पटना हाईकोर्ट ने अगमकुआं पुलिस के कार्यकलाप पर गंभीर रुख अपनाते हुए पटना के एसएसपी को कोर्ट में स्वयं उपस्थित होने का आदेश दिया
प्राथमिकी दर्ज होने के चार साल बीत जाने के बाद भी अंतिम प्रपत्र क्यों नहीं दायर किया जा सका
श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, स्टेट डेस्क:
पटना : पटना हाईकोर्ट ने अगमकुआं पुलिस के कार्यकलाप पर गंभीर रुख अपनाते हुए पटना के एसएसपी को कोर्ट में स्वयं उपस्थित होकर बताने के लिए कहा है कि प्राथमिकी दर्ज होने के चार साल बीत जाने के बाद भी अंतिम प्रपत्र क्यों नहीं दायर किया जा सका। हाईकोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई की पुलिस के ढीले ढाले रवैये से याचिकाकर्ता को उसके पति की पेंशन का लाभ नहीं मिल सका। इस वजह से उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं और दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़े। न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने सावित्री देवी की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना के एसएसपी से स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर 2018 में दायर प्राथमिकी में अब तक अंतिम प्रपत्र दायर क्यों नहीं किया गया?
याचिकाकर्ता के पति डा. शशि भूषण पांडेय पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में सहायक निदेशक के पद से 2008 में सेवानिवृत्त हुए थे। याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि उनके पति अल्जाइमर नामक रोग से ग्रसित थे, जिसकी वजह से उन्हें याददाश्त की समस्या थी। वे 20.12.18 को शनि मंदिर, भूतनाथ रोड (पटना) से लापता हो गए थे। इसके विरुद्ध उनके पुत्र ने उसी दिन अगमकुआं थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई। चार वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो उनका कुछ पता चला और न तो पुलिस ने अनुसंधान के संदर्भ अंतिम प्रपत्र दायर किया, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता को उसके पति की पेंशन का लाभ चार साल तक नहीं मिल सका। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अपूर्व हर्ष ने कोर्ट को बताया कि पुलिस के उदासीन रवैये से याचिकाकर्ता को उसके पति की पेंशन चार साल तक नहीं मिल सकी है।
पुलिस के रवैये से नहीं मिल सकी पेंशन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने 24.02.1990 को राज्य सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना संदर्भ देते हुए कहा कि यदि संबंधित सरकारी पेंशनर के आश्रित परिवार द्वारा निकटवर्ती थाने में उसके लापता होने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो और और पुलिस प्रतिवेदन से यह प्रमाणित होता हो कि सभी संभव प्रयास एवं खोजबीन के बावजूद उसके लापता होने की बात सही है तो सर्वप्रथम सरकारी सेवक द्वारा पूर्व में दिए गए नामांकन पत्र के आधार पर उसके आश्रित परिवार को बकाए वेतन, भविष्य निधि खाते में संचित राशि और अव्यदहृत छुट्टी के बदले में छुट्टी वेतन क्या है समतुल्य नगद राशि का भुगतान तुरंत किया जाए। इसके लिए किसी न्यूनतम अवधि का पूरा होना जरूरी नहीं है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुलिस के ढीले ढाले रवैये से याचिकाकर्ता को उसके पति की पेंशन नहीं मिल सकी क्योंकि अभी तक पुलिस ने अंतिम प्रपत्र नहीं जारी किया है। इस पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना के एसएसपी को सोमवार को कोर्ट में हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
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