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सीवान की सरलता और मेधा की परंपरा के सशक्त हस्ताक्षर हैं प्रोफेसर चंद्रमा सिंह

सीवान की सरलता और मेधा की परंपरा के सशक्त हस्ताक्षर हैं प्रोफेसर चंद्रमा सिंह

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हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयनित होकर सीवान का गौरव बढ़ाने वाली डॉक्टर अंशु सिंह के पिता हैं प्रोफेसर चंद्रमा सिंह

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हर दिन कई लोगों से मुलाकात होती रहती है। कुछ मुलाकातें यादों की धरोहर बन जाती हैं। एक ऐसी ही मुलाकात हुई रविवार को चंदौली के सबिता पब्लिक स्कूल के प्रांगण में राम कथा आयोजन समिति की बैठक में। मेरी मुलाकात हुई बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चंद्रमा सिंह जी से। उनके व्यक्तित्व की सरलता, व्यवहार की सादगी, सामाजिक समानुभुति ने बेहद प्रभावित किया।

सादा जीवन उच्च विचार के हिमायती

प्रोफेसर चंद्रमा सिंह मूल रूप से सीवान के आंदर प्रखंड के चंदौली गांव के रहनेवाले हैं। उनके व्यक्तित्व में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू के सादा जीवन उच्च विचार के संदेश की प्रतिध्वनि सुनाई देती हैं। उनके व्यक्तित्व की सरलता और सादगी ने प्रख्यात अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामेश्वर कुमार और डॉक्टर शरद चौधरी को भी अपना मुरीद बना लिया। मैं भी उनसे मिलकर आश्चर्यचकित हुआ क्योंकि क्योंकि उनका खुशमिजाज, सरल, सहज व्यक्तित्व शानदार दिखा।

पत्नी के गुजर जाने के बाद मेधावी बेटी, जो नासा में वैज्ञानिक हैं, का किया उत्साहवर्धन

प्रोफेसर चंद्रमा सिंह सीवान की मेधा परंपरा के निर्वाहक भी दिखे। क्योंकि मेधावी छात्रों के तो वे मार्गदर्शक रहे ही हैं। उनकी अपनी बेटी डॉक्टर अंशु सिंह ने तो अपनी मेधा क्षमता का परिचय देकर सीवान को गौरांवित होने का सुअवसर भी मुहैया कराया है। बेटी अंशु का चयन हाल में ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए हुआ है। राम कथा आयोजन समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष डॉक्टर रामेश्वर कुमार ने अंशु सिंह की सफलता पर पिता प्रोफेसर चंद्रमा सिंह को बधाई भी दिया। बताते चले कि 2008 में जिला शिक्षा अधिकारी रहीं पत्नी सबिता सिंह के आकस्मिक निधन के बाद बेटी अंशु का परवरिश प्रोफेसर चंद्रमा सिंह ने माता पिता दोनों के तौर पर की।

समाज के अंतिम पायदान पर स्थित व्यक्ति के प्रति भी बेहद संवेदनशील

प्रोफेसर चंद्रमा सिंह एक व्यवहार कुशल और बेहद संवेदनशील प्रवृति के हैं। इसलिए अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा सबिता एजुकेशनल और सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के माध्यम से समाज के अंतिम पायदान पर स्थित व्यक्ति के हितार्थ खर्च करते रहे हैं। समाज के लिए हरसंभव योगदान में वे आगे रहते आए हैं। उनके छोटे भाई सबिता पब्लिक स्कूल के निदेशक, प्रताप शेखर सिंह बताते हैं कि भैया पिछड़े क्षेत्रों में छात्रों के लिए बेहतर शैक्षणिक सुविधा प्रदान कराने के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं।

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