पीरियड्स टाइम पर भी आएंगे और दर्द भी नहीं होगा,पहले कर लें ये नुस्खा.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अनियमित पीरियड्स को मेडिकल भाषा में ओलिगोमेनोरिया भी कहा जाता है, जिसे महिलाओं में काफी आम समस्या माना जाता है। मगर, लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स हार्मोनल असंतुलन, तनाव, थकान का कारण बन सकते हैं इसलिए पीरियड्स चक्र को सही करना बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट की मानें तो काले तिल अनियमित पीरियड्स को सही करने में मददगार साबित हो सकते हैं। चलिए आपको बताते हैं कैसे…
क्या पीरियड्स में ले सकते हैं काले तिल?
एक्सपर्ट के मुताबिक, तिल के बीज शरीर में गर्मी पैदा करते हैं जिससे मासिक धर्म नियमित होता है और मासिक धर्म के दर्द से राहत मिलती है। मगर, काले तिल को कम मात्रा में ही खाना चाहिए क्योंकि यह शरीर में बहुत अधिक गर्मी पैदा करते हैं।
पीरियड्स नियमित करने के लिए तिल का नुस्खा
सामग्रीः
काले तिल – 5 ग्राम
पानी – 1 गिलास
कैसे बनाएं काढ़ा?
1. सबसे पहले काले तिल को अच्छी तरह साफ करके पाउडर बनाकर रख लें।
2. अब इसे 1 गिलास पानी में तब तक पकाएं जब तक पानी आधा ना रह जाए।
कैसे पीएं?
पीरियड्स डेट से 5 दिन पहले यह काढ़ा पीना है। इस काढ़े को दिन में 2 समय पीएं और पीरियड्स आ जाए तो इसे लेना बंद कर दें। इससे पीरियड्स रेगुलर रहेंगे और कोई साइड-इफैक्ट भी नहीं होगा।
ऐसे भी कर सकते हैं सेवन
. आप इसे पीरियड्स की अपेक्षित तिथि से लगभग 15 दिन रोज खा सकती हैं। इससे आपको मासिक धर्म जल्दी हो जाएगा।
. एक चम्मच तले हुए या सादे तिल दिन में 2-3 बार शहद के साथ।
. सलाद, करी, रोटियों में तिल डालें या लड्डू बना सकते हैं।
हार्मोन्स को भी करेंगे बैलेंस
शोध के मुताबिक, करीब 24 दिन इसका सेवन पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। रोजाना 50 मिलीग्राम तिल का पाउडर लेने से हार्मोन बैलेंस रहते हैं। साथ ही इससे एंटीऑक्सीडेंट और रक्त में वसा के स्तर में सुधार होता है।
पाचन के लिए भी फायदेमंद
30 ग्राम बिना छिलके वाले तिल में 3.25 ग्राम फाइबर होता है जो दैनिक सेवन का 12% है। एक्सपर्ट के मुताबिक, अच्छी मात्रा में फाइबर का सेवन पाचन को बढ़ावा देता है इसलिए इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।
- यह भी पढ़े……
- उपभोक्ता संरक्षण नियम 2021 क्या है?
- कल्याण सिंह ने धर्म के लिए सत्ता का त्याग कर दिया था,क्यों?
- दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुई लुइस ब्रेल की खोज ब्रेल लिपि.
- क्या है पश्चिमी घाट का महत्त्व और संरक्षण?