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विकास एवं वृद्धि के लिए शांति एवं स्थिरता अनिवार्य है- एस जयशंकर - श्रीनारद मीडिया

विकास एवं वृद्धि के लिए शांति एवं स्थिरता अनिवार्य है- एस जयशंकर

विकास एवं वृद्धि के लिए शांति एवं स्थिरता अनिवार्य है- एस जयशंकर

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

23वें एससीओ समिट की मेजबानी इस बार पाकिस्तान में हुआ. भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान गए थे. भारत वापस लौट आए. वहीं सम्मेलन के दूसरे दिन एस जयशंकर ने पाकिस्तान को उसी की धरती पर परोक्ष रूप से कड़ा संदेश दिया. अपने संदेश में जयशंकर ने तीन बुराइयों का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की परोक्ष रूप से लताड़ लगाई.

विदेश मंत्री ने कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की तीन बुराइयों पर आधारित होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार और संपर्क पहलों में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर ईमानदारी से बातचीत करना आवश्यक है.

जयशंकर ने गिनाई ‘तीन बुराइयां’

अपने पाकिस्तान दौरे और एससीओ सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़े हैं तो उनके साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आपसी लेनदेन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है. जयशंकर ने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभुता की समानता पर आधारित होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यदि समूह आपसी भरोसे के आधार पर मिलकर आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य देशों को काफी लाभ हो सकता है. बता दें, सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जयशंकर से हाथ मिलाया और शिखर सम्मेलन स्थल जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में उनका और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया.

चार्टर का सख्ती से पालन करें सभी सदस्य देश- जयशंकर

एससीओ की बैठक में भारत के विदेश मंत्री ने एससीओ के प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को समूह के चार्टर का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के भाव को मजबूत करने करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि एक तरफा एजेंडे पर. अगर हम वैश्विक व्यवस्था, खासकर व्यापार और पारगमन के क्षेत्रों में अपने फायदे के हिसाब से चयन करेंगे तो सहयोग आगे नहीं बढ़ सकता. विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को व्यापार एवं संपर्क सुविधा जैसे अहम मुद्दों पर चीन के आक्रामक रवैये के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है.

जयशंकर ने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और समानता पर आधारित होना चाहिए तथा इसमें राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए। विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। जयशंकर ने कहा कि सहयोग के लिए भरोसा महत्वपूर्ण है और यदि समूह मिलकर आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य देशों को काफी लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभुता की समानता पर आधारित होना चाहिए।

जयशंकर ने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और समानता पर आधारित होना चाहिए तथा इसमें राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए। विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। जयशंकर ने कहा कि सहयोग के लिए भरोसा महत्वपूर्ण है और यदि समूह मिलकर आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य देशों को काफी लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभुता की समानता पर आधारित होना चाहिए।

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