प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के पलटी मारने पर बताई कड़वी सच्चाई!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के एनडीए के साथ आने पर फिर हमला बोला है। उन्हाेंने एक साथ नीतीश कुमार, भाजपा और राजद तीनों को लपेटे में लिया।
नीतीश कुमार पलटूराम हैं या पलटूराम नेताओं के सरदार हैं ये तो जनता पहले से जानती है। आज की घटना ने दिखाया है कि राज्य में जितने दल हैं वो सब पलटूराम हैं। आज यह भी तय हो गय कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और भाजपा वाले भी उतने ही पलटूराम है, जो दो-चार महीने पहले कह रहे थे कि बिहार में नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे बंद है।
ये पूरी पलटूमार राजनीतिक व्यवस्था इसलिए है, जो भाजपा के नेता और कार्यकर्ता कल तक नीतीश कुमार को गाली दे रहे थे, आज से उन्हें सुशासन की प्रतिमूर्ति बताने लगेंगे। ये पलटूमार व्यवस्था इसलिए है कि जो राजद कल तक नीतीश को भविष्य का नेता बता रही थी, वो आज शाम होते-होते उन्हें गाली देने लगेंगे। इनको शराबबंंदी में माफियागिरी दिखने लगेगी। बिहार में भ्रष्टाचार दिखने लगेगा। अभी सुबह तक नहीं दिख रहा था।
नीतीश कुमार पलटूमार है यह तो दुनिया जानती है, यह अब बहस और किसी डिस्कवरी का विषय नहीं है। इस घटना ने आज यह दिखाया है कि नीतीश कुमार ने अपने ही रंग में पूरी व्यवस्था को रंग दिया है, जिसमें भाजपा और राजद दोनों ही उतने बड़े पलटूमार हैं, जितने बड़े नीतीश कुमार हैं।
नीतीश देश को बताएं 2022 में भाजपा को क्यों छोड़ा था-शिवानंद तिवारी
नीतीश कुमार के सरकार से इस्तीफे के साथ ही राजद ने अपना मौन तोड़ते हुए नीतीश कुमार पर हमला बोला है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने रविवार को कहा कि नीतीश जी द्वारा अचानक महा गठबंधन छोड़कर पुनः भाजपा के साथ सरकार बनाने की घोषणा से देश हतप्रभ है।
लोग जानना चाहते हैं कि 2022 में आपने अचानक भाजपा वाले गठबंधन को क्यों छोड़ दिया था और महागठबंधन में कैसे शामिल हो गए थे? महागठबंधन की ओर से कोई एक अणे मार्ग में जाकर इस गठबंधन में शामिल होने के लिए इनको न्योता देने गया था क्या?
सबको याद होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत करते हुए तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनेगी तो हम दस लाख युवाओं को नौकरी देंगे। यह राजद के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल है। उसके जवाब में नीतीश कुमार ने क्या कहा था ? ‘दस लाख नौकरियों के लिए पैसा कहाँ से लाओगे ? बाबूजी जिस कमाई के लिए अंदर गए वहां से लाओगे! इसको कोई समझ नहीं है!’
नीतीश ने राबड़ी देवी से हाथ जोड़कर माफी मांगी थी’
वहीं, नीतीश कुमार 8 अगस्त 2022 को अपने सभी विधायकों के साथ पैदल चल कर राबड़ी आवास पहुंचे थे। वहां उन्होंने 2017 में गठबंधन तोड़कर भाजपा में चले जाने के लिए हाथ जोड़कर राबड़ी देवी से माफी मांगी थी। महागठबंधन के तमाम नेताओं के बीच अपने भाषण में उन्होंने वही सबकुछ कहा था जो आज कह रहे हैं। उस समय रोना रो रहे थे कि भाजपा के लोग काम नहीं करने दे रहे थे।हमेशा टकराव की बात कर रहे थे।
9 अगस्त को तेजस्वी ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 15 अगस्त को उन्हीं नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के मंच से घोषणा की थी कि दस लाख युवाओं को महागठबंधन की हमारी सरकार नौकरी तो देगी ही, हम दस लाख रोज़गार का सृजन भी करेंगे। नीतीश कुमार किसके एजेंडे की घोषणा कर रहे थे?
राजनीति के पुरानी पीढ़ी के नीतीश कुमार ने युवा तेजस्वी के एजेंडे को न सिर्फ़ कबूल किया, बल्कि उसको आगे बढ़ाया। तेजस्वी भविष्य हैं, नीतीश अतीत हैं पंद्रह अगस्त के अपने भाषण के ज़रिए नीतीश जी ने स्वयं इस पर मुहर लगाई।
‘तेजस्वी जरूरत से ज्यादा दबकर रहे’
महागठबंधन के संपूर्ण कार्यकाल में तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार का आचरण किया है इसको सम्पूर्ण देश ने देखा है। जरूरत से ज्यादा दबकर तेजस्वी रहे, ताकि नीतीश कुमार को शिकायत का तनिक भी मौका नहीं मिले। यहां तक कि अखबारों के पहले पन्ने पर मुख्यमंत्री के आदम कद तस्वीर के साथ स्वास्थ्य विभाग का विज्ञापन छपता था। उसमें, तेजस्वी जो स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनकी छोटी तस्वीर भी नहीं रहती थी। लेकिन तेजस्वी ने इस सबको अनदेखा किया।
आज नीतीश कह रहे हैं कि राजद के साथ काम करने में परेशानी हो रही थी। हम काम कर रहे थे, लेकिन वे लोग काम नहीं कर रहे थे। इसको निर्गुण प्रलाप के अलावा क्या कहा जाएगा। वाक़ई अगर ऐसी कोई शिकायत थी तो इस सिलसिले में नीतीश ने कभी लालू यादव से शिकायत की!
‘नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति…’
महागठबंधन से निकलने और भाजपा के साथ पुनः जाने का जो कारण नीतीश बता रहे हैं वह सरासर झूठ है। भाजपा से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा सभा में इन्होंने क्या घोषणा की थी। मिट्टी में मिल जाऊँगा….! ऐसे संकल्पों का कई नमूना गूगल पर खोजने पर मिल जाएगा।
भाजपा का अदना से अदना कार्यकर्ता तक कह चुका है कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा का दरवाजा बंद हो चुका है। इन सबके बावजूद नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति ही पुनः वहां जाने की बात सोच सकता है। स्वाभिमानहीन आदमी को क्या आदमी कहा जा सकता है।
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