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विश्व बाल मजदूरी के खिलाफ चल रहे वीक ऑफ़ एक्शन में हुआ हित धारकों का हुआ उन्मुखीकरण - श्रीनारद मीडिया

विश्व बाल मजदूरी के खिलाफ चल रहे वीक ऑफ़ एक्शन में हुआ हित धारकों का हुआ उन्मुखीकरण

विश्व बाल मजदूरी के खिलाफ चल रहे वीक ऑफ़ एक्शन में हुआ हित धारकों का हुआ उन्मुखीकरण

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– विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम “एक्ट नाउ: इंड चाइल्ड लेबर” यानि अभी सक्रीय हो और बाल श्रम करें खत्म की दी जानकारी
– 2021 में कोविड 19 की दूसरी लहर और बाल श्रम तथा तस्करी के उच्च जोखिम को कम करने पर हुई चर्चा

श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज  (बिहार):

अतिथि संस्था द्वारा 12 जून विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अलोक में इस बार संयुक्त राष्ट्र तथा आईएलओ द्वारा वीक ऑफ एक्शन यानी सक्रियता का सप्ताह मनाये जाने के क्रम में अदिति तथा ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क द्वारा इस कार्यक्रम को गति देने एवं संबंधित हित धारकों के आपसी सामंजस्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया ।
इस कार्यक्रम की अगुवाई संस्था के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रोहित कुमार द्वारा सबका स्वागत करते हुए किया गया एवं इस वर्चुअल मीटिंग के उद्देश्यों को सभी से साझा किया गया । उन्होंने बताया कि सिवान तथा गोपालगंज जिले में बाल श्रम को रोकने के लिए हमें सभी सरकारी तथा ग़ैर सरकारी तथा छोटे छोटे समितियों को इसे रोकने में सहयोग करना होगा।
सिवान गोपालगंज बिहार का सीमावर्ती जिला है जिसकी सीमाए उतर प्रदेश से लगती हैं इन जिलों के अधिकांश लोग रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों तथा खाङी देशो में पलायन करते हैं, बिहार सरकार द्वारा जारी बाल श्रम उन्मूलन तथा विनियमन हेतु राज्य कार्य योजना 2017 के आधार पर सिवान निन्म घटना दर (02% से कम) एवं गोपालगंज मध्यम घटना दर( 02 -04 %) वाले जिलों के श्रेणी में आता है | ये आकङे सिर्फ रिपोर्ट किये गए मामलो के है वास्तविकता इसके इतर है जिले में बङी संख्या में बाल मजदुर कार्यरत हैं|
गोपालगंज जिला के बाल संरक्षण पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया आयोजक संस्था बच्चों के संरक्षण हेतू अच्छी पहल कर रही है। हमारी टीम अनाथ बच्चों की सूची तैयार कर रही है ताकि उन बच्चों को हम सरकारी योजनाओं का लाभ दे पायें।
श्रम परवर्तन पदाधिकारी, राजेश कुमार, सिवान ने कहा गया कि हम सभी अपने जिले में धावा दल द्वारा बच्चों को रेस्क्यू करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि बच्चे अपने जीवन के उचित अधिकारों का लाभ उठा सके।
जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, सिवान के बृजेश कुमार गुप्ता द्वारा भी इस विषय पर बताया गया कि हम सभी को मिलकर वर्चुअल मीटिंग करने की बजाय ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है |
अदिथि की निदेशक परिणीता ने बताया हम सभी को मिल कर एक प्लान तैयार करना होगा जिसे हम सभी जिले को सुपर्द कर के उसे पूरा कराने का प्रयास करेंगे। ऐसा करने से हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों को संरक्षित कर सकते हैं ।
उपस्थित हितधारक सदस्यों ने भी अपने-अपने सुझाव दिए जिसमें बच्चों को हो रही समस्याओं समूल सुधार हेतु जमीनी स्तर से जिले एवं आगे तक के बच्चों पर कार्यारत सरकारी तंत्र को ध्यान दिलाने हेतु बाल संरक्षण के विषयों पर विस्तृत जानकारी एवं जागरूकता ही स्थायी समाधान है । महामारी एवं उसके कारण उत्पन्न विषम परिस्थियों के वजह से इस दिवस की महत्वता और बढ़ जाती है |
अगली चर्चा में प्रतिभागियों ने महामारी के दौरान जारी लाकडाउन का सीधा असर बच्चों पर पङने, विद्यालय बंद होने की वजह से उनके बाल मजदूरी में जाने की संभावनाओं से उन्हें रोकने की पहल पर प्रकाश डाले | ऐसे बाल मजदूरों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी जिनके परिवार में रोजगार नहीं हैं और वे बाल मजदूरी में धकेल दिए जाएंगे | आई एल ओ के रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है की कोविड- 19 महामारी के कारण साल 2022 तक करीब 90 लाख बच्चों को बाल श्रम में झोके जाने की संभावना है अगर उन्हें समुचित सामाजिक संरक्षण नहीं मिला तो यह संख्या 4.6 करोङ तक पहुच सकती है| महामारी काल में बालश्रम को बढ़ावा देने वाले निम्नोक्त जोखिम या कारक हैं |
 आपदा द्वारा हुआ नुकसान जैसे माता पिता या घर के कमाऊ सदस्य की मृत्यु या बच्चे के माता या पिता के द्वारा बच्चों का परित्याग कर दिया जाना |
 स्कूल का बंद होना |
 वैकल्पिक शिक्षा तक सुलभ पहुंच ना होना |
 आय की अनुपलब्धता से होने वाले आर्थिक दबाव जैसे की बच्चों के परिवारजन का रोजगार छिन जाना
 कम मजदूरी के दर के परीणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों में घर के प्रत्येक सदस्य की संलिप्त्ता में वृद्धि|
 मानसिक तनाव,अस्वस्थता या अन्य कारण से परिवार के कमाऊ सदस्य का नशे का आदि हो जाना या मानसिक संतुलन खो जाना |
 परिवार के सदस्यों को बीमारी या अन्य कारणों से आर्थिक दबाव एवं अपने दैनिक जरुरतों को पूरा करने या अन्य उदेश्य से लिए गए कर्जे को चुकाने का बोझ |
 सामाजिक कल्याण एवं सुरक्षा के योजनाओं के लागुकरण में हो रहा बिलम्ब या लेटलतीफी |
 दस्तावेजों के अभाव में सामाजिक कल्याण एवं सुरक्षा के योजनाओं तक सुलभ पहुंच ना हो पाना|

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