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हमारी जिंदगी टी-20 की तरह है,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

हमारी जिंदगी टी-20 की तरह है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अनुपम खेर के एक ट्वीट के इर्द-गिर्द घूमती रही। उन्होंने हाल ही में ट्वीट किया था कि 69 साल का नौजवान होना बेहतर है। मुझे पता नहीं कि वे आजकल अपनी फिल्म के कारण फिटनेस के बारे में बात कर रहे हैं या नहीं, लेकिन उनकी फिल्म ‘विजय-69’ जरूर उनके नए फिटनेस-प्रेम से लाभ उठा रही है।

यह फिल्म 69 वर्ष के एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है, जो एक ट्रायथलॉन स्पर्धा में प्रतिभागिता करने का निर्णय लेता है। यह किरदार अनुपम खेर निभा रहे हैं। एक टीवी स्क्रीन पर टी-20 मैच देखते समय हमारी बहस इस बिंदु को लेकर गर्मा गई कि क्या 35 से 38 साल के कॉर्पोरेट-जॉब के बाद रिटायर होने पर इतने शारीरिक श्रम की मांग करने वाली नई पारी की शुरुआत करना उचित है? बहरहाल, हमारी बैठक तमिल दार्शनिक वेंकटेश के इस कथन के साथ एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समाप्त हुई कि जीवन भी टी-20 मैच की तरह है। इसकी व्याख्या कुछ इस तरह से की जा सकती है।

हमारे ग्रंथ के मुताबिक जीवन की पूरी पारी 120 वर्षों की होती है, जो किसी टी-20 मैच की एक पारी में फेंकी जाने वाली 120 गेंदों के बराबर है। जैसे पहली 30 गेंदों में बल्लेबाज गेंद पर अधिक से अधिक प्रहार करके अपनी टीम के लिए बड़ा स्कोर करने की कोशिश करता है, उसी तरह 30 वर्ष की आयु तक किसी व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता के साथ शिक्षा, खेल, अपने पैशन और शौक सहित दूसरी चीजों के लिए मेहनत और प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। जब गेंद पुरानी हो जाती है तो उस पर प्रहार करना कठिन हो जाता है और ठीक इसी प्रकार जब हम युवा नहीं रहते तो पढ़ाई करना और नए कौशल सीखना हमारे लिए मुश्किल होता है।

31वीं से 60वीं गेंद तक बल्लेबाज को पिच के आधार पर अपनी रणनीति तय करनी चाहिए। इसी तरह, 31 से 60 वर्ष की उम्र के दौरान व्यक्ति को अपने लिए साल-दर-साल रणनीति बनानी चाहिए, फिर चाहे वह किसी बिजनेस में हो या रोजगार में। इन 30 वर्षों में रणनीति और मूल्यांकन के बिना कोई करिअर आगे नहीं बढ़ सकता।

61 से 90वीं गेंद तक बल्लेबाज के लिए अपना विकेट बचाना जरूरी हो जाता है, नहीं तो स्लॉग ओवरों में ज्यादा रन बनाने के लिए कोई बचेगा ही नहीं। इसी तरह एक मनुष्य को इस उम्र में अपनी हेल्थ की चिंता करनी चाहिए। उसे योग करना चाहिए, पैदल सैर पर जाना चाहिए और अनेक अन्य एक्सरसाइज करनी चाहिए।

अगर कोई हेल्थ का ख्याल रखता है तो 91 से 120 वर्ष तक का जीवन 16वें से 20वें ओवर के स्लॉग ओवरों वाली फ्री-हिट जैसा बन जाता है। इस बिंदु के बाद बल्लेबाज द्वारा बनाया जाने वाला हर रन टीम के लिए फायदेमंद होता है। इसी तरह ईश्वर के द्वारा उस व्यक्ति को दिया जाने वाला हर साल उसके परिवार के हित में होता है।

अगर आपने अपने पहले 30 साल बिना पढ़ाई या अच्छा काम किए बिना बिता दिए, तो उसके बाद कोई रणनीति बनाकर जिम्मेदारी से जीवन बिताना मुश्किल हो जाएगा। इस तरह के लोग सामान्यतया 60 साल के बाद जल्दी-जल्दी स्कोर करने की कोशिश करते हैं (पढ़ें, तेजी से पैसा कमाने में लग जाते हैं) और सेहत का ख्याल नहीं रख पाते।

 मनुष्य के जीवन के लिए टी-20 (पढ़ें, 120 साल) की डिज़ाइन ईश्वर के द्वारा बहुत पहले ही बना दी गई थी। अब यह आपके हाथों में है कि हर 30 साल के बाद आप अपना गेम कैसे खेलते हैं

 

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