गजकेसरी सहित सात दुर्लभ योगों में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरूक्षेत्र (हरियाणा):
माघ स्नान शुरू।
भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा अर्चना से सुखों में होता है इजाफा।
कुरुक्षेत्र : ज्योतिष में चंद्रमा को मन एवं द्रव्य पदार्थों का कारक माना जाता है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने संपूर्ण रूप में होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क में पड़ता है। पौष पूर्णिमा के बाद से ही माघ माह की शुरुआत हो जाती है और इस दिन से ही पवित्र माघ स्नान शुरू हो जाता है।
इस दिन गुरु पुष्य योग समेत सात दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिसमें पूजा और खरीदारी से लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी,पौष पूर्णिमा 25 जनवरी 2024, गुरुवार को है. ये मोक्षदायिनी पूर्णिमा मानी जाती है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से कई जन्मों का पाप धुल जाते हैं।
इस साल 2024 में पौष पूर्णिमा बहुत शुभ संयोग लेकर आ रही है। इस दिन पूजा-पाठ के अलावा शुभ चीजों की खरादारी करने का संयोग बन रहा है, इससे मां लक्ष्मी साधक पर मेहरबान होंगी। शुभ योग और महत्व
पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा पर ‘गुरु पुष्य योग’ समेत 7 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, प्रीति योग, रवि योग, गुरुवार और त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। गुरु पुष्य योग में मां लक्ष्मी की पूजा और सोना-चांदी, भूमि, वाहन, संपत्ति आदि खरीदने से उसमें समृद्धि होती है. लक्ष्मी जी घर में वास करती हैं।
गुरु पुष्य योग – 25 जनवरी, सुबह 08.16 – 26 जनवरी सुबह 07.12
सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन।
अमृत सिद्धि योग – 25 जनवरी, सुबह 08.16 – 26 जनवरी, सुबह 07.12 तक
प्रीति योग – 25 जनवरी, सुबह 07.32 – 26 जनवरी, सुबह 07.42
रवि योग – सुबह 07.13 – सुबह 08.1
त्रिग्रही योग – पौष पूर्णिमा पर बुध, मंगल और शुक्र तीनों ग्रह धनु राशि में विराजमान होंगे, इससे त्रिग्रही योग बनेगा. ये योग पद-प्रतिष्ठा दिलाता है और भाग्योदय करता है।
गुरुवार – पूर्णिमा पर भगवान सत्यानारायण (श्रीहरि के स्वरूप) की पूजा-कथा फलदायी मानी जाती है। ऐसे में इस दिन गुरुवार का संयोग व्रती को दोगुना लाभ देगा, क्योंकि गुरुवार श्रीहरि का दिन कहलाता है। ऐसे में मां लक्ष्मी की साधक पर कृपा बरसेगी।
पौष पूर्णिमा मुहूर्त
पौष पूर्णिमा तिथि शुरू 24 जनवरी रात 09.49
पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त 25 जनवरी 2024, रात 11.23
चंद्रोदय समय शाम 05.29 व्रत विधि
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें।
आप घर पर भी पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
फिर ब्राह्मणों और गरीबों में दान-दक्षिणा दें।
पौष पूर्णिमा पर इन वस्तुओं का करें दान।
पौष पूर्णिमा के दिन तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दान केवल जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए।
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