परिवार नियोजन को सशक्त बनाने को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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परिवार कल्याण के अस्थायी साधनों को शत प्रतिशत लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मियों को प्रशिक्षित होना जरूरी: सिविल सर्जन
नवीन गर्भनिरोधक अंतरा एवं छाया को महिलाओं द्वारा सहजता से किया जा रहा है स्वीकार: नोडल अधिकारी
ज़िलें के 30 प्रतिभागियों को परिवार नियोजन अंतरा एवं छाया को लेकर किया गया प्रशिक्षित: डीसीएम

श्रीनारद मीडिया, कटिहार,(बिहार):

परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अस्थायी सेवा के तहत छाया को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल के सभागार में किया गया। सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से परिवार नियोजन को सशक्त बनाने को लेकर परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अस्थायी सेवाओं को शत प्रतिशत लागू करने के लिए प्रखंडों की स्टॉफ नर्स एवं एएनएम को सदर अस्पताल की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ममता कुमारी के द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। ताकि संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों के अंतर्गत कार्य करने वाली स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में इसका शत प्रतिशत व सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा सके। इन दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह परिवार नियोजन की नोडल अधिकारी डॉ कनक रंजन, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक अश्विनी मिश्रा, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी अखिलेश कुमार सिंह, आरबीएसके के प्रबंधक सह समन्वयक डॉ विवेकानंद, यूएनएफपीए के बुद्धदेव, जिला डेटा सहायक सुरेश कुमार रजक सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।

 

नवीन गर्भनिरोधक अंतरा एवं छाया को महिलाओं द्वारा सहजता से किया जा रहा है स्वीकार: नोडल अधिकारी
एसीएमओ सह परिवार नियोजन की नोडल अधिकारी डॉ कनक रंजन ने बताया कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। जिसमें फ्रंट लाइन में कार्यरत कर्मियों की भूमिका अहम मानी जाती है। क्योंकि परिवार नियोजन में अस्थायी रूप से नवीन गर्भनिरोधक अंतरा एवं छाया को महिलाओं के द्वारा सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। परिवार नियोजन से संबंधित उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। हालांकि जिला से लेकर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में स्थित विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में परिवार नियोजन सेवा से संबंधित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। हाल ही में जारी किए गए शोध के अनुसार बताया गया है कि परिवार नियोजन की सेवाओं को सुलभ बनाकर अनचाहे गर्भ के मामले में 70 फीसदी, मातृत्व मृत्यु दर में 67 फीसदी, नवजात मृत्यु दर में 77 फीसदी व प्रसव संबंधी जटिलता के मामलों में दो तिहाई तक कमी लाई जा सकती है।

 

ज़िलें के 30 प्रतिभागियों को परिवार नियोजन अंतरा एवं छाया को लेकर किया गया प्रशिक्षित: डीसीएम
जिला सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक अश्विनी मिश्रा ने बताया कि
ज़िले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों तक परिवार नियोजन संबंधी सेवाओं की आसान पहुंच से ही असुरक्षित गर्भपात के मामलों में कमी आ रही है। इसके साथ ही मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर में गिरावट, एचआईवी संक्रमण से बचाव, महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक विकास को भी तेज करने में मदद मिलेगी। जिसके तहत जिला मुख्यालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सभी स्वास्थ्य संस्थानों से दो-दो स्टॉफ नर्स एवं एएनएम को शामिल किया गया था। जिसमें अमदाबाद से दो, आजमनगर से दो, बलरामपुर से दो, बरारी से दो, बारसोई से दो, डंडखोरा से दो, फ़लका से दो, हसनगंज से दो, कदवा से दो, कोढ़ा से दो, मनिहारी से दो, मनसाही से दो, प्राणपुर से दो, समेली से दो, सदर प्रखंड एवं कुर्सेला से एक-एक प्रतिभागी शामिल थी।

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