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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित - श्रीनारद मीडिया

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव नहीं किए जाने की मजबूत पैरोकारी करते हुए साफ कहा है कि राजनीतिक लोकतंत्र की निरंतर प्रगति के लिए समावेश के साधन के रूप में सकारात्मक पहल (अफरमेटिव एक्शन) को मजबूत किया जाना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के कथन ‘राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं टिक सकता जब तक उसके आधार में सामाजिक लोकतंत्र न हो’ का जिक्र कर आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह के छेड़छाड़ की गुंजाइश का रास्ता बंद करने का स्पष्ट संदेश दिया।

आरक्षण पर क्या बोलीं राष्ट्रपति

एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने और इसमें उपवर्गीकरण यानि कोटे के भीतर कोटा पर राज्यों को गौर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में राष्ट्रपति की यह टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण है। आंबेडकर के कथन का सहारा लेकर द्रौपदी मुर्मू ने वस्तुत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अप्रभावी बनाने के सरकार के इरादों पर मुहर लगा दी। राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक लोकतंत्र की निरंतर प्रगति से सामाजिक लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में की गई प्रगति की पुष्टि होती है।

संविधान में आरक्षण शब्द का सीधे जिक्र नहीं

समावेशी भावना, हमारे सामाजिक जीवन के हर पहलू में दिखाई देती है। समावेश के साधन के रूप में, अफरमेटिव एक्शन को मजबूत किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि संविधान में आरक्षण शब्द का सीधे जिक्र नहीं है और इसे अफरमेटिव एक्शन ही कहा गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में कथित सामाजिक स्तरों के आधार पर कलह को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को खारिज करना होगा। उन्होंने एससी-एसटी वर्ग के कल्याण के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

‘लोकतंत्र की विचारधारा का प्रबल समर्थन’

हाल में हुए लोकसभा चुनाव में लगभग 97 करोड़ वोटरों के ऐतिहासिक कीर्तिमान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस सबसे बड़े चुनाव के सुचारू और त्रुटिरहित संचालन के लिए चुनाव आयोग बधाई का पात्र है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा मताधिकार का प्रयोग करना वस्तुत: लोकतंत्र की विचारधारा का प्रबल समर्थन है और इससे पूरे विश्व में लोकतांत्रिक शक्तियों को ताकत मिलती है।

राष्ट्रपति ने 2021 से 2024 के बीच आठ प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से देश की अर्थव्यवस्था बढ़ने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर हम काफी संख्या में लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लेकर आए हैं। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है ताकि लोगों को पुन: गरीबी में जाने से रोका जा सके। अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर क्या कहा?

हाल के वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी बढ़ावा मिला है। सड़कों और राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों का जाल बिछाने में मदद की है। बढ़ती हुई पारदर्शिता के साथ, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों की कार्य कुशलता में वृद्धि हुई है। इन सभी बदलावों ने अगले दौर के आर्थिक सुधारों और आर्थिक विकास के लिए मंच तैयार कर दिया है जहां से भारत विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।

जन्म के समय बेटियों के अनुपात में उल्लेखनीय सुधार

राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी समेत देश के प्रमुख स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण करते हुए नागरिकों से जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे, किन्तु प्रभावी बदलाव कर योगदान देने का अनुरोध किया। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता लागू किए जाने को औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटाने के रूप में चित्रित किया। महिला कल्याण और महिला सशक्तीकरण को महत्व देने की सरकार की पहल से हुए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि इससे न केवल श्रम बल में उनकी भागीदारी बढ़ी है, बल्कि जन्म के समय बेटियों के अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को किया याद

राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस की नागिरकों, सैनिकों, पुलिसकर्मियों आदि को बधाई देते हुए एक दिन पहले विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाए जाने को उचित ठहराते हुए कहा कि हम आज उस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को याद कर उन परिवारों के साथ एकजुट होकर खड़े होते हैं जो विभाजन के समय छिन्न-भिन्न कर दिए गए थे।

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