Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
रुद्राक्ष सभागार में तीन दिवसीय संस्कृति संसद का आयोजन - श्रीनारद मीडिया

रुद्राक्ष सभागार में तीन दिवसीय संस्कृति संसद का आयोजन

रुद्राक्ष सभागार में तीन दिवसीय संस्कृति संसद का आयोजन
हिन्दू संस्कृति के आधार पर भारत पुनः अखण्ड होगा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

वाराणसी में संस्कृति संसद के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय संत समिति के मुख्य निदेशक स्वामी ज्ञानदेव सिंह ने कहा कि हिन्दू संस्कृति के आधार पर पुनः भारत अखण्ड होगा। उन्होंने यह विचार वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति एवं काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में गंगा महासभा द्वारा नगर निगम वाराणसी स्थित रुद्राक्ष सभागार में आयोजित तीन दिवसीय संस्कृति संसद के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वेद भारतीय संस्कृति का मूल है तथा वेदों का मूल संस्कृति एवं संस्कृत है। उन्होंने कहा कि माता ही हमारी प्रथम गुरु है इसीलिए हमें यह शिक्षा दी जाती है  मातृ देवो भवः, अतिथि देवो भवः, आचार्य देवो भवः, हमारे लिए यह सभी महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी संप्रदायों के मूल भेद और सभी संस्कृति के वेदों को बताया तथा अंत में कहा कि भारत अखंड था और हिन्दू संस्कृति के आधार पर ही पुनः अखण्ड होगा।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि शासन को चलाने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। कहा कि आज विधर्मियों द्वारा हमारी संस्कृति पर अत्याचार किए जा रहे हैं। इसके जवाब में युवाओं को संतों के साथ जुड़ना चाहिए। संतों के प्रयासों से अंग्रेजों के द्वारा गुलाम बनने के बाद भी हमारी परम्परा और संस्कृति जीवित रही।
आएसएस के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो सभी को समेटने की क्षमता रखता है। भारत ने कोविड काल के दौरान वैक्सीन वितरण कर सब को बचाया और पाकिस्तान को हमारे सैनिकों ने देश से प्रेम करना और देश के लिए मरना सिखाया। हम अपनी सुरक्षा, अपने देश की सुरक्षा पर विदेशों पर निर्भर ना होकर आत्मनिर्भर बने हैं। हम अपने त्योहार को आज चीनी वस्तुओं से नहीं मना रहे हैं। राम मंदिर निर्माण बिना किसी बाधा के शुरू कर दिया गया बिना किसी दंगे के ३७० हटाया गया। हमारी धार्मिक पुस्तक रामायण सिखाती है हमारा धर्म हमेशा सभी की उन्नति की बात करता है, कभी किसी को अपमानित नहीं करता है। यह सब वर्तमान शासन से ही सम्भव हो सकता है।
विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश चन्द्र ने कहा कि राष्ट्र की आत्मा संस्कृति जैसे आधारभूत विषय को इस मंच के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए संत समिति जो काम कर रही है वह निश्चित रूप से उपयुक्त है। आज किसी भी राष्ट्र को खत्म करना हो तो उसकी संस्कृति को बदल देने से वहां का समाज खत्म हो जाता है। विदेशी आक्रांताओं से राष्ट्र को बचाने लिए हमारे महापुरुषों ने काफी संघर्ष किया है। वे समाज में जागरण का कार्य करते रहे। उन्होंने कहा कि १९४७ में इस अखण्ड भारत के विभाजन को स्वीकार कर लिया गया यह पीढ़ा आज भी चुभती रहती है। ऐसे आयोजनों से यह राष्ट्र फिर से अखण्ड होगा। आज पूरा विश्व भारत के लोगों को हिन्दू ही मानता है। जब विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना