होलिका दहन में गर्भवती महिलाओं और नवविवाहितों को जाना मनाही है!
होलिका दहन की अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
होली का त्योहार हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाई जाती है जिसको लेकर कई सारी मान्यताएं हैं. खास तौर से एक मान्यता ये है कि गर्भवती महिलाओं और नवविवाहित औरतों के होलिका दहन में शामिल नहीं होना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि नवजात बच्चों को होलिका दहन में नहीं ले जाना चाहिए क्योंकि जब होलिका दहन होता है तब वहां नकारात्मक शक्तियां उत्पन्न होती हैं जो अक्सर छोटे बच्चों पर हावी हो सकती हैं इसलिए छोटे बच्चों को वहां से दूर रखना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है बुरा प्रभाव
गर्भवती महिलाओं को होलिका दहन देखने से बचना चाहिए.माना जाता है कि अगर कोई गर्भवती महिला होलिका दहन देख ले तो इससे मां और बच्चे दोनों पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए अक्सर उन्हें होलिका दहन वाली जगह से भी काफी दूर रखा जाता है.माना जाता है कि किसी भी नवविवाहिता को अपनी सास के साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से सास और बहु का रिश्ता खराब होता है. इसलिए अक्सर महिलाओं को ये कहा जाता है कि शादी के बाद की पहली होली वह अपने मायके में ही मनाए.
होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसे में इस बार होली 25 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर विष्णु के महान भक्त प्रह्लाद को अग्नि से बचाया गया था। वहीं, अग्नि से न जलने का आशीर्वाद मिलने के बाद भी होलिका का दहन हो गया था। होली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा।
कई मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा या होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इसका मां और बच्चे दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस संबंध में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए होलिका दहन देखना अशुभ होता है। माना जाता है कि जिस स्थान पर होलिका दहन किया जाता है, वहां नकारात्मक शक्तियां व्याप्त हो जाती हैं। ऐसे में नवजात शिशुओं को होलिका दहन वाले स्थान से दूर रखना चाहिए। सदियों पुरानी परंपरा चली आ रही है, जिसके अनुसार, नवविवाहित महिला को अपनी सास के साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सास-बहू के एक साथ होलिका दहन देखने से उनके रिश्ता खराब होने लगता है। ऐसे में परंपरा है कि नवविवाहित महिलाएं अपनी पहली होली अपने माता-पिता के घर पर मनाती हैं।
क्यों नहीं देखनी चाहिए जलती हुई होलिका?
दरअसल ऐसी मान्यता है कि होलिका में आप पुराने साल को जलाते हैं और इसके अगले दिन से नए साल की शुरुआत हो जाती है। होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित स्त्रियों को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए। होलिका दहन की रात होलिका को अग्नि के हवाले करने से पहले इसकी पूजा और परिक्रमा की जाती है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।
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