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कोरोना से ठीक हुए मरीजों की होगी टीबी की जांच, टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि होने का कोई साक्ष्य नहीं - श्रीनारद मीडिया

कोरोना से ठीक हुए मरीजों की होगी टीबी की जांच, टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि होने का कोई साक्ष्य नहीं

कोरोना से ठीक हुए मरीजों की होगी टीबी की जांच, टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि होने का कोई साक्ष्य नहीं
• टीबी के लिए पहचान किये गये मरीजों की कोविड जांच भी जरूरी
• केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी किया निर्देश

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श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा (बिहार):


छपरा  जिले में कोरोना संक्रमित या कोरोना से ठीक हुए मरीजों की टीबी की जांच की जायेगी। इसके साथ टीबी जांच में पहचान किये गये मरीजों की कोविड टेस्ट भी किया जायेगा। इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए क्षय रोग (टीबी) की जांच और पहचान किए गए सभी टीबी मरीजों के लिए कोविड-19 परीक्षण की सिफारिश की है। अगस्त 2021 तक बेहतर निगरानी और टीबी व कोविड-19 के मामलों का पता लगाने के प्रयासों में एकरूपता लाएं। इसके अलावा, मंत्रालय ने टीबी-कोविड और टीबी-आईएलआई/एसएआरआई की द्वि-दिशात्मक जांच की जरूरत को दोहराने के लिए कई सलाह और मार्गदर्शन भी जारी किए हैं।
टीबी मरीजों की खोज अभियान से प्रभाव को कम करने का प्रयास:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 संबंधित प्रतिबंधों के प्रभाव के चलते 2020 में टीबी के मामलों की अधिसूचना में लगभग 25 फीसदी की कमी आई थी, लेकिन सभी राज्य ओपीडी समायोजन में गहन मामले की खोज के साथ-साथ समुदाय में सक्रिय मामले की खोज अभियानों के माध्यम से इस प्रभाव को कम करने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। इससे अतिरिक्त, वर्तमान में यह बताने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं कि कोविड-19 के कारण टीबी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है या मामले खोजने के प्रयासों में वृद्धि हुई है।
टीबी और कोरोना दोनों संक्रामक बीमारी:
क्षय रोग (टीबी) और कोविड-19 की दोहरी रुग्णता को इस तथ्य के जरिए और अधिक सामने लाया जा सकता है कि दोनों बीमारियों को संक्रामक रोग के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं| ये खांसी, बुखार व सांस लेने में कठिनाई जैसे समान लक्षण पैदा करते हैं| हालांकि टीबी से संक्रमित होने की अवधि लंबी होती और इस बीमारी की शुरुआत की गति धीमी होती है।

निष्क्रिय अवस्था में शरीर में मौजूद रहता है टीबी का रोगाणु:
टीबी के रोगाणु निष्क्रिय अवस्था में मानव शरीर में मौजूद हो सकते हैं और किसी भी कारण से व्यक्ति की प्रतिरक्षा कमजोर होने पर इसके रोगाणु में कई गुणा बढ़ोतरी होने की क्षमता होती है। समान रूप से ये चीजें कोविड के बाद के परिदृश्य में लागू होती हैं, जब वायरस के कारण या इलाज, विशेष रूप से स्टेरॉयड जैसी प्रतिरक्षा-कम करने वाली दवा के चलते किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा कम विकसित हो सकती है। सार्स-सीओवी-2 संक्रमण एक व्यक्ति को सक्रिय टीबी बीमारी विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील बना सकता है, क्योंकि टीबी ब्लैक फंगस की तरह एक अवसरवादी संक्रमण है।

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