगा कि 2007 के जिन विधानसभा चुनाव में बसपा को अपने बलबूते बहुमत मिला था, वे भी ईवीएम से हुए थे। ईवीएम का विरोध करने वाले दल जिस तरह बिना कुछ जाने-बूझे रिमोट ईवीएम के भी खिलाफ खड़े होते दिख रहे हैं, उस पर हैरान ही हुआ जा सकता है।

रिमोट ईवीएम के प्रस्ताव का मिलकर विरोध करेंगे विपक्षी दल-दिग्विजय सिंह

प्रवासियों को उनकी रिहाइश वाली जगहों पर मतदान करने का विकल्प देने के लिए रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर विपक्ष ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि ज्यादातर विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस प्रणाली में अस्पष्टता भी है, खामियां भी हैं।

16 विपक्षी दलों की हुई बैठक

निर्वाचन आयोग का प्रस्ताव है कि रोजगार के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में चले जाने वाले लोगों को उसी जगह मतदान करने का विकल्प दिया जाए जहां वे मौजूदा समय रह रहे हैं। इसके लिए रिमोट ईवीएम के उपयोग की बात कही गई है, लेकिन कांग्रेस आरवीएम के प्रस्ताव का शुरू से विरोध कर रही है। इसी सिलसिले में रविवार को कांग्रेस की पहल पर कांस्टीट्यूशन क्लब में 16 विपक्षी दलों की बैठक हुई ताकि सोमवार को होने वाली निर्वाचन आयोग की बैठक में विपक्ष की साझा रणनीति तय की जा सके।

आरवीएम का प्रस्ताव अधूरा और अपरिपक्व- दिग्विजय सिंह

बैठक के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरवीएम का प्रस्ताव अधूरा और अपरिपक्व है। प्रवासी कामगारों की परिभाषा तक स्पष्ट नहीं की गई है। इसमें बड़ी राजनीतिक विसंगति है। हम इसे इस रूप में स्वीकार नहीं कर सकते। बैठक में कांग्रेस के साथ जिन अन्य विपक्षी दलों ने भाग लिया

उनमें जनता दल (यू), भाकपा, माकपा, नेशनल कांफ्रेंस, झामुमो प्रमुख हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता बैठक में उपस्थित नहीं थे, लेकिन उन्होंने भी विपक्ष के रुख से सहमति जताई है और वे भी इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। निर्वाचन आयोग के समक्ष इस प्रस्ताव को लेकर अपने सवाल उठाएंगे। इस पर आयोग का जो जवाब होगा, उसके आधार पर बाद में अपनी साझा रणनीति तैयार करेंगे। आठ मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों तथा 57 राज्य स्तरीय दलों को आमंत्रित किया है।

मतदान प्रतिशन को बढ़ाना है चुनाव आयोग का मकसद

चुनाव आयोग के अनुसार, प्रोटोटाइप मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) प्रवासी मतदाताओं को दूरस्थ मतदान केंद्रों से मतदान करने में सक्षम बनाएगी। चुनाव आयोग ने बताया कि घरेलू प्रवासियों के मतदान करने में असमर्थता की कमी मतदान प्रतिशत के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए अपने गृह जिले की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होगी।

16 विपक्षी पार्टियों ने आयोग से कहा, आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं

आरवीएम के मॉडल का प्रदर्शन देखने से इनकार करते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि पहले इस मशीन को लाने की आवश्यकता से जुड़े मुद्दों को सुलझाया जाए, उसके बाद ही किसी अगले कदम पर चर्चा की जाएगी। चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय दलों के साथ मान्यता प्राप्त तमाम दलों को आरवीएम का प्रोटोटाइप दिखाने के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन विपक्षी दलों के इनकार के बाद आयोग का यह इरादा आगे नहीं बढ़ पाया।

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