Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
केस करने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है-सुप्रीम कोर्ट - श्रीनारद मीडिया

केस करने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है-सुप्रीम कोर्ट

केस करने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है-सुप्रीम कोर्ट

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अब दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की गई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान आया है। अवमानना की कार्रवाई की मांग लेकर पहुंचे याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की गलत तरीके से आलोचना कर अवमानना की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस करने के लिए आपको हमारी अनुमति की जरूरत नहीं है।

अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेने की जरूरत

न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ से वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल ही में आई एक खबर का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “आप इसे दायर करें। दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की जरूरत नहीं है।” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को मामले में अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेने की जरूरत है।

दुबे ने CJI पर की थी विवादित टिप्पणी

दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई खन्ना पर भी कटाक्ष किया और उन्हें देश में ‘गृह युद्धों’ के लिए जिम्मेदार ठहराया।

क्या है मामला?

दरअसल, दुबे की टिप्पणी केंद्र के न्यायालय को दिए गए आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई के अगले दिन तक लागू नहीं करेगा, क्योंकि न्यायालय ने उन पर सवाल उठाए थे। इसके बाद वक्फ अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी, क्योंकि उन्होंने शीर्ष न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी।
 सुप्रीम कोर्ट पिछले कई दिनों से चर्चा में है। राष्ट्रपति और गवर्नर को दिए आदेश के बाद कई बीजेपी नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय को निशाने पर लिया, जिसे लेकर पक्ष और विपक्ष में सियासी संग्राम छिड़ गया। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की है।वक्फ अधिनियम के विरोध में पश्चिम बंगाल की हिंसा पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका पर कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप का आरोप लग रहा है।

पश्चिम बंगाल हिंसा पर की सुनवाई

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मशहूर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना था कि हिंसा पर काबू पाने के लिए बंगाल में अर्धसैनिक बलों की तैनाती होनी चाहिए। ऐसे में उन्होंने अदालत से गुजारिश की है कि वो केंद्र को सुरक्षाबलों की तैनाती करने और बंगाल हिंसा की जांच के लिए पैनल गठित करने का आदेश दे। साथ ही मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं के पलायन की भी रिपोर्ट भी पेश की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा  आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को ऐसा करने का आदेश दें? मगर हमारे ऊपर पहले ही कार्यपालिका के काम में दखलअंदाजी करने का आरोप लग रहा है। इसलिए प्लीज।

बता दें कि जस्टिस बीआर गवई अगले महीने भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। उनका कहना है कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने जो बयान दिए हैं, उस पर सुप्रीम कोर्ट की पूरी नजर है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल को आदेश दिया था कि वो किसी भी बिल को अनिश्चित काल के लिए नहीं रोक सकते हैं। बीजेपी के कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज की थी।

निशिकांत दुबे का बयान

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय ही सारे फैसले करेगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। निशिकांत दुबे के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया। कई विपक्षी नेताओं ने निशिकांत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!