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जब सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा फहराने में फिरंगियों की गोलियों के शिकार हो गए थे हमारे सीवान के झगरु साह, छट्ठू गिरि और बच्चन प्रसाद - श्रीनारद मीडिया

जब सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा फहराने में फिरंगियों की गोलियों के शिकार हो गए थे हमारे सीवान के झगरु साह, छट्ठू गिरि और बच्चन प्रसाद

जब सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा फहराने में फिरंगियों की गोलियों के शिकार हो गए थे हमारे सीवान के झगरु साह, छट्ठू गिरि और बच्चन प्रसाद

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आजादी के अमृत महोत्सव के संदर्भ में विशेष आलेख श्रृंखला

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सीवान में राष्ट्रीय आंदोलन की प्रबल बयार बह रही थी। सीवान के आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश हुकूमत को बड़ी चुनौती दी थी। तिरंगा को फहराने का जुनून इस कदर हावी था कि गोलियों की बौछार से भी वे भयभीत नहीं हो रहे थे। 13 अगस्त, 1942 को सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराने के दौरान हमारे सिवान के तीन अमर बलिदानी झगरु साह, छट्ठू गिरि और बच्चन प्रसाद अंग्रेजों की गोलियों के शिकार हो गए। आजादी के अमृत महोत्सव हम मनाने जा रहे हैं तो हमारा यह दायित्व बनता है कि हम भावी पीढ़ी को इन अमर बलिदानियों के बारे में बताएं और उनके देश के प्रति निष्ठा और समर्पण को नमन करें।

पटना में उमाकांत सिंह के शहादत पर सीवान में आक्रोश की बही लहर

11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय पर जो सात सपूत शहीद हुए थे उसमें सिवान के नरेंद्रपुर गांव के उमाकांत सिंह भी शामिल थे। उनके शहादत की खबर मिलने पर पूरे सिवान में आक्रोश और उत्तेजना की लहर फैल गई। देश भक्ति की ऐसी प्रबल बयार बही कि ब्रिटिश हुकूमत का भय जाता रहा।

युवाओं ने सरकारी कार्यालयों पर फहरा दिया तिरंगा

12 अगस्त 1942 को सिवान के युवा बेहद आक्रोश में थे। उन्होंने फिरंगी पुलिस की मौजूदगी के बावजूद शहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और लगभग सभी कार्यालयों पर तिरंगा फहरा दिया।

फिरंगियों ने उतारा तिरंगा, उत्तेजित हो गए आंदोलनकारी

13 अगस्त 1942 को सुबह से ही शहर में आज पास के गांव से देशभक्त युवाओं और छात्रों की भारी भीड़ उमड़ने लगी। हर गली मुहल्ले से जुलूस निकलने लगे। इसी बीच खबर आई कि सरकारी कार्यालयों से अंग्रेज अधिकारियों द्वारा तिरंगा उतार लिया गया है। इससे आंदोलनकारी और भी उत्तेजित हो गए। सभी सरकारी इमारतों पर पुनः तिरंगा लहराने के संकल्प के साथ आजादी के दीवानों की भीड़ आगे बढ़ने लगी।

फिर सरकारी कार्यालयों पर फहराया तिरंगा

आजादी के दीवानों ने फिरंगी पुलिस बंदोबस्त को नजरंदाज करते हुए बच्चन प्रसाद, झगरू साह ने अनुमंडल, कचहरी और डाकघर कार्यालय पर तिरंगा फहरा दिया। इसी बीच फिरंगी पुलिस ने कचहरी परिसर को खाली करने का फरमान जारी कर दिया। लोगो को धमकाया गया, लाठी चार्ज भी हुआ। साथ ही साथ कई युवा गिरफ्तार हुए और उनपर फिरंगी पुलिस ने जुल्म ढाया।

आमसभा में भाग लेने की आंदोलनकारियों ने की अपील

फिरंगी पुलिस के जुल्म से आंदोलनकारी और भी उत्तेजित हो गए। लोगों से जुबली सराय जो आज शहीद सराय के नाम से जाना जाता है, की आमसभा में भाग लेने की अपील करने लगे।

बौखलाया ब्रिटिश प्रशासन

आमसभा की खबर से ब्रिटिश प्रशासन बौखला गया। आनोलंकारियों के जत्थों के पहुंचने के पूर्व ही फिरंगी सशस्त्र पुलिस की एक टुकड़ी जुबली सराय पहुंच गई, जिसके प्रभारी दंडाधिकारी एम सी मिश्र थे। पहुंचते ही फिरंगी पुलिस ने सराय गेट पर कब्जा कर लिया। इधर आंदोलनकारियों के जत्थे ने आते ही गेट पर तिरंगा फहराया और लोगों से भीतर चल सभा करने की अपील की गई।

फिरंगी पुलिस ने बरसाई अंधाधुंध गोलियां

आंदोलनकारियों की बढ़ती भीड़ और अपने आदेश की नाफरमानी होते देख भयभीत दंडाधिकारी ने लाठी चार्ज और गोली चलाने का आदेश दिया। गोलियों की बौछार से कई लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल बच्चन प्रसाद, छट्ठू गिरि तथा झगरू साह सदर अस्पताल में भर्ती किए गए ।जहां झगरू साह और छट्ठू गिरि उसी दिन और बच्चन प्रसाद 16 अगस्त 1942 को शहीद हो गए।

आजादी के अमृत महोत्सव पर हम सभी नागरिकों का दायित्व बनता है कि हम झगरू साह, छट्ठू गिरि और बच्चन प्रसाद के अमर बलिदान को नमन करें। साथ ही, भावी पीढ़ी को इन अमर शहीदों के बारे में बताएं। उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के देश के प्रति त्याग की बानगी को बताए। ताकि उनके अंदर भी देश प्रेम की भावना जागृत हो सके। हम व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर कई पोस्ट शेयर करते हैं। इस पोस्ट को शेयर करके भी हम अपने सीवान के अमर बलिदानियों की संघर्ष गाथा को प्रसारित कर देशभक्ति की बयार बहा सकते हैं।

(साभार आदरणीय मुरलीधर शुक्ला जी)

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