गर्भवती, प्रसवपूर्व जांच जरूर करायें, संस्थागत प्रसव को दें प्राथमिकता
प्रसवपूर्व जांच और संस्थागत प्रसव के महत्व पर मीडिया कार्यशाला आयोजित:
गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाली प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत 53.6:
श्रीनारद मीडिया, औरंगाबाद, (बिहार):
सदर अस्पताल सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव विषय पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन के दौरान सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद, डीपीएम डॉ मनोज कुमार, डीआईओ डॉ मिथिलेश कुमार, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ कुमार महेंद्र प्रताप, सदर अस्पताल उपाधीक्षक, केयर इंडिया टीम लीडर उर्वशी प्रजापति सहित प्रसव कक्ष की एएनएम व जीएनएम भी मौजूद रहीं।
जिला में प्रसव पूर्व जांच व संस्थागत प्रसव में इजाफा:
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज ने बताया जिला में प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—5 की रिपोर्ट के अनुसार जिला में गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाली प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत 53.6 हो गया है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—4 में यह महज 42.2 प्रतिशत था। गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच के प्रतिशत में लगभग 10 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। एनएफएचएस—5 की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती का पूरे नौ माह के दौरान होने वाली चार बार प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत 16.2 से बढ़कर 29.3 प्रतिशत हो गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे शतप्रशित हासिल करने की दिशा में निरंतर प्रयास जारी है। एनएफएचएस—5 के आंकड़े यह भी बताते हैं कि जिला में संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। लोग प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों को प्राथमिकता दे रहे हैं। पूर्व में एनएफएचएस—4 की रिपोर्ट के मुताबिक संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 71.5 था लेकिन वर्तमान में एनएफएचएस——5 की रिपोर्ट के अनुसार यह अब 77.5 हो गया है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर संस्थागत प्रसव का प्रतिशत अब 62 प्रतिशत है जोकि पहले 52 प्रतिशत ही था। संस्थागत प्रसव के शतप्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास निरंतर जारी है।
प्रसव पूर्व जांच व संस्थागत प्रसव पर जागरूक हो समुदाय:
सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने कहा जिला में प्रत्येक गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व जांच आवश्यक तौर पर हो। इसके लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थकर्मियों सहित सहयोगी संस्थाएं जैसे केयर इंडिया आदि की मदद से जागरूकता लायी गयी है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत आरोग्य दिवस का आयोजन नियमित रूप से किया जा रहा है ,जिसका लाभ मिल रहा है।
गर्भवती के लिए प्रसव पूर्व जांच है आवश्यक:
केयर इंडिया डीटीओ उर्वशी प्रजापति ने बताया जच्चा बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रसवपूर्व जांच जहां आवश्यक है वहीं स्ंस्थागत प्रसव एक सुरक्षित माध्यम है। नौ माह के दौरान चार बार आवश्यक प्रसवपूर्व जांच से गर्भवती माता और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है। इस जांच में गर्भवती के खून, बीपी, वजन सहित विभिन्न जांच कर आवश्यक दवा दी जाती है। खानपान के विषय में परामर्श दी जाती है। उच्च जोखिम वाले प्रसव की पहचान करने में मदद मिलती है। वहीं संस्थागत प्रसव भी महत्वपूर्ण है। कई जगहों पर घरों में प्रसव कराये जाते जो काफी खतरनाक होते हैं। मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने में इन दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में मीडिया की भूमिका पर दिया गया बल:
डॉ कुमार महेंद्र ने कहा कि स्वास्थ्यकेंद्रों पर आशा तथा एएनएम का प्रसवपूर्व जांच तथा संस्थागत प्रसव को लेकर क्षमतावर्धन किया गया है। डीआईओ ने कहा गर्भवती महिलाओं का आवश्यक टीकाकरण नियमित हो रहा है। गर्भवती महिलाओं को आवश्यक रूप से सभी टीका प्राप्त करना चाहिए। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रसव पूर्व जांच के फायदों, प्रसव पूर्व जांच संबंधी योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सके और संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके इसके लिए जरूरी है कि प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसमुदाय को जागरूक करने में महत्वपूर्ण योगदान दे।
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