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ओम प्रकाश जिनका सहज अंदाज आज भी लोगों को याद है!

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ओम प्रकाश ने अपना कर‍ियर 1942 में शुरू क‍िया था

अपने करियर में उन्‍होंने 300 से ऊपर फ‍िल्‍मों में काम क‍िया

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कलाकार ओम प्रकाश का जन्म 19 दिसंबर 1919 को जम्मू में हुआ था। ओमप्रकाश ने 12 साल की उम्र में क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उन्हें सगीत के अलावा थियेटर व फिल्मों में दिलचस्पी थी।

बॉम्बे (अब मुंबई) के एक मामूली रेस्तरां में एक आदमी ने भरपेट भोजन किया और जब वेटर ने बिल पेश किया तो वह सीधे मैनेजर के पास गया और इमानदारी से स्वीकार किया कि उसके पास पैसे नहीं थे। उसने कहा कि उसने पिछले दो दिनों से नहीं खाया था और बहुत भूख लगी थी इसलिए ऐसा करने के लिए मजबूर हो गया था।

मैनेजर ने उसकी कहानी को धैर्य से सुना।आदमी ने वादा किया था कि जिस दिन उसे एक काम मिलेगा,वह बिल का निपटारा कर देगा। मैनेजर मुस्कुराया और उससे कहा “ठीक है”। और वो आदमी चला गया।वेटर ने मैनेजर से सवाल किया “साब आपने उसे जाने क्यों दिया?” मैनेजर ने जवाब दिया, “जाओ और अपना काम करो।”

कुछ महीनों बाद वही आदमी रेस्तरां में आया और अपने लंबित बिल को निपटा दिया। आदमी ने प्रबंधक को धन्यवाद दिया और उसे बताया कि उसे अभिनय का प्रस्ताव मिला है। प्रबंधक ने खुशी से उसे एक कप चाय की पेशकश की और दोनों के बीच एक दोस्ती का फूल पनप उठा ।अभिनेता जल्द ही एक जाना माना चेहरा बन गया और एक समय में कई फिल्में की।

बाद में उनके पास एक बंगला और एक शौफर-चालित कार थी। टाइम बदल गया था, लेकिन हर बार जब वह उस क्षेत्र से गुजरते,तो मैनेजर के साथ एक कप चाय के लिए रेस्तरां में ज़रूर रुकते, जिसने वर्षों पहले उनके प्रति अविश्वसनीय सहानुभूति दिखाई थी।

कई बार विश्वास ‘चमत्कार’ करता है। अगर मैनेजर उस दिन भूखे आदमी को पीटता और अपमानित करता, तो शायद उद्योग को ‘ओम प्रकाश ‘नाम का एक प्रतिभाशाली और नेचुरल अभिनेता नहीं मिलता,जो निर्माता दिग्दर्शक तक के मुक़ाम तक पहुंचा.आज उनके जन्म की 104थी सालगिरह पर इस महान और प्रेरणादायी कलाकार को सलाम पेश करते हैं.

ओमप्रकाश को ‘दासी’ फिल्म के जरिये पहला ब्रेक मिला, इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। ओमप्रकाश ने अपने करियर में आजाद,मिस मैरी, हावड़ा ब्रिज, दस लाख, प्यार किए जा, खानदान,  साधु और शैतान, गोपी, दिल दौलत दुनिया समेत कई फिल्मों में काम किया। हर फिल्म में उनका किरदार पहले से जुदा होता था। वे डायरेक्टर भी रहे। राजकपूर और नूतन जैसे स्टार्स को उन्होंने ‘कन्हैया’ में डायरेक्ट किया था।

एक्टिंग के साथ-साथ ओम प्रकाश ने फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमाया। ओमप्रकाश ने ही फिल्मों में गेस्ट रोल का चलन शुरू किया था। उन्होंने 60 के दशक में फिल्म संजोग, जहांआरा और गेटवे आफ इंडिया जैसी फिल्में बनाईं। आखिरी दिनों में वे बीमार रहने लगे थे और जानते थे कि नहीं बचेंगे। ओम प्रकाश को दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें मुंबई में ही लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां वह कोमा में चले गए। 21 फरवरी, 1998 को उन्होंने आखिरी सांस ली।

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