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फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मिला दिव्यांगता प्रमाणपत्र, मरीजों में आई खुशियां  - श्रीनारद मीडिया

फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मिला दिव्यांगता प्रमाणपत्र, मरीजों में आई खुशियां 

फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मिला दिव्यांगता प्रमाणपत्र, मरीजों में आई खुशियां

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हाथीपांव से ग्रसित मरीजों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने वाला बिहार का पहला जिला बना पूर्णिया:
केंद्र व राज्य सरकार के सभी दिव्यांग योजनाओं का मिलेगा लाभ:
जिले के 12 हाथीपांव मरीजों को मिला यूआईडी नम्बर:
अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर दिलाया गया मरीजों को सुविधा:
नेटवर्क मेंबर द्वारा फाइलेरिया के प्रति किया जा रहा लोगों को जागरूक:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


फाइलेरिया (हाथीपांव) से ग्रसित होने पर मरीज जीवन भर दिव्यांगता का शिकार रहते हैं, पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें दिव्यांगता की श्रेणी में नहीं जोड़ा जाता था। लेकिन अब हाथीपांव मरीजों को भी दिव्यांगता की श्रेणी में जोड़ा गया है। अब उनसभी मरीजों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा ताकि उन्हें केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके। हाथीपांव मरीजों को दिव्यांगता की श्रेणी में जोड़ने वाला पूर्णिया पूरे बिहार में पहला जिला बना। सोमवार को जिले के 12 हाथपांव ग्रसित मरीजों को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में अस्पताल अधीक्षक डॉ. वरुण कुमार ठाकुर ने दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया । प्रमाणपत्र मिलने से सभी मरीजों के चेहरे पर खुशी की लहर दिखाई दी । इसके लिए सभी मरीजों ने सिविल सर्जन पूर्णिया डॉ. अभय प्रकाश चौधरी व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल सहित उन सभी अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापन किया जिनके कारण उन्हें इसका लाभ मिल सका।

जिले के 12 हाथीपांव मरीजों को मिला प्रमाणपत्र:
सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि राज्य निःशक्तता आयुक्त के निर्देश पर हाथीपांव से ग्रसित मरीजों को दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया गया है । पूर्णिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके लिए विभाग से अपील की गई थी जिसकी अनुमति मिल गई। इस प्रकार पूर्णिया बिहार का पहला जिला बना जहां हाथीपांव ग्रसित मरीजों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया गया। सोमवार को 12 हाथीपांव ग्रसित मरीजों को यूआईडी नम्बर के साथ दिव्यांगता प्रमाणपत्र दे दिया गया जिसमें के. नगर प्रखंड से 04, पूर्णिया पूर्व प्रखंड से 03, धमदाहा प्रखंड से 03 व डगरुआ प्रखंड से 02 मरीज शामिल रहे। प्रमाणपत्र मिलने से अब उन सभी मरीजों को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजनों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिल सकेगा ।

गंभीरता के आधार पर मिलेगा प्रमाणपत्र:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि हाथीपांव मरीजों को गंभीरता के आधार पर श्रेणी तय कर दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। इसके लिए चार तरह के ग्रेड तय किए गए हैं। उन ग्रेड के आधार पर मरीजों को प्रमाणपत्र मिलेगा जिसके अनुसार उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर मरीजों को सभी सरकारी योजनाओं के आरक्षण, रेलवे यात्रा या अन्य दिव्यांगजनों को मिलने वाला लाभ उपलब्ध हो सकेगा।

अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर दिलाया गया मरीजों को सुविधा:,
हाथीपांव के मरीजों को भी दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया जाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा भरसक प्रयास किया गया। इस कार्य में केयर इंडिया ने भी भरपूर योगदान दिया । केयर इंडिया के डीपीओ भीएल चंदन कुमार सिंह ने बताया कि हाथीपांव रोगियों को लोकोमोटर विकलांगता के तहत प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। यह यूआईडी नंबर प्रमाण पत्र धारक को केंद्र और राज्य सरकार के अनुसार उपलब्ध सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने में मदद करेगा। जिले में जितने भी मरीज हाथीपांव से ग्रसित हैं उनसभी मरीजों की पहचान कर उन्हें गंभीरता के आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा जिससे कि उन्हें लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि जिले में हर माह दूसरे और चौथे शनिवार को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में कैम्प का आयोजन कर हाथीपांव ग्रसित मरीजों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

नेटवर्क मेंबर द्वारा फाइलेरिया के प्रति किया जा रहा लोगों को जागरूक:
फाइलेरिया बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप चलाया जा रहा है। ग्रुप में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही फाइलेरिया के मरीजों को शामिल कर ग्रामीण स्तर पर नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क द्वारा स्थानीय लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है जिससे कि कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित न हो सके। अगर किसी व्यक्ति को फाइलेरिया होने के लक्षण दिखाई देते हैं तो नेटवर्क के सहयोग से उसकी तत्काल जांच करवाते हुए चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने में सहयोग किया
जाता है।

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