पुरुषोत्तम नाथ मंदिर और नागेश्वर नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारी जोरों पर
श्रीनारद मीडिया, रिजवान उर्फ राजू, सिधवलिया, गोपालगंज (बिहार):
गोपालगंज जिले के सिधवलिया प्रखंड के शेर गांव स्थित ऐतिहासिक पुरुषोत्तम नाथ मंदिर और डुमरिया गांव स्थित नागेश्वर नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारी बड़े जोर शोर से हो रही है l इस वर्ष दोनों जगह बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे l कोरोना काल में पिछले वर्ष महाशिवरात्रि मेला में जलाभिषेक पर पाबंदी लगा दी गई थी l फिर भी पिछले साल बहुतेरे श्रद्धालु समाजिक दूरी का पालन करते हुए जलाभिषेक कर पूजा अर्चना किया l अब सभी तरह की पाबंदी हटने के बाद अप्रत्याशित भीड़ उमड़ने की संभावना है l मंदिर के समिति की ओर से रंग रोगन तथा अन्य तैयारियां पूरी की जा रही है l
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर दोनों मंदिरों में लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र शिवलिंग पर जलाभिषेक करेंगे l महाशिवरात्रि के दिन से चार दिनों तक यहां लकड़ी एवं लोहे के सामानों की दुकान,सौंदर्य- प्रसाधनों की दुकानें भी लगाई जाती है l पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक के बाद श्रद्धालु खरीदारी तथा खेल- तमाशे का आनंद लेते हैं l प्रखंड के शेर गांव स्थित पुरुषोत्तम नाथ मंदिर और डुमरिया स्थित नागेश्वर नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर जिले के गोपालगंज, माझागढ़, बैकुंठपुर, बरौली, सलेमपुर, महारानी सहित अन्य गांवों से भी श्रद्धालु पहुंचकर पूजा- अर्चना के बाद शिवलिंग पर माथा टेकते हैं l
(मुगल काल का है दोनों मंदिर का इतिहास) सिधवलिया प्रखंड के शेर स्थित पुरुषोत्तम नाथ मंदिर और डुमरिया गांव स्थित नागेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास मुगल काल से जुड़ा है की किदवंतियों के अनुसार सारण के छपरा स्थित धर्मनाथ शिव मंदिर के महंत धर्मनाथ जी महाराज के शिष्य पुरुषोत्तम दास ने जंगल से आच्छादित सेरिया ( शेर ) गांव में आकर जंगल में आतंक का पर्याय बना एक शेर को मार गिराया l तब से यहां लोग अपना घर – बार बसा लिए lपुरुषोत्तम दास ने वही जंगल के किनारे अपनी समाधि ले ली l उसी समाधि पर ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई और पुरुषोत्तम नाथ मंदिर का निर्माण हुआ l बगल में उसी समय का एक पोखरा भी स्थित है, जहां स्नान – ध्यान करके लोग शिव मंदिर में जलाभिषेक करते हैं l
सिधवलिया प्रखंड के डुमरिया गांव स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर का भी इतिहास मुगल काल से ही जुड़ा है l किदवंतियो के अनुसार डुमरिया के रमपुरवा गांव के कानू समाज से पितम्बर साह और मधु साह दो भाई नि: संतानी थे और अपना नाम चलाने के लिए उन्होंने मधुआ एवं पितम्बरा नाम से दो पोखरे खुदवाए, उसी समय दोनों भाइयों को स्वप्न में भगवान शिव ने वही शिवलिंग की स्थापना कर मंदिर बनवाने को कहने पर, उन्होने भव्य मंदिर का निर्माण कराया l
तब से हर वर्ष आश्विन माह के दशहरे में सप्तमी एवं अष्टमी के दिन शिवयाम के दौरान एक नाग का दर्शन होता है और श्रद्धालू फूल- माला चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं lइसी नाग के कारण इस मंदिर का नाम नागेश्वरनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ l जहां, हजारों श्रद्धालु फाल्गुन के महाशिवरात्रि एवं कार्तिक पूर्णिमा के दिन जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं एवं तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है l
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