प्रोजेक्ट टाइगर 50 वर्ष पूरे किये है,जो एक उपलब्धि है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कर्नाटक में स्थित बांदीपुर टाइगर रिज़र्व ने 1 अप्रैल, 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व के रूप में 50 वर्ष पूरे किये। बाघों की आबादी में गिरावट को रोकने के उद्देश्य से वर्ष 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा रिज़र्व की शुरुआत की गई थी।
- प्रारंभ में जब प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था तो बांदीपुर में 12 बाघ थे, सुरक्षा उपायों के परिणामस्वरूप वर्तमान में यहाँ 173 बाघ हैं।
बांदीपुर टाइगर रिज़र्व के प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व हमारे देश के सबसे समृद्ध जैवविविधता क्षेत्रों में से एक में स्थित है जो “पश्चिमी घाट पर्वत जैव भोगोलिक क्षेत्र” का प्रतिनिधित्त्व करता है, इसके दक्षिण में मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व (तमिलनाडु), दक्षिण-पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल) तथा काबिनी जलाशय, उत्तर-पश्चिम में बांदीपुर और नागरहोल टाइगर रिज़र्व को अलग करता है।
- यह विभिन्न पुष्प प्रजातियों और जैवविविधता से संपन्न क्षेत्र है और देश के मेगा जैवविविधता क्षेत्रों (Mega Biodiversity Areas) के रूप में पहचाना जाता है।
- स्थापना:
- इसकी स्थापना प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वर्ष 1973 में की गई थी। वर्ष 1985 में वेणुगोपाला वन्यजीव पार्क से सटे क्षेत्रों को शामिल कर इसके क्षेत्रफल में वृद्धि की गई तथा बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान नाम दिया गया।
- अवस्थिति:
- यह कर्नाटक के दो निकटतम ज़िलों (मैसूर और चामराजनगर) में फैला हुआ है तथा कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल राज्यों के त्रि-जंक्शन क्षेत्र में स्थित है।
- जीवमंडल रिज़र्व:
- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व मैसूर हाथी रिज़र्व का हिस्सा है और देश के पहले बायोस्फीयर रिज़र्व नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- बांदीपुर, नागरहोल, मुदुमलाई और वायनाड में फैले क्षेत्र में न केवल देश में सबसे अधिक बाघ हैं- लगभग 724, बल्कि सबसे बड़ी एशियाई हाथियों की आबादी भी है।
- नदियाँ और उच्चतम बिंदु:
- यह पार्क उत्तर में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयार नदी के बीच स्थित है। नुगु नदी पार्क से होकर प्रवाहित होती है। पार्क का उच्चतम बिंदु हिमवद गोपालस्वामी बेट्टा नामक पहाड़ी पर अवस्थित है।
- कर्नाटक में अन्य टाइगर रिज़र्व:
- भद्रा टाइगर रिज़र्व
- नागरहोल टाइगर रिज़र्व
- डंडेली-अंशी टाइगर रिज़र्व
- बिलिगिरि रंगनाथ स्वामी मंदिर (Biligiri Ranganatha Swamy Temple- BRT) टाइगर रिज़र्व, इसके अलावा मलाई महादेश्वर वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिज़र्व बनाने का प्रस्ताव रखा गया है।
- देश में बाघ की लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने हेतु वर्ष 1973 में भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था। 1973-2016 तक नौ रिज़र्व से शुरू होकर यह संख्या बढ़कर पचास हो गई है। इन बाघ परियोजना में कुल 71027.10 वर्ग किमी. क्षेत्र को शामिल किया गया है।
- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व: इसका गठन तत्कालीन वेणुगोपाला वन्यजीव पार्क के अधिकांश वन क्षेत्रों को शामिल करके किया गया था, जिसे 19 फरवरी, 1941 की सरकारी अधिसूचना के तहत स्थापित किया गया था, साथ ही 1985 में इसका विस्तार 874.20 वर्ग किमी. के क्षेत्र में किया गया था। इसका नाम बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया था। इस रिज़र्व को वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत शामिल किया गया था। यह दक्षिणी कर्नाटक के ज़िलों अर्थात् मैसूर और चामराजनगर में फैले सन्निहित परिदृश्य में स्थित है। यह कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल राज्यों के ट्राइजंक्शन क्षेत्र में स्थित एक विशिष्ट भूभाग है। जीव-जंतुओं की जैवविविधता में तेंदुआ, रॉयल बंगाल टाइगर, जंगली बिल्ली, स्लॉथ बीयर, एशियाई हाथी, जंगली सुअर, ग्रे हेरॉन, शाहीन बाज़, लिटिल बस्टर्ड क्वेल, कोबरा, ग्रीन वाइन स्नेक आदि शामिल हैं। अतः 1 सही है।
- सुंदरबन टाइगर रिज़र्व: सुंदरबन वन के एक बड़े हिस्से को वर्ष 1875 में वन अधिनियम, 1865 (1865 का अधिनियम VIII) के तहत “आरक्षित” घोषित किया गया, स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1977 में इसे एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और 4 मई, 1984 को एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था। वर्ष 1978 में सुंदरवन को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तथा वर्ष 1973 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था। यह पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। पौधों की कुछ सामान्य रूप से पाई जाने वाली प्रजातियों में सुंदरी वृक्ष, गोलपति, चंपा, धुन्डुल, गेनवा और हटल शामिल हैं। इन वनों में मैंग्रोव की लगभग 78 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस रिज़र्व में रॉयल बंगाल टाइगर के साथ-साथ अन्य जानवरों जैसे- मछली का शिकार करने वाली बिल्लियाँ, मकाॅक, लेपर्ड् कैट, भारतीय ग्रे नेवला, जंगली सुअर, फ्लाइंग फॉक्स, पैंगोलिन आदि पाए जाते हैं। अत: 4 सही है।
- मानस टाइगर रिज़र्व: वर्ष 1907 में इस वन को रिज़र्व फॉरेस्ट घोषित किया गया था। स्वतंत्रता के बाद 1950 में मानस आरक्षित वन को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के लॉन्च के साथ मानस टाइगर रिज़र्व की घोषणा आधिकारिक रूप से कर दी गई। यूनेस्को ने वर्ष 1985 में इसे विश्व विरासत स्थल (प्राकृतिक) घोषित किया और वर्ष 1989 में यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत इसे बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में नामित किया। यह असम राज्य में तराई और भाबर क्षेत्र के घास के मैदानों के समान बिंदु पर स्थित है, जो अर्द्ध-सदाबहार वनों तथा भूटान, हिमालयी क्षेत्र तक फैला हुआ है। यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर्स की आबादी समृद्ध है। पिग्मी जनजाति की आखिरी आबादी मात्र मानस के जंगलों में बची हुई है।
- भितरकनिका आर्द्रभूमि: इसका प्रतिनिधित्त्व 3 संरक्षित क्षेत्रों “भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान”, “भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य” और “गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य” द्वारा किया जाता है। भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तेंदुआ बिल्ली, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, जंगली सूअर, चित्तीदार हिरण, सांभर, डॉल्फिन, खारे पानी के मगरमच्छ का प्रमुख निवास स्थान है। हालाँकि भितरकनिका को टाइगर रिज़र्व घोषित नहीं किया गया है।
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