फाइलेरिया से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन
प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सहयोग अपेक्षित: सिविल सर्जन
प्रशिक्षण के दौरान स्वउपचार के तरीक़े की दी गई विस्तृत जानकारी: डॉ जेपी सिंह
विश्व में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाईलेरिया: डॉ दिलीप
श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):
सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार सह प्रशिक्षण केंद्र में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन प्रभारी सिविल सर्जन सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ डीएन झा, एसीएमओ डॉ कनक रंजन, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह, डब्ल्यूएचओ (एनटीडी) के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार, केयर इंडिया के चंदन कुमार सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर भीडीसीओ एनके मिश्रा, भीवीडीसी जेपी महतो, जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता (बीएसडब्ल्यू), कालाजार के प्रखंड समन्वयक (केटीएस) सहित पीसीआई के अंजनी कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की डीसी पल्लवी कुमारी, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।
प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सहयोग अपेक्षित: सिविल सर्जन
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एनके झा ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए सहयोगी संस्थाओं का सहयोग अपेक्षित है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष में एक बार डोर टू डोर भ्रमण कर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फाइलेरिया मुक्ति की दवा दी जाती है। बरसात के समय में अपने घरों के आस पास गंदा पानी इकठ्ठा नहीं होने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। क्योंकि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी है।
प्रशिक्षण के दौरान स्वउपचार के तरीक़े की दी गई विस्तृत जानकारी: डॉ जेपी सिंह
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने बताया कि फ़िलहाल कटिहार जिले में 1968 फाईलेरिया मरीजों को चिन्हित किया गया हैं। जिसमें से 1799 लम्फोडिमा के और 169 हाईड्रोसील के मरीज हैं। इन्हीं मरीजों को स्वउपचार का तरीका बताया गया है। मालूम हो कि कटिहार जिले में वर्ष 2016 के दौरान ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे (TAS) की शुरुआत की गई थी। जिस कारण अभी भी इसका इंफेक्शन चल रहा है। इसी कारण प्रत्येक वर्ष सर्वजन दवा सेवन (MDA) का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार लिम्फोडिमा को 7 स्टेज में बांटा गया है। शुरुआती दौर में 12 स्टेज तक के मरीज को फिर से सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है लेकिन स्टेज बढ़ जाने पर कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है।
विश्व में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाईलेरिया: डॉ दिलीप
डब्ल्यूएचओ (एनटीडी) के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार झा ने कहा कि फाईलेरिया एक कृमि के कारण होने वाला बीमारी है जो मच्छड़ के काटने से फैलता है। इसीलिए अपने-अपने घरों के आसपास पूरी तरह से साफ सफाई का ध्यान रखें। वर्ष में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाईलेरिया से बचाव के लिए दवा खाना जरूरी है। जिनको फाईलेरिया हो गया है, ऐसे मरीजों को स्वउपचार करना अत्यंत जरूरी है।
दो महीनें के अंतराल पर एक सप्ताह तक के लिए तेज बुखार, विकलांग पैर में दर्द, पैर का लाल होकर, सूजन होना सहित कई अन्य तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हाईडोसील वाले मरीजों में कई तरह की समस्याओं के अलावा यौन समस्यायें भी होती हैं। आर्थिक तंगी के कारण परिवार और समाज में दया का पात्र बनने पर मजबूर होना पड़ता है।
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