चुनाव परिणाम को लेकर जनता में उत्सुकता चरम पर

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सीवान लोकसभा से सांसद बनने का सभी प्रत्याशी कर रहे दावा,

अपने अपने पक्ष में सियासी समीकरण कर रहे प्रस्तुत

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में छठे चरण के अंतर्गत सीवान लोकसभा का चुनाव 25 मई, 2024 को संपन्न हुआ। निर्वाचन आयोग एवं प्रशासन के अहर्निश परिश्रम का ही परिणाम रहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं भय मुक्त वातावरण में इस लोकतंत्र का महान पर्व संपन्न हुआ। बिहार की चालीस लोकसभा में से सीवान सीट के लिए उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणात्मक लड़ाई देखी जा सकती है।

इस लोकसभा में कुल तेरह प्रत्याशी अपने भाग्य की परीक्षा ले रहे है लेकिन मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की श्रीमती विजयलक्ष्मी कुशवाहा और निर्दलीय प्रत्याशी हेना शहाब के बीच माना जा रहा है। परंतु इंडिया गठबंधन के राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं सीवान सदर के विधायक अवध बिहारी चौधरी लड़ाई को त्रिकोणात्मक बना रहे है।

चुनाव संपन्न हो चुके है, मतगणना 4 जून को होना निश्चित है।विशेषज्ञों की माने तो जिस उम्मीदवार को चार से साढे चार लाख मत प्राप्त हो जाएंगे, वह विजय श्री का माला पहनेगा और सीवान के सांसद के रूप में देश की संसद में वह प्रतिनिधित्व करेगा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से बिहार में राजग गठबंधन में जदयू, भाजपा, लोजपा, हम और रालोसपा जैसे दल है।

इसमें भाजपा 17 स्थान पर जदयू 16, लोजपा पांच, हम एक, रालोसपा एक स्थान पर चुनाव लड़ रही है। इसमें सीवान लोकसभा क्षेत्र में जदयू की ओर से श्रीमती विजय लक्ष्मी कुशवाहा पति रमेश सिंह कुशवाहा पूर्व विधायक जीरादेई को टिकट मिला है।

एनडीए के जीत के दावा का आधार

सिर मुड़ाते ही ओले पड़े के कहावत को चरितार्थ करते हुए जनता ने रमेश सिंह कुशवाहा को सवर्ण का हत्यारा सीवान में माले का जन्मदाता, अगड़ों का विरोधी जैसे विशेषणों से विभूषित किया। किंतु भाजपा संगठन जी-जान से चुनाव में लगा रहा। सबसे बढ़कर सीवान के लाल व बिहार सरकार के वरीय मंत्री मंगल पाण्डेय सैकड़ो सभा एवं गोष्ठियां करके एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, मंत्री लेसी सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं ने धुंआधार प्रचार किया।

चुनाव संपन्न हो चुका है, मतगणना का इन्तजार है। 18 लाख 91 हजार मतदाता में से 52.50% वोटरों ने अपने मतों का प्रयोग किया है यानी नौ लाख छियानवें हजार मत पड़े हैं। एनडीए की ओर से कहा जा रहा है कि हमारे प्रत्याशी श्रीमती विजयलक्ष्मी कुशवाहा को साढे चार लाख मत प्राप्त हो रहे हैं। जबकि सीवान लोकसभा में साढे तीन लाख मुस्लिम, तीन लाख बीस हजार वैश्य, तीन लाख पच्चीस हजार दलित, 2,25,000 यादव, 1,70,000 पिछड़ी जातियां, 2,25,000 राजपूत, , 60000 ब्राह्मण, 70,000 भूमिहार और 47,000 कायस्थ वोटर है।

एनडीए प्रत्याशी के पति के बारे में पुरजोर ढंग से कुछ सवर्ण समाज विशेष कर राजपूत, ब्राह्मण एवं भूमिहारों द्वारा कहा गया कि उन्होंने सीवान 1990 के दशक में आईपीएफ की शुरुआत की। वह माले से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़े। एक बार जीरादेई विधान सभा (2015-2020) का नेतृत्व किया। सोशल मीडिया पर उनके द्वारा किए गए 46 हत्याओं की एक सूची प्रेषित भी की गई। ऐसे में कहा जा रहा है कि राजग के कोर वोटरों में से कुछ सवर्ण मतदाता नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में चले गये।

साथ ही राजपूत जदयू आला कमान से इस बात को लेकर नाराज रहे कि पार्टी ने दोबारा निवर्तमान सांसद कविता सिंह पति अजय सिंह को टिकट क्यों नहीं दिया? जबकि शिवहर में लवली आनंद के टिकट फाइनल होने के साथ ही यह तय हो गया था कि जदयू अब किसी सवर्ण समाज के प्रत्याशी को टिकट नहीं देगी। कविता सिंह बारे में ऐसा फीडबैक दिया गया कि उन्होंने पिछली बार पांच वर्षों में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जो जनता की दृष्टि में आ जाए। जैसे नगर स्थित सिसवन रेलवे क्रॉसिंग पर ऊपरी पार पथ बनवाने का मामला हो या श्रीनगर रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनवाने का विषय। परंतु उन्होंने संसद में कई बार उक्त मामले को उठाया था।