हुई थी तब भी समाज की व्यवस्थाओं को वैâसे स्थापित किया जाए इस पर चर्चा होती थी। यहां का मूल निवासी हिन्दू कितना भी कमजोर हो लेकिन संत समाज का आदर करता ही है। विदेशों में लगभग सात करोड़ हिन्दू रहते हैं उनकी जो समस्याएं हैं उनको संत समाज ही सुलझा सकता है। हर युग में कोई आचार संहिता का निर्माण विद्वतजनों द्वारा होता रहा परन्तु विदेशी आक्रांताओं के कारण यह कमजोर होता गया। पूज्य संत आज फिर से एक आचार संहिता का निर्माण करें। वेदों के प्रश्नोपनिषद की चर्चा करते हुए दिनेश चन्द्र ने कहा कि बहुत से देश ऐसे हैं जहां धर्म पर सवाल करना पाबंद है परन्तु हिन्दू धर्म में ऐसा नहीं। हमारी संस्कृति में सिखाया गया है हम किसी पर अत्याचार न करें परन्तु हम पर कोई अत्याचार करे तो उन्हें छोड़ना भी नहीं है। हमारे यहां पर्दाप्रथा, बालविवाह, दहेजप्रथा नहीं थी। पुरुष-महिला सबको समान अधिकार था। हमारे बच्चों को संस्कार की शिक्षा देने की आवश्यकता है। विश्व के उद्धार के लिए ही तमाम प्रताणनाएं सहकर भी हमारे ऋषि-मुनियों ने सभी का उद्धार किया। सभी धर्मों को समान कहना उचित नहीं है। हमारा हिन्दू धर्म सभी धर्मों के सम्मान की बात कहता है।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामयत्न शुक्ल ने कहा कि कहा कि इस संस्कृति संसद का आयोजन बहुआयामी विषयों को लेकर किया जा रहा है। हमारे धर्मशास्त्री विद्वान ग्रंथों की त्रुटियों पर काम कर रहे हैं। वर्ण व्यवस्था की समरसता के लिए किया गया है। हमारे ग्रंथों में ऐसी कोई बात नहीं की गई है समाज में ऊंच-नीच की मानसिकता स्थापित हो। इस संस्कृति संसद में धर्म और संस्कृति से जुड़ी अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब दिया जाएगा। प्रश्नों के उत्तर को गंगा महासभा, अखिल भारतीय संत समिति और श्रीकाशी विद्वत परिषद एक प्रस्ताव की तरह प्रकाशित किया जाएगा। हमारे संतजनों के निर्देशन में भारत की अखण्डता और राष्ट्र की सम्प्रभुता को बनाए रखना है। इसके लिए हमारा संगठन युवाओं के साथ मिलकर काम करेगा ताकि समाज की एकरुपता बनी रहे।
गंगा महासभा और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृति संसद के इस मंच की आवश्यकता क्यों पड़ी, विदेशों से आज वक्तागण यहां क्यों आए, हम आज इस पर चर्चा करेंगे। संस्कृति संसद की उपाध्येयता इन बातों के लिए नहीं है कि हम काशी में इसका आयोजन कर रहे हैं। महाराज जी ने सनातन धर्म का उपहास और अपमान करने वालों को बताया कि हमारे धर्म, ग्रंथ और वेद के अतिरिक्त उपनिषद और शास्त्र को संवाद के लिए बेहतरीन मार्ग हैं। उन्होंने इसमें पूछने और बताने की प्रक्रिया को हमारे संस्कृति का संवाद शास्त्र बताया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के बाद सनातन धर्म के सारे मार्ग खुल जाएंगे। स्वामी जी ने कहा कि इस कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति की मर्यादित सीमा में प्रश्न भी पूछ सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार श्रीनगर के सारे मंदिर स्वतंत्र हुए, अयोध्या के लोगो के संकल्प पूरे हुए। युवा पीढ़ी भी इस संस्कृति महोत्सव से जुड़ी हुई है। युवा संत अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। इस सरकार ने विश्वनाथ कॉरिडोर के माध्यम से गंगा और शिव के बीच की बाधा को मिटा दिया है।
