आसान लक्ष्‍य होती हैं गरीब नाबालिग लड़कियां, ऐसे रचते हैं साजिश

आसान लक्ष्‍य होती हैं गरीब नाबालिग लड़कियां, ऐसे रचते हैं साजिश

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

झारखंड में इन दिनों कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। पिछले एक पखवाड़े में वहीं घटी घटनाएं इसकी पुष्टि करती हैं। जैसे-दुमका में एक नाबालिग छात्रा अंकिता सिंह की बर्बर हत्या। रांची के नारकोपी क्षेत्र में दिन दहाड़े एक 15 वर्षीय नाबालिग आदिवासी युवती के साथ दुष्कर्म। दुमका में ही एक 14 वर्षीय आदिवासी लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या कर शव पेड़ पर टांगना।

उल्लेखनीय है कि हत्या के उक्त तीनों ही मामलों में पीड़ित नाबालिग हिंदू युवतियां हैं, जबकि सभी आरोपी एक समुदाय विशेष के। दरअसल इन दिनों संताल क्षेत्र अवैध प्रवासियों की गिरफ्त में है। बांग्लादेश से सटे जिले साहिबगंज, पाकुड़, दुमका और जामताड़ा इस प्रकार की घुसपैठ से सर्वाधिक प्रभावित हैं, जिसके कारण इन जिलों की जनसांख्यिकी में बदलाव देखने को मिला है। आश्चर्य की बात है कि इस पर नियंत्रण लगाने के लिए प्रति शासन-प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है।

आरोप है कि घुसपैठिए स्थानीय लोगों की मदद से ही क्षेत्र में घुसपैठ करने में सफल हो रहे हैं। घुसपैठ के बाद सबसे पहले वे अपना आधार कार्ड बनवा लेते हैं। उसके बाद सरकारी योजनाओं का लाभ भी लेने लगते हैं। कुछ दिनों वहां रह लेने और परिस्थितियों को समझ-बूझ लेने के बाद घुसपैठिए अपना घिनौना खेल शुरू कर देते हैं। गरीब हिंदू नाबालिग लड़कियां इनके आसान लक्ष्य होती हैं। एक बार उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसा लेने के बाद उनका शारीरिक और मानसिक शोषण का दौर शुरू होता है।

अनेक मामलों में गरीब मां-बाप पर दबाव देकर या लड़की को अपने साथ भगा ले जाकर घुसपैठिए उन लड़कियों से विवाह का ढोंग करते हैं, जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा दिया जाता है। यदि लड़की आदिवासी हुई तो फिर लव जिहाद के इस खेल में जमीन जिहाद का तत्व भी जुड़ जाता है। घुसपैठिए अपनी आदिवासी पत्नियों के परिजनों से दानपत्र (गिफ्ट डीड) के मध्यम से जमीन हासिल कर लेते हैं, जो नाममात्र के लिए तो उनकी पत्नियों के नाम पर होती हैं, लेकिन जिनका उपभोग वे अपनी इच्छा अनुसार करते हैं।

यहां यह भी बताते चलें कि संताल क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन जमाबंदी स्वभाव की हैं। अर्थात कानूनन इनकी खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती। बावजूद इसके दानपत्र के नाम पर इन जमीनों को अवैध प्रवासियों द्वारा हड़पी जा रही हैं। आज जरूरत इस बात की है कि राज्य के सभी दल अपनी दलीय राजनीति से ऊपर उठकर इस गंभीर समस्या पर विचार करें, ताकि घुसपैठ पर प्रभावी रोकथाम के साथ ही आदिवासियों की जमीन हड़पे जाने तथा नाबालिग आदिवासी युवतियों को बचाया जा सके।

Leave a Reply

error: Content is protected !!