पूज्य राजन जी महाराज का हुआ सीवान नगर में आगमन।
दिसम्बर महीने में आपका पुन: होगा आगमन।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में सीवान के लाल अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पूज्य राजन जी महाराज का सीवान नगर में रविवार को आगमन हुआ। सीवान आगमन पर आप सर्वप्रथम सीवान सदर के अनुमंडल पदाधिकारी आदरणीय रामबाबू बैठा जी से मिले। नगर के सफल उद्यमी रूपेश कुमार सोनी के साथ आप नगर के प्रख्यात अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. रामेश्वर कुमार के यहां जाकर उनका स्वास्थ्य हालचाल पूछा। तदुपरांत आपके अल्पाहार का प्रबंध सफायर-इन-होटल के स्वामी रुपेश सोनी जी के आवास पर की गई थी। जिसमें डॉ.शरद चौधरी, डॉ. राम इकबाल गुप्ता,डॉ. राकेश कुमार तिवारी, डॉ राजन कल्याण सिंह, दीपक सिंह, प्रेम शंकर सिंह, नंद कुमार द्विवेदