धार ‘भोजशाला’ के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका दायर
अब हमारा केस और मजबूत हुआ-अधिवक्ता विष्णु जैन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में मध्यकालीन युग की संरचना ‘भोजशाला’ के ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ के खिलाफ याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति जताई। इस भोजशाला पर हिंदू और मुसलमान पक्ष दोनों अपना दावा करते हैं।
कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने दायर की याचिका
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मंदिर का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का आदेश दिया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह किस समुदाय का है।
ASI सर्वे में हुए कई अहम खुलासे
अपने 11 मार्च के आदेश में उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद आज एएसआई ने कोर्ट ने 2 हजार पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी, जिसमें कई खुलासे किए गए। ये बात सामने आई है कि खुदाई में कई मुर्तियां मिली हैं।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की कि एएसआई ने पहले ही अपनी रिपोर्ट दायर कर दी है।
उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि हिंदू पक्ष ने लंबित याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। 7 अप्रैल 2003 को एएसआई द्वारा तैयार की गई व्यवस्था के तहत हिंदू पक्ष मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं।
एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से किया था इनकार
1 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहते हैं।
धार भोजशाला से जुड़े तथ्य जल्दी ही लोगों के सामने आने वाले हैं। बता दें कि आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एमपी हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला की अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है।
बता दें कि उत्खनन के दौरान, ASI को देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां मिलीं, जो साइट को ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती हैं।
मस्जिद की जगह पर हिंदू मंदिर होने की कही जा रही बात
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का मौका है…आज (एएसआई) की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वहां पहले हिंदू मंदिर हुआ करता था…वहां सिर्फ हिंदू पूजा होनी चाहिए।
नमाज पढ़ने की इजाजत देने वाला एएसआई का 2003 का आदेश गैरकानूनी है…वहां से 94 से ज्यादा टूटी हुई मूर्तियां बरामद हुई हैं…जो भी इन चीजों को देखेगा, वह आसानी से कह सकता है कि वहां कभी मंदिर हुआ करता था।
2000 पन्नों की रिपोर्ट हुई दाखिल
मामले को लेकर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में एएसआई की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है, एएसआई की रिपोर्ट हमारे मामले को मंजूरी देती है और इसे मजबूत बनाती है। हमने इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष एक मामला स्थापित किया था कि यह एक हिंदू मंदिर का परिसर है और इसका उपयोग मस्जिद के रूप में किया जा रहा है।
आगे कहा कि 2003 में पारित एएसआई का आदेश पूरी तरह से गलत, त्रुटिपूर्ण और देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। हमने इस रिट याचिका के साथ इंदौर उच्च न्यायालय में अपील की थी… और उच्च न्यायालय ने एएसआई को एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया था। आज 2000 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल होने के बाद… हमारा मामला मजबूत हो गया है… सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
रिपोर्ट में क्या-क्या है शामिल?
ASI की रिपोर्ट में देवी-देवताओं की मूर्तियों के बारे में पूरी जानकारी हो सकती है। बता दें कि एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में यह सर्वे कराया गया था। इस दौरान1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं। खोदाई में मिली सबसे खास मूर्ति मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति है।
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने सर्वे को लेकर बड़े खुलासे किए है। उन्होंने बताया कि अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में मिले पुरावशेषों में 37 मूर्तियां हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में भोजशाला मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। भोजशाला मामले में ताजा विवाद की शुरुआत 1995 में हुई जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी थी। जिसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं का पूजा करने की इजाजत दी साथ ही मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति मिली, हालांकि 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया। जिसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
हिंदुओं को केवल वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति मिली और मुसलमानों को शुक्रवार को एक से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। इसके बाद साल 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया।
जानकारी के अनुसार, भोजशाला परिसर का संबंध राजा भोज (1000-1055 ई.) से है। कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि भोजशाला का विवादित स्मारक देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है। दूसरी ओर, मुस्लिम समाज इस भोजशाला को कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।
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