हिसुआ प्रखंड के सीडीपीओ कार्यालय में सुरक्षित गर्भपात को लेकर आयोजन

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-43 आंगनबाड़ी सेविकाओं को दी गई सुरक्षित गर्भपात से संबंधित जानकारी: सीमा सोनल
-आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा क्षेत्र की महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात को लेकर किया जाएगा जागरूक: सीडीपीओ

श्रीनारद मीडिया, नवादा, (बिहार):


सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है ,इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिस कारण आज भी वह गांव देहात के नीम हकीम के चक्कर में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं। इसी उद्देश्य को लेकर स्थानीय हिसुआ प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर आई पास की सामुदायिक कार्यकर्त्ता सीमा सोनल, स्थानीय हिसुआ प्रखंड की सीडीपीओ कंचन माला, कई अन्य महिला पर्यवेक्षिका सहित 43 आंगनबाड़ी सेविका उपस्थित रही।

-43 आंगनबाड़ी सेविकाओं को दी गई सुरक्षित गर्भपात से संबंधित जानकारी: सीमा सोनल
आई पास की सामुदायिक कार्यकर्त्ता सीमा सोनल ने इस विषय को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा की और आंगनबाड़ी सेविकाओं संबोधित करते हुए कहा कि अधिकतम 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। लेकिन 9 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित चिकित्सक एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक के मामलें में दो प्रशिक्षित चिकित्सकों की उपस्थिति में सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सकों की मौजूदगी में होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की जरूरत है। ज़िले के सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित अस्पताल में चिकित्सक एवं नर्स हर समय उपलब्ध रहती हैं। फिर भी महिलाएं नीम हकीम के चक्कर में पड़ कर अपनी जान गंवा रही हैं। परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थाई साधनों के बारे में भी सलाह लेने की जरूरत है। लिंग जांच के आधार पर गर्भपात कानूनन अपराध है। महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ सफाई के संबंध में भी जानकारी दी गयी।

-आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा क्षेत्र की महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात को लेकर किया जाएगा जागरूक: सीडीपीओ
हिसुआ प्रखंड की सीडीपीओ सीडीपीओ कंचन माला ने उपस्थित आंगनबाड़ी सेविकाओं से कहा 12 से 20 सप्ताह तक सुरक्षित गर्भपात की सुविधा कानूनन वैध मानी गयी है। इसके लिए लोगों को किसी भी अप्रशिक्षित चिकित्सकों से गर्भपात कराने की जरूरत नहीं है। अप्रशिक्षित चिकित्सक से कराए गए गर्भपात से महिला के भविष्य में स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। जिले के सभी प्राथमिक अस्पतालों में गर्भपात के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं। कोई भी गर्भवती महिला प्रथम तिमाही यानी 12 सप्ताह में अपना गर्भपात करवा सकती हैं। अगर किसी कारणवश दंपति प्रथम तिमाही में गर्भपात नहीं करा पाए तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। एमटीपी एक्ट के अनुसार कोई भी दंपति गर्भधारण की दूसरी तिमाही यानी 20 सप्ताह तक के अंदर गर्भपात करवा सकते हैं। लेकिन दूसरी तिमाही में गर्भपात कराना कठिन होता है। इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। जिले में यह सुविधा सदर अस्पताल में भी उपलब्ध है।

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