भारतीय संस्कृति की प्राचीन परम्परा की चर्चा करते हुए आयोजन समिति के संरक्षक और धर्मार्थ कार्य व संस्कृति राज्यमंत्री नीलकण्ठ तिवारी ने कहा कि हमारी संस्कृति में सभी देवी-देवता विराजमान है। कहा कि १०७ वर्ष पुरानी मूर्ति जो कनाडा में रखी हुई थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से वह भारत आ गई। हजारों करोड़ की परियोजनाएं हमारी संस्कृति और परम्परा को मजबूत बनाने के लिए ही चल रही हैं। संतों के आर्शीवाद और नेतृत्व में आज राम मन्दिर का निर्माण हो रहा है। दो सौ से ज्यादा आध्यात्मिक स्थलों का विकास किया जा रहा है। वाल्मीकि धाम का विकास हो रहा है, लक्ष्मण झूला चल चुका है, चित्रवूâट आज पहले जैसा नहीं रहा है। पूजन-पाठ के लिए आज नदियों के किनारे पक्के घाट बन चुके हैं। प्रयागराज कुम्भ में पिछली बार २४ करोड़ से ज्यादा लोग आ चुके हैं लेकिन जरा भी दिक्कते नहीं हुर्इं। विंध्यधाम सहित काशी में विश्वनाथ धाम धाम, माँ गंगा के निर्मलीकरण सहित विभिन्न आध्यात्मिक स्थलों पर वेंâद्र और प्रदेश सरकार विकास कार्य चला रही है। यह सब कार्य हमारी संस्कृति को विश्वविख्यात करने के लिए है।
गंगा महासभा के संगठन महामंत्री गोविन्द शर्मा ने संचालन करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता की कुर्सी से हटाने के लिए और हिन्दू धर्म पर प्रहार करते हुए अमेरिका के व्यापारी जॉर्ज सोरोस ने एक बिलियन डॉलर का पंâड बनाया है। आज पूरे विश्व में हिन्दूजन निवास करते हैं। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए यहां पर चर्चा होगी।
माँ गंगा, पंडित महामना मदनमोहन मालवीय, स्वर्गीय जीडी अग्रवाल और दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान सम्पादक नरेन्द्र मोहन जी के चित्र पर माल्यापर्ण व गणेश वंदन से हुआ। मंच पर मुख्य अतिथि परमपूज्य शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, परमपूज्य जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी राजराजेश्वराचार्य जी महाराज, श्री महंत स्वामी ज्ञानदेव सिंह जी, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष आचार्य अविचलदास जी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महन्त रवीन्द्र पुरी जी, अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी, श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, राज्यसभा सांसद श्रीमती रूपा गांगुली, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इन्द्रेश कुमार, धर्मार्थ एवं संस्कृति मंत्री नीलकण्ठ तिवारी, श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल, विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री दिनेश चन्द्र, गंगा महासभा के अध्यक्ष श्री प्रेमस्वरूप पाठक, दैनिक जागरण के संपादक आशुतोष शुक्ल की उपस्थिति रही। इस तीन दिवसीय संस्कृति संसद में देश के १८ राज्यों से आए प्रतिनिधि उपस्थित रहे। यह सूचना संस्कृति संसद के मीडिया संयोजक प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने दी।

 

यह भी पढ़ें

Raghunathpur:लच्छीपुर  डीह बाबा के स्थान पर 24 घण्टे का महाष्टयाम शुरू

बिहार में चार हजार महिलाओं ने लिखी बदलाव की कहानी,कैसे?

आज गर्भवती महिलाओं को लगाया जाएगा कोविड का टीका

17 नवंबर को कचनार गांव जाएंगे पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडेय

बिहार में पांच दिनों का देसी फूड फेस्टिवल,क्या है खास?

परिंदा 8925 किलोमीटर उड़कर अफ्रीका से हिमाचल पहुंचा.

Leave a Reply

error: Content is protected !!