सकारात्मक प्रयासों से संवरेगा हमारा गणतंत्र
76वें गणतंत्र दिवस पर विशेष आलेख
✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हमारे देश में 76वाँ गणतंत्र दिवस पूरे उल्लास और उमंग से मनाया जा रहा है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान और त्याग से देश को फिरंगी हुकूमत की दासता से मुक्त कराया। फिर हमारा देश गणतंत्र घोषित हुआ। सीवान के जीरादेई के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में निर्मित संविधान के द्वारा हमारे देश की व्यवस्थाएं संचालित हो रही है।
स्वतंत्रता के 77 साल गुजर जाने के दौरान देश के समक्ष कई चुनौतियां आई जरूर लेकिन आज हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था विश्व में बेहद प्रतिष्ठित मानी जाती हैं। अपने गणतंत्र को सजाने संवारने के लिए हम सभी नागरिकों को अपने सकारात्मक योगदानों पर फोकस करना होगा।
फिरंगी हुकूमत की दासता के दौरान हमारे देशवासियों ने भयंकर पीड़ा, मानसिक यातना को सहा। देश में राष्ट्रीय आंदोलन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में चला। सीवान का भी राष्ट्रीय आंदोलन के बौद्धिक आयाम को गढ़ने में बड़ी भूमिका रही। देश के संविधान के गठन में भी सीवान की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जहां संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष रहे।
वहीं संविधान सभा के प्रथम अस्थाई अध्यक्ष रहे डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा के निकट सहयोगी रहे थे सिवान के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने संविधान निर्माण के दौरान कई समितियों की अध्यक्षता भी किया। आज हमारा भारतीय संविधान कई चुनौतियों के सामना के बावजूद अपनी प्रासंगिकता को साबित करता दिखता है। ऐसे में यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम अपने गणतंत्र को और कैसे संवार सकते हैं?
जब हम अपने भारतीय गणतंत्र को देखते हैं तो कई ऐसे आयाम सामने आते हैं जो हमें गर्व की अनुभूति कराते हैं। मसलन न्याय, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा देने वाला हमारा भारतीय संविधान। यहीं संविधान हमारे गणतंत्र की मजबूत नींव है। हमारी परिपक्व लोकतांत्रिक प्रणाली, जहां देशभर में 67 फीसदी नागरिक मतदान कर अपने लोकतंत्र को सशक्त और जीवंत बना रहे हैं।
हमारे अधिकारों की रक्षा करने वाली सजग और सशक्त न्यायपालिका, हमारे देश की स्वतंत्र मीडिया, हमारे देश का सचेत नागरिक समाज, जो सिर्फ हमारे अधिकारों की रक्षा ही नहीं करता अपितु सरकार को जवाबदेह भी बनाता है। हमारे देश के बहादुर सैन्य और सुरक्षा बल जो देश की सुरक्षा और अखंडता की रक्षा के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हमारे देश की वैज्ञानिक प्रतिभाएं जो नवाचार और नवोन्मेष के साथ तकनीक की दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को निरंतर अपने प्रयासों से बढ़ा रही है।
हमारे देश का आर्थिक विकास जो देश को निरंतर मजबूत और समृद्ध बना रहा है। हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता जो एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा प्रदान करती है। इन्हीं सब खूबियों के आधार पर हमारा गणतंत्र निरंतर संवरता जा रहा है। हमारे देश की स्वास्थ्य प्रणाली जिसने कोरोना महामारी के दौरान हमारे लोगों की सुरक्षा के लिए निरंतर नवाचार करती रही। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली जो कुछ चुनौतियों के बावजूद नागरिकों के क्षमता निर्माण के संदर्भ में बड़ी भूमिका निभा रही है। इन सभी कारणों के संयोजन से ही हमारा भारतीय गणतंत्र मजबूत और स्थिर है।
ऐसा नहीं है कि हमारा गणतंत्र चुनौतियों का सामना नहीं करता है। कुछ आंतरिक चुनौतियां तो कुछ बाहरी चुनौतियां अवश्य समस्याएं उत्पन्न करती रहती हैं। मसलन आंतरिक चुनौतियां जैसे भ्रष्टाचार, जो हमारे गणतंत्र की नींव को कमजोर कर रहा है। सामाजिक और आर्थिक असमानता जो हमारे समाज को विभाजित कर रही है। धार्मिक और जातिगत भेदभाव जो हमारे सामाजिक ढांचे को निरंतर कमजोर कर रहा है। आतंकवादी और विघटनकारी शक्तियां हमारे गणतंत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रहीं हैं।