इंडी गठबंधन के जीत का दावा

इंडी गठबंधन ने सीवान लोकसभा की सीट राष्ट्रीय जनता दल के पाले में डाल दिया। जिस पर पार्टी ने अपने कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को काफी विचार विमर्श के बाद टिकट दिया गया। चौधरी जी 1985 से 2005 फरवरी तक लगातार पांच बार सीवान सदर विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद लगातार तीन बार भाजपा के व्यास देव प्रसाद से हार गए लेकिन 2020 के चुनाव में मामूली 1864 वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार व पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव से विजयी हुए।

सीवान सदर यादव मुसलमान कुशवाहा बहुल क्षेत्र है। यह मान्यता है कि यहां से कोई यादव या कुशवाहा ही चुनाव को जीत पाएगा। चौधरी जी घोषित तौर पर पिछड़ों के नेता है। राष्ट्रीय जनता दल के वोट बैंक का समीकरण इस बार सीवान में टूट गया है। इस तरह पार्टी का कोर वोटर मुसलमान इंडी गठबंधन से छिटक गया है। महागठबंधन के वोटर कह रहे हैं कि हमारी उम्मीदवारों की साथ छवि 17 महीने का तेजस्वी यादव का रोजगार देने का कार्यकाल एवं राज रजत के विकास कार्य पर जनता उन्हें अपना आशीर्वाद देगी।

ऐसा माना जा रहा है कि सीवान लोकसभा में 2,25,000 यादव मतदाता है जिसमें से एक लाख यादव का वोट, 50000 माले का वोट एवं अन्य का 25000 मत चौधरी जी को मिलते कुल 1,75,000 वोट मिलने की उम्मीद है। अगर इससे अधिक उन्हें मिलता है तो वह निर्दलीय प्रत्याशी एवं राजग प्रत्याशी के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो गये है तो इसका खामियाज़ा दोनों प्रत्याशियों को भुगतान पड़ेगा।

निर्दलीय प्रत्याशी के जीत के दावा का आधार

पूरे देश में मोदी की सुनामी है लेकिन सीवान में 399 प्लस एक का लहर चल रहा है। एक माँ केवल अपने बच्चों को असह्य पीड़ा से जन्म ही नहीं देती बल्कि पुत्र के लिए जीवन में और परिश्रम करती है। इसकी बानगी सीवान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हेना शाहब के जीतोड़ मेहनत के रूप में देखा जा सकता है। उनके चुनावी प्रबंधन एवं रणनीति के तो सभी कायल हो गए है। तीन बार राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर सीवान लोकसभा से चुनाव लड़ चुकी हेना शहाब एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत कर रही है।

देश में 18वीं सीवान लोकसभा का चुनाव दिलचस्प दौर में पहुंच गया है। जनमानस को पूरा विश्वास है कि दिल्ली की सत्ता नहीं बदलेगी लेकिन सीवान में राजनीतिक दलों के गठबंधन के द्वारा सही प्रत्याशी नहीं दिए जाने के कारण यहां का स्वरूप बदल जाएगा।

राजग समर्थकों का मानना है कि एनडीए की तरफ से प्रत्याशी के चयन में गड़बड़ी हुई है। अत: हम सभी सवर्ण समाज के लोग निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में अपना मत किया है। ऐसे में मुस्लिम समाज के दो लाख मत सवर्ण समाज के डेढ लाख मत अन्य पचास हजार मतों के साथ कुल चार लाख वोट से निर्दलीय प्रत्याशी जीत का दावा कर रही है।

समर्थकों का मानना है कि निर्दलीय प्रत्याशी ने मुस्लिम सवर्ण समाज एवं अन्य को मिलकर ऐसी रणनीति बनाई जो इस चुनाव में अभेद्य दुर्ग साबित हुआ। सूत्रों का कहना हैं कि इन्हें प्रशांत किशोर के ‘जन स्वराज’ की टीम का समर्थन प्राप्त है। जो आईपैक के रूप में अपना समर्थन दे रही थी सीवान में एक विमर्श गढ़ा गया की 15 वर्ष से कोई विकास नहीं हुआ जो विकास की लकीर शहाबुद्दीन साहब ने खींची उसे कोई पार नहीं पाया है।

कहा गया कि उन्होंने राजेंद्र स्टेडियम बनवाया, गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछाया, डी.ए.वी कालेज परिसर में कई भवन बनाए, टाउन हॉल बनवाया, विद्या भवन महिला महाविद्यालय का निर्माण कराया, प्रभावती देवी महाविद्यालय का विस्तार किया, इंडोर स्टेडियम का निर्माण कराया। तर्क दिया गया कि टाइम्स आफ इंडिया की रिपोर्ट थी कि मोहम्मद शहाबुद्दीन अपने सांसद निधि का पूरा पैसा खर्च किया, इसके लिए उन्हें बेहतर सांसद का पुरस्कार दिया गया।

लेकिन विकास को लेकर पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा पुरजोर खंडन करते हुए कहते हैं कि उन्हें ‘विकास पुरूष’ नहीं ‘विनाश पुरूष’ की संज्ञा दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि आज जिले में 22 घंटे बिजली रहती है, अच्छी सड़कों का जाल बिछा हुआ है, कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक है एक व्यवस्थित तंत्र के रूप में क्षेत्र का विकास हो रहा है। बहरहाल सभी को 4जून की प्रतीक्षा है।

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