परिवहन विभाग के पत्र से ही खुली पटना डीटीओ की पोल…साल भर में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ ‘खानापूर्ति’

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श्रीनारद मीडिया‚ स्टेट डेस्क‚ पटना ः

बिहार की राजधानी पटना में  परिवहन कार्यालय में दो साल पहले बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई थी.  सालों से चले रहे करोड़ों के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. इसके बाद परिवहन विभाग ने जांच टीम गठित की थी. जांच टीम की रिपोर्ट के बाद तत्कालीन डीटीओ व लिपिक को निलंबित किया गया था. अब साल भर बाद दोषी अन्य के खिलाफ गांधी मैदान थाने में मुकदमा किया गया है. हालांकि जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए विभाग ने वर्तमान डीटीओ को जिम्मेदारी दी थी. साल भर बाद भी डीटीओ ने खास कार्रवाई नहीं की. इसके बाद विभाग ने 24 मार्च को अंतिम पत्र लिखा और डीटीओ की भूमिका पर ही सवाल खड़े कर दिया. इसके बाद पटना के परिवहन अधिकारी हरकत में आए। साल भर तक कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती रही. विभाग के पत्र से ही इस बात की पुष्टि हो रही है.

विभाग के पत्र से डीटीओ की खुली पोल

परिवहन विभाग के उप सचिव ने जिला परिवहन पदाधिकारी को 24 मार्च को अंतिम पत्र लिखा. विभाग के अंतिम पत्र में पूर्व में भेजे गए 4 पत्रों का उल्लेख है. उप सचिव ने अपने पत्र में कहा कि जिला परिवहन कार्यालय पटना में bs4 वाहनों की गलत ढंग से इंट्री की शिकायत थी. जांच के लिए मुख्यालय स्तर से कमेटी गठित की गई थी. जांच रिपोर्ट पूर्व में ही आपको उपलब्ध कराया गया था. इस आलोक में आपके द्वारा जो प्रतिवेदन दिया गया वह अस्पष्ट है. एक वर्ष बीतने को है, आपके द्वारा अब जाकर रिपोर्ट दी गई है कि वाहन स्वामियों के जवाब-साक्ष्य की समीक्षा के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. परिवहन विभाग के उप सचिव ने पटना डीटीओ को लेकर लिखा कि ”वस्तुतः आपके द्वारा इस जांच प्रतिवेदन के आधार पर वाहन स्वामियों को नोटिस निर्गत करने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई, ऐसा ही प्रतीत हो रहा है.”

15 दिनों में रिपोर्ट दें डीटीओ

विभाग के पत्र में कहा गया है कि जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि वाहन-4 सॉफ्टवेयर में bs4 वाहनों की गलत तरीके से इंट्री की गई. वैसे वाहनों को वाहन-4 में रजिस्टर किया गया जिनका निबंधन नहीं होना था. इसके लिए वाहनों का चेचिस नंबर-इंजन नंबर में छेड़छाड़ किया गया. साथ ही डीलरों को पूर्व में आवंटित निबंधन संख्या में अनुप्रयुक्त निबंधन संख्या का फर्जी तरीके से उपयोग की बात सामने आई है. ऐसे में पटना डीटीओ कार्यालय में जालसाजी की गई. जिसके लिए मुख्य रूप से लिपिक, प्रोग्रामर एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर दोषी प्रतीत होते हैं. जिनके लॉगइन आईडी से गलत रूप से बैकलॉग इंट्री की गई. ऐसे में इसके लिए जिम्मेदार लिपिक,प्रोग्रामर, के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें. साथ ही इस सेवा को वापस किया जाए. जांच टीम ने वाहन विक्रेताओं का जिक्र किया है,ऐसे में उनका ट्रेड सर्टिफिकेट स्थगित करते हुए शो-कॉज करें. साथ ही उनकी संलिप्तता के संबंध में 15 दिनों के अंदर विभाग को रिपोर्ट दें. इसके साथ ही वाहन सॉफ्टवेयर के माध्यम से सभी वाहनों के संदर्भ में मोटर यान अधिनियम की धाराओं के तहत 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करें. परिवहन विभाग के तल्ख पत्र के बाद पटना डीटीओ ने जिम्मेदार डाटा इंट्री ऑपरेटरों की सेवा को वापस कर दिया है. साथ ही गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि साल भर तक कार्रवाई के नाम पर पटना के डीटीओ ने खानापूर्ति क्यों की ? इस संबंध में जब पटना डीटीओ से पक्ष जानने की कोशिश की गई तो न उन्होंने फोन रिसीव किया और न ही व्हाट्सअप्प का जवाब दिया.

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