PM मोदी को मिली है SPG सिक्योरिटी,सुरक्षा चूक का जिम्मेदार कौन?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पंजाब में फिरोजपुर जिले के मुदकी के पास नेशनल हाईवे पर कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने PM मोदी का रास्ता रोक लिया। इसके बाद एक फ्लाई ओवर पर बारिश के बीच प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक रुका रहा। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ये एक बड़ी चूक थी। केंद्र सरकार और BJP ने इसके लिए पंजाब की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है।

SPG के कंधों पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा
देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी स्‍पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप, यानी SPG की होती है। प्रधानमंत्री के चारों ओर पहला सुरक्षा घेरा SPG जवानों का ही होता है।

PM की सुरक्षा में लगे इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। इनके पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे मॉडर्न हथियार होते हैं।

SPG जवानों की सुरक्षा में PM मोदी। उनकी सुरक्षा में अलग-अलग घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात रहते हैं।
SPG जवानों की सुरक्षा में PM मोदी। उनकी सुरक्षा में अलग-अलग घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात रहते हैं।

प्रधानमंत्री के दौरे का प्रोटोकॉल क्या होता है?
किसी राज्य में PM के दौरे के समय 4 एजेंसियां सुरक्षा व्यवस्था देखती हैं- SPG, ASL, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन। एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम (ASL) प्रधानमंत्री के दौरे से जुड़ी हर जानकारी से अपडेट होती है। ASL टीम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी के संपर्क में होती है। केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी ASL की मदद प्रधानमंत्री के दौरे की निगरानी रखते हैं।

स्थानीय पुलिस PM के दौरे के समय रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा संबंधी नियम तय करती है। आखिरकार पुलिस के निर्णय की निगरानी SPG अधिकारी ही करते हैं। केंद्रीय एजेंसी ASL प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल और रूट की सुरक्षा जांच करता है।

इसके साथ ही SPG PM के करीब आने वाले लोगों की तलाशी और प्रधानमंत्री के आसपास की सुरक्षा को देखता है। स्थानीय प्रशासन पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं।

क्या PM की सुरक्षा में चूक के लिए सिर्फ SPG ही जिम्मेदार?
ऐसा नहीं है। PM को सुरक्षा देने की पहली जिम्मेदारी भले ही SPG की हो, लेकिन किसी राज्य के दौरे के समय स्थानीय पुलिस और सिविल प्रशासन भी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का ही होता है।

प्रधानमंत्री के काफिले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उस राज्य के DGP की भी होती है। उनके नहीं मौजूद होने की स्थिति में दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते हैं।

प्रधानमंत्री की हवाई यात्रा के दौरान क्या प्रोटोकॉल होता है?
प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे हैं तो किसी खास परिस्थिति के लिए कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार रखने का नियम होता है।

इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था की जांच सीनियर पुलिस अधिकारी PM के दौरे से पहले करते हैं। इस रास्ते पर सुरक्षा जांच रिहर्सल के समय SPG, स्थानीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और ASL टीम के अधिकारी सभी शामिल होते हैं।

एक जैमर वाली गाड़ी भी काफिले के साथ चलती है। ये सड़क के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक किसी भी रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस के को जाम कर देते हैं, इससे रिमोट से चलने वाले बम या IED में विस्फोट नहीं होने देता।

PM मोदी की सुरक्षा पर एक दिन में कितना खर्च होता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह जानकारी 2020 में संसद में दिए एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने दी थी। उन्होंने लोकसभा में बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी SPG सिर्फ प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देता है।

साल 1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के उपायुक्त की होती थी। इसके बाद सुरक्षा के लिए STF का गठन किया गया।

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक कमेटी बनी और 1985 में एक खास स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई गई। तब से इसी के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला बुधवार को तकरीबन 20 मिनट तक बेहद असुरक्षित एरिया में खड़ा रहा। पंजाब में फिरोजपुर जिले के अंदर मुदकी के पास नेशनल हाईवे पर जिस जगह PM को रुकना पड़ा, वह हाईली सेंसेटिव जोन है। यहां से इंडो-पाक इंटरनेशनल बॉर्डर महज 30 किलोमीटर दूर है और इस एरिया में लगातार टिफिन बम और अन्य विस्फोटक पदार्थ मिलते रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की विजिट के मद्देनजर पंजाब पुलिस को जिस तरह के इंतजाम करने चाहिए थे, ग्राउंड पर वह नजर नहीं आए।

भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर के नजदीक बसे होने की वजह से फिरोजपुर पंजाब का बेहद संवेदनशील जिला है। यहां प्रधानमंत्री की रैली का ऐलान लगभग डेढ़ हफ्ते पहले हो गया था। दूसरी तरफ लुधियाना और पठानकोट में हाल में हुए बम धमाकों के बाद पूरा पंजाब हाई अलर्ट पर है। जिस जलालाबाद कस्बे में 15 सितंबर 2021 में ब्लास्ट हुआ, वह भी फिरोजपुर के नजदीक है और NIA की जांच में साफ हो चुका है कि वह आतंकी हमला था।

इसी एरिया में टिफिन बम की डिलीवरी

जलालाबाद ब्लास्ट के बाद NIA द्वारा टिफिन बम सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया गुरमुख सिंह रोडे इसी एरिया में पड़ते मोगा जिले के रोडे गांव का रहने वाला है, जो जरनैल सिंह भिंडरावाले की जन्मस्थली है। भिंडरावाले का भतीजा और लंबे समय से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा खालिस्तान की हिमायत करने वाल लखबीर सिंह रोडे भी इसी इलाके का है।

लखबीर सिंह रोडे ने ही गुरमुख के जरिये बॉर्डर पार से टिफिन बम की डिलीवरी की थी। केंद्रीय एजेंसियों के सामने गुरमुख ने स्वीकार किया था कि एक-दो टिफिन बम की डिलीवरी फिरोजपुर सेक्टर में हुई है। ऐसे में PM की रैली की सूचना के बाद पंजाब पुलिस के पास तैयारियों के लिए पर्याप्त समय था, मगर उसका काउंटर इंटेलीजेंस विभाग और दूसरा खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल रहा।

पंजाब पुलिस ने जो रूट सुझाया, उसी पर चूक

बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद प्रधानमंत्री को पहले हेलिकॉप्टर से फिरोजपुर पहुंचना था। चूंकि बुधवार सुबह से मौसम खराब होने के कारण हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकता था, ऐसे में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) को बाय रोड फिरोजपुर पहुंचने का यह रूट पंजाब पुलिस ने ही सुझाया। पंजाब पुलिस ने इस रूट को सुरक्षित बताया मगर इसी पर बड़ी चूक हो गई।

पंजाब पुलिस ने की थी रिहर्सल
बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद प्रधानमंत्री सड़क के रास्ते फिरोजपुर के लिए रवाना हुए। उनका काफिला बठिंडा-फिरोजपुर फोरलेन से होते हुए निकला। एसपीजी प्रोटोकॉल के तहत प्रधानमंत्री के आने-जाने के लिए जो रूट इस्तेमाल किया जाता है, उस रास्ते की हर तरह से जांच की जाती है। पंजाब पुलिस ने भी मंगलवार को बठिंडा-फिरोजपुर फोरलेन पर प्रधानमंत्री के काफिले को लेकर रिहर्सल की गई थी। तब सबकुछ सही रहा।

सुबह सबकुछ ठीक, 12 बजे के बाद गड़बड़ी

पंजाब सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में 10 हजार पुलिस मुलाजिम लगाए गए। पंजाब पुलिस ने बुधवार सुबह भी बठिंडा-फिरोजपुर फोरलेन को चेक किया और सुबह 7 बजे से 9 बजे तक हाईवे पर कहीं कोई रुकावट नहीं थी। दोपहर 12 बजे के बाद अचानक चीजें बिगड़ती चली गईं और किसान संगठनों के सदस्य और शरारती तत्व हाईवे तक पहुंचने में कामयाब हो गए। इस दौरान पंजाब पुलिस का इंटेलीजेंस पूरी तरह फेल साबित हुआ।

प्रधानमंत्री को खतरे जैसी कोई बात नहीं: चन्नी

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि प्रधानमंत्री के सुरक्षा दस्ते ने ही सड़क के रास्ते फिरोजपुर जाने का फैसला लिया। प्रधानमंत्री को खतरे जैसी कोई बात नहीं हुई और न ही कोई हमला हुआ। अचानक ही लोग सड़क पर आकर बैठ गए थे।

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