अल्ज़ाइमर से पीड़ित लोगों को मिल सकती है अच्छी नींद,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व अल्जाइमर दिवस 2021
अल्ज़ाइमर दिमाग़ से जुड़ी एक बीमारी है। जो मस्तिष्क की तंत्रिका को प्रभावित करता है। इससे आमतौर पर उम्रदराज़ लोग पीड़ित होते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में नौजवां भी इससे जूझते पाए गए हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का दिमाग़ ठीक तरह से काम नहीं करता है और उनकी याददाश्त बहुत कमज़ोर हो जाती है। जिससे उनका रोज़ाना का काम प्रभावित होता है। अल्ज़ाइमर एक तरह का डिमेंशिया है, जिसका पूरी तरह से इलाज नहीं हो सकता। हालांकि, इसके लक्षणो पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
क्या हैं अल्ज़ाइमर्ज़ के लक्षण
डॉ. नदीम अंसारी, जो एमबीबीएस, मनोचिकित्सा में एमडी हैं और अपना क्लिनिक वाराणसी मनश्चिकित्सा केंद्र चलाते हैं, ने अल्ज़ाइमर्ज़ के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा, ” अल्ज़ाइमर्ज़ एक तरह का डिमेंशिया है, जो स्मृति, सोच और व्यवहार से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। अल्ज़ाइमर का सबसे आम शुरुआती लक्षण है नई जानकारी को याद रखने में परेशानी होना।
जैसे-जैसे अल्ज़ाइमर मस्तिष्क के माध्यम से आगे बढ़ता है, यह भटकाव, मनोदशा और व्यवहार में बदलाव सहित गंभीर लक्षण पैदा कर देता है। इनके अलावा, घटनाओं, समय और स्थान के बारे में गहरा भ्रम, परिवार, दोस्तों और पेशेवर देखभाल करने वालों पर संदेह करना, याददाश्त काफी कमज़ोर हो जाना, व्यवहार में परिवर्तन, और बोलने, निगलने और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखते हैं।”
जो लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, उनकी नींद भी अक्सर प्रभावित होती है। इन लोगों के लिए सोने जाना और बिस्तर पर लेटे रहना तक मुश्किल हो जाता है। इन लोगों की रात में भी कई नींद टूटती है।
आज हम दे रहे हैं ऐसे टिप्स जिनकी मदद से अल्ज़ाइमर से पीड़ित व्यक्ति के केयरगिवर उनकी अच्छी नींद पाने में मदद कर सकते हैं।
1. अल्ज़ाइमर से पीड़ित व्यक्ति को रोज़ाना व्यायाम करवाना चाहिए, दिनभर में थोड़ी-थोड़ी देर नींद लेनी चाहिए और सुनिश्चित करें कि मरीज़ को रातभर अच्छी नींद आए। अगर दिनभर की थकान के बाद सही तरीके से नींद न आए, तो दूसरा दिन भी ख़राब होता है।
2. ऐसी एक्टिविटीज़ प्लान करें जिसमें सुबह के समय ज़्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल हो सके। उदाहरण के तौर पर, सुबह-सुबह नहा लें या फिर परिवार के साथ बैठकर खाना खाएं।
3. शाम के वक्त वातावरण को शांत रखें, ताकि व्यक्ति आराम कर सके। बत्तियों को धीमा रखें, शोर के स्तर को कम रखें और मन को सुकून देने वाला संगीत चलाएं, जिसे मरीज़ को आनंद आए।
4. कोशिश करें कि मरीज़ रोज़ाना रात में एक ही समय पर सोने जाए। रात में सोने से पहले किताब ज़ोर-ज़ोर से पढ़कर सुनाना मददगार साबित हो सकता है। उनके कैफीन का सेवन भी कम रखें।
5. सोने वाले कमरे, हॉल और बाथरूम में नाइटलाइट्स का उपयोग करें।
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