दक्षिण अमेरीकी देश चीले के राष्ट्रपति बोरिच फोंत भारत के दौरे पर हैं
चिली बनेगा लैटिन अमेरिका में भारत का ‘ट्रंप कार्ड’
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कॉपर और लिथियम उत्पादन में दुनिया के सबसे बड़े देश चीले भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है। इसको लेकर भारत और चीले के बीच एक समझौता भी हुआ है। अभी चीले के इन खनिजों का सबसे बड़ा आयातक चीन है, लेकिन राष्ट्रपति बोरिच ने स्वयं कहा कि उनका देश इन खनिजों के कारोबार को विस्तारित करने को इच्छुक है।
अपने खनन क्षेत्र में भारतीय निवेश चाहता है चीले
चीले अपने खनन क्षेत्र में भारतीय निवेश चाहता है। राष्ट्रपति फोंत के साथ वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने चीले को एक महत्वपूर्ण मित्र देश बताते हुए कहा, हमने आने वाले दशक में सहयोग के लिए कई नए क्षेत्रों की पहचान की है। हम इस बात पर सहमत हैं कि व्यापार व निवेश में सहयोग की काफी क्षमता हैं। आज हमने एक पारस्परिक लाभकारी समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते पर चर्चा शुरू करने के लिए अपने दल को निर्देश दिए हैं। क्रिटिकल मिनरल्स (बेहद महत्वपूर्ण खनिज उत्पाद) के क्षेत्र में साझेदारी को बल दिया जाएगा। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग किया जाएगा।
दो हफ्ते पहले ही एफटीए पर हुई चर्चा
बताते चलें कि दो हफ्ते पहले ही भारत ने दक्षिण अमेरिका के एक अन्य देश पेरू के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता की शुरुआत की है। भारत की चीले को लेकर एक और रूचि है और वह है इससे सटा क्षेत्र अंटार्टिका। राष्ट्रपति फोंत ने पिछले वर्ष इस दुरूह भौगोलिक क्षेत्र की यात्रा की थी।
पीएम मोदी ने मंगलवार को हुई द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे को उठाया और चीले राष्ट्रपति के अनुभव के बारे में पूछा। इसके बाद बोरिच फोंच ने पीएम मोदी को चीले आने और साथ साथ अंटार्टिका जाने के लिए आमंत्रित किया।
‘भारत अंटार्टिका में रुचि रखता है’
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारत अंटार्टिका में रूचि रखता है। एक वजह यह है कि वहां अन्य सभी विकसित देशों की तरफ से जलवायु से संबंधित शोध कार्य किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र को प्रकृति की प्रयोगशाला की संज्ञा दी जाती है। दूसरा, इस क्षेत्र में क्रिटिकल मिनिरल्स का भारी भंडार होने की संभावना है।
पीएम मोदी ने कहा भी कि हम चीले को अंटार्टिका के गेटवे के तौर पर देखते हैं। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए आज दोनों पक्षों के बीच पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। राष्ट्रपति फोंत की इस यात्रा से भारत व चीले के संबंधों में नई ऊर्जा और उत्साह का सृजन हुआ है। राष्ट्रपति फोंत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मुलाकात की। नई दिल्ली के बाद वह आगरा, बेंगलुरु और मुंबई की यात्रा पर जाएंगे।
चिली बनेगा लैटिन अमेरिका में भारत का ‘ट्रंप कार्ड’
चिली के राष्ट्रपति का भारत दौरा व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. चिली लैटिन अमेरिका में भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. चीन अपनी महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) निवेश के माध्यम से लैटिन अमेरिकी देशों में अपना प्रभुत्व बढा रहा है. चिली लैटिन अमेरिका में चीन के बढते प्रभाव को रोकने में भारत के बहुत काम आ सकता है, इसलिए भी भारत चिली को खूब तरजीह दे रहा है.
भारत चिली से तांबा, लोहा, लिथियम और इस्पात जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का आयात करता है, जो भारत के घरेलू उद्योगों के लिए आवश्यक हैं. चिली दक्षिण अमेरिका का पहला देश था जिसने 1956 में भारत के साथ व्यापार समझौता किया था. इसके बाद दोनों देशों ने अपने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत और चिली ने 2006 में प्रिफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) पर हस्ताक्षर किए. 2017 में इसे विस्तारित किया गया. वर्तमान में PTA के तहत 2,000 से अधिक उत्पादों को टैरिफ में छूट दी गई है.
खनिज संसाधनों में समृद्ध देश
चिली खनिज संसाधनों के मामले में बेहद समृद्ध देश है. इसके पास कॉपर, लिथियम, मोलिब्डेनम, सोना, चांदी, लौह अयस्क, आयोडीन और नाइट्रेट के विशाल भंडार हैं. इन संसाधनों के कारण चिली वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल, स्टील, और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में. चिली दुनिया का सबसे बड़ा तांबा उत्पादक देश है और यह वैश्विक कॉपर उत्पादन में 28% योगदान देता है.
यह दुनिया का सबसे बड़ा आयोडीन उत्पादक भी है. चिली लिथियम भंडार में दुनिया में दूसरे नंबर पर है. चिली दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोलिब्डेनम उत्पादक देश है. मोलिब्डेनम का इस्तेमाल स्टील को मजबूत बनाने और विमानन उद्योग में होता है. चिली में लौह अयस्क (Iron Ore) के भी बड़े भंडार हैं.
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