पंचायत राज संशोधन अध्यादेश को मिली राज्यपाल की मंजूरी, 16 जून से परामर्शी समिति देखेगी कामकाज, जानिये कैसे बनेगी परामर्शी समितियां
श्रीनारद मीडिया, कृष्ण कुमार रंजन, आरा, (बिहार):
सरकार की इस अध्यादेश से उसे बिना वेतन के काम करने वाले ढाई लाख से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधि मिल गए है पंचायत प्रतिनिधियों के वेतन पर प्रतिवर्ष होने वाले लगभग 259 करोड़ रुपए की सरकार को शुद्ध बचत होगी जिससे जनता के विकास के जुड़े दूसरे कार्य संपन्न होंगे।
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में बदलाव के लिए बिहार सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिल गयी है. राज्यपाल फागू चौहान की मंजूरी के बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है. 15 जून को निर्वाचित पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 16 जून से बिहार में ग्राम पंचायतों से लेकर पंचायत समिति और जिला परिषद का काम नये तरीके से चलेगा. हालांकि पावर मुखिया से लेकर प्रखंड प्रमुख औऱ जिला परिषद अध्यक्ष के हाथों में वैसे ही रहेगा, जैसे पहले था.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मंगलवार को ही कैबिनेट से बिहार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश पास किया था. अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था. राज्यपाल ने उसे आनन फानन में मंजूरी दी औऱ फिर सरकार ने बिना समय गंवाये बुधवार को नये संशोधन अध्यादेश की अधिसूचना जारी कर दी. इस अध्यादेश में कहा गया है कि जब कभी भी बिहार में पंचायत चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो पायेंगे तो इसी व्यवस्था के तहत पंचायती राज संस्थाओं का काम चलेगा।
ग्राम पंचायत
बिहार में पिछले दफे हुए चुनाव के समय 8 हजार 442 ग्राम पंचायत थे. लेकिन सरकार ने कई ग्राम पंचायतों को नगर निकायों में शामिल कर दिया. लिहाजा अब सिर्फ 8हजार 336 ग्राम पंचायत बचे हैं. इन ग्राम पंचायतों में 16 जून से परामर्शी समिति पंचायत का कामकाज देखेगी. पंचायतों की परामर्शी समिति का स्वरूप इस तरह का होगा.
सामान्य क्षेत्रों में पंचायत परामर्शी समिति के प्रमुख निवर्तमान मुखिया होंगे. पंचायत के सभी निवर्तमान वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, बीडीओ द्वारा नामित पंचायत क्षेत्र का एक निवासी औऱ राज्य-केंद्र, सेना, रेल या किसी सार्वजनिक उपक्रम से रिटायर्ड व्यक्ति इस समिति के मेंबर होंगे. वहीं अधिसूचित क्षेत्रों में मुखिया पंचायत परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे और वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव सदस्य होंगे. मुखिया को ग्राम पंचायत परामर्शी समिति का प्रधान कहा जायेगा. उन्हें वो सभी अधिकार होंगे जो एक निर्वाचित मुखिया को होता है. परामर्शी समिति की बैठक में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी,अंचल निरीक्षक औऱ प्रखंड समन्वयक सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होंगे लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा. सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग औऱ उसे विभाग के संज्ञान में लाने की जिम्मेवारी इन अधिकारियों की होगी.
पंचायत समिति
प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति काम करती है. 15 जून के बाद वहां भी परामर्शी समिति काम देखेगी. इसके प्रधान प्रखंड प्रमुख होंगे. उनका पदनाम होगा-प्रधान परामर्शी समिति, पंचायत समिति. उनके पास वे सारे अधिकार होंगे जो प्रखंड प्रमुख का होता है. पंचायत समिति के सारे निवतर्मान सदस्य इस परामर्शी समिति के सदस्य होंगे. सदस्यों में बीडीओ से लेकर प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी औऱ दूसरे सरकारी अधिकारी भी शामिल होंगे. लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा. वे सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर परामर्शी समिति में मौजूद रहेंगे.
जिला परिषद
जिला परिषद की जगह परामर्शी समिति, जिला परिषद काम करेगा. जिला परिषद अध्यक्ष ही इस परामर्शी समिति के प्रमुख होंगे औऱ उन्हें वही अधिकार मिलेंगे जो पहले से था. सारे जिला परिषद सदस्य इस परामर्शी समिति के सदस्य होंगे. जिले के डीडीसी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी भी इसके मेंबर होंगे लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा. वे सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगें.
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