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प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसके दोहन से बढ़ी समस्याएं : भारत भूषण  - श्रीनारद मीडिया

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसके दोहन से बढ़ी समस्याएं : भारत भूषण 

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसके दोहन से बढ़ी समस्याएं : भारत भूषण

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

ब्रह्माकुमारीज
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में किया भव्य आयोजन।

कुरुक्षेत्र/शाहाबाद, 10 जून : प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय प्रभु अनुभूति भवन शाहाबाद मारकंडा में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज : साइंटिस्ट एवं इंजीनियर विंग के नेशनल कोऑर्डिनेटर राजयोगी भ्राता भारत भूषण विशेष रूप से पधारे। उन्होंने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस पूरी दुनिया में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है, ताकि आने वाले जेनरेशन इस प्रकृति का आनंद ले सकें। परमात्मा ने हम सभी को बहुत सुंदर यह खेल समझाया है।

 

यह खेल है ही तीन सत्ता के बीच एक है पुरुष यानि आत्मा, परम पुरुष परमात्मा जिसे प्रकृति पति भी कहा जाता है, तीसरी है प्रकृति, यह तीन सत्ता के बीच में इस संसार का खेल चलता रहता है और यह हम सभी जानते हैं कि एक है बाहर की प्रकृति और एक है मनुष्य की आंतरिक प्रकृति और हमेशा यह देखा गया है कि मनुष्य की आंतरिक प्रकृति का ही प्रभाव बाहर की प्रकृति पर पड़ता है। इसीलिए आवश्यकता है कि हम आंतरिक प्रकृति को सही करें, ताकि बाहर प्रकृति को भी सुरक्षित रख सकें। वैसे भी देखा जाता है कि मनुष्य जब कोई भी पेड़ पौधा लगाता है, धरती के अंदर डालता है और उसको जितना शुद्ध वाइब्रेशन देता है, उतना वह पेड़ पौधा फलता फूलता है।

 

इसीलिए अगर हमें आंतरिक प्रकृति को सही करना है, तो परमात्मा प्रकृति पति हमें यही ज्ञान देते हैं कि हमारी अनादि आदि प्रकृति बहुत सात्विक होनी चाहिए। उस प्रकृति में जब हम अपने मन को स्थित करते हैं, तो स्वाभाविक है कि हम तो उस वाइब्रेशन को चारों ओर फैला सकेंगे और बाहर के नेचर को भी बहुत सुंदर फलीभूत कर सकेंगे। तभी तो भारत देश के लिए यह गायन है कि आने वाले समय में जिस भारत के लिए कहा जाता है कि यह भूमि जो एक बहुत सुंदर आभा लिए हुई थी। उस आभा को पुनः विकसित हमें करना है और पर्यावरण का संरक्षण करना है। प्रकृति पति परमेश्वर आकर यही कहते हैं कि हे आत्माएं स्वयं को आत्मा निश्चय करो, परमात्मा को याद करके उसे परमात्मा से वह सकारात्मक शक्ति स्वयं में भरते जाओ।

 

इस दौरान पानीपत से पधारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने सभी को पर्यावरण दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि आज पर्यावरण प्रदूषण जैसी कई समस्याओं का सामना करना पर रहा है, तो इसका मुख्य कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसका दोहन करना है। पर्यावरण से जुड़ी समस्या क्या है और इसका समाधान क्या है। इसके बारे में हम कई सारी बातें जानते ही हैं, लेकिन अब वक्त जानकारी हासिल कर होशियार बनने का नहीं, बल्कि समझदार बनने का है, जो तभी संभव है जब हम इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए। आईए देखते हैं कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे हम उसे वापस वह सौंदर्य दे पाए। जैसा भगवान ने हमे उपहार के रूप में दिया था।

 

इससे पहले हम प्रकृति के साथ सद व्यवहार करना सीखें हमें प्रकृति का संरक्षण करना होगा। पानीपत से ही पधारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ललिता दीदी ने सभी को पर्यावरण दिवस पर यह संकल्प कराया कि हम सभी एक-एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखरेख करें। स्थानीय ब्रह्माकुमारी आश्रम की प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नीति दीदी ने आज के दिन का सभी को महत्व बताते हुए सभी से संकल्प कराया कि कम से कम हम सभी मिलकर वर्ष में एक दिन प्रकृति मां के लिए निकाले और सभी शुभकामनाओं के साथ एक-एक पौधा अवश्य लगाएं। साथ में उसकी सुरक्षा का दृढ़ संकल्प भी करें। इस अवसर पर प्रोफेसर सुनील गुप्ता, प्रोफेसर हरपाल सैनी, डिंपल अनेजा, सुरेश शर्मा, सुरेंद्र अरोड़ा, कपिल, जय सिंह, रामकुमार, अमरनाथ, रिपुदमन, बलदेव, अनिल, जीत पाल, ज्ञानचंद, अजय, साहिल, स्वीटी, प्रेम, शोभा, आरती, मीनू, सपना रेनू, शशि, सुनीता, राम, कमलेश, रेखा, कौशल्या, राधा, शीला सहित काफी श्रद्धालु मौजूद रहे।

 

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