वर्तमान में साइबर अपराध भी हमारे गणतंत्र की सुरक्षा और अखंडता को बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। हमारे देश के युवा एडिक्शन के कारण दिग्भ्रमित भी हो रहे हैं। बाहरी चुनौतियों में अंतराष्ट्रीय आतंकवाद विश्व के साथ हमारे गणतंत्र के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुका है। पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद के चलते भी कई बार समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं। भूमंडलीकरण के बाद विश्व के विभिन्न देशों में राष्ट्रवादी चेतना के कारण अंतराष्ट्रीय व्यापार में गिरावट के कारण भारत के समक्ष आर्थिक चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही है।
पर्यावरणीय खतरे भी हमारे गणतंत्र की प्राकृतिक संपदा और जीवनशैली को खतरे में डाल रहे हैं। सूचना युद्ध से भी हमारे गणतंत्र की सुरक्षा और अखंडता को चुनौतियां उत्पन्न हो रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में फेक न्यूज कई बार हमारे गणतंत्र की प्रतिष्ठा को धूमिल भी करते दिखते हैं।
निश्चित तौर पर हमारे गणतंत्र के समक्ष चुनौतियां भी बहुत है लेकिन सकारात्मक, सार्थक और समर्पित प्रयास हमारे गणतंत्र को सशक्त बनाकर उसे सजा संवार भी सकते हैं। गणतंत्र को संवारने में सबसे बड़ी भूमिका हम नागरिकों की ही हो सकती है। यदि हमारे देश के सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठापूर्वक करें, सदैव सकारात्मक रहने का प्रयास करें, अपने व्यवहार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समाहित करें, अपने नागरिक के दायित्वों का गंभीरतापूर्वक निर्वहन करें तो हमारा गणतंत्र निखर उठेगा। हम सभी नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक, सचेत, सजग और सतर्क होने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए।
आज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में जब कथ्य सत्य और तथ्य पर हावी होते जा रहे हैं। ऐसे में धैर्य के साथ हर सूचना की प्रमाणिकता और विश्वसनीयता को परखने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को मतदान का महत्व समझना चाहिए मतदान ही लोकतंत्र का प्राणवायु होता है। ऐसे में अपने विशिष्ट राजनीतिक अधिकार मतदान का प्रयोग हर हाल में करना ही चाहिए।
नागरिकों को सामाजिक, सामुदायिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रियता के साथ सहभागी बनना चाहिए। ताकि वे अपने समुदाय के विकास में सहभागी बन सके। हमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों का पालन करना चाहिए। ताकि समाज में हमारा सकारात्मक योगदान होना चाहिए। व्यर्थ के कामों में हमें समय बर्बाद न कर सकारात्मक योगदान देना चाहिए।
हमारे गणतंत्र को संवारने में सरकारी संस्थाओं की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन पर सरकारी अमले को ध्यान देना चाहिए। नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए भी सरकारी संस्थाओं को सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक योजनाओं का निर्माण तार्किक वास्तविक आधार पर करके उसके प्रभावी क्रियान्वयन के प्रयास भी आवश्यक होते हैं।सरकारी संस्थाओं को नैतिक और सामाजिक मूल्यों के पालन के प्रति संजीदगी और गंभीरता दिखानी चाहिए।
शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं की भूमिका भी गणतंत्र को संवारने में अहम होती है। ये संस्थाएं आम नागरिकों को जागरूक और सचेत कर, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर, नैतिक और सामाजिक मूल्यों के पालन की शिक्षा प्रदान करके गणतंत्र को संवारने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। राजनीतिक दल सकारात्मक राजनीति को समर्थन प्रदान कर, वैज्ञानिक समुदाय अपने नवाचारों और नवोन्मेषों के माध्यम से, व्यापार और वाणिज्य समुदाय अपने सकारात्मक योगदानों से गणतंत्र को निखारने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
हमारा गणतंत्र 75 वर्ष के सफर को पूरा कर चुका है। अब आवश्यकता हर स्तर पर समन्वित और सार्थक प्रयासों की है। यदि सभी नागरिक और अन्य हितग्राही सकारात्मक सोच के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ समन्वित प्रयास करें तो हमारा गणतंत्र निश्चित तौर पर निखर उठेगा।
जय हिंद।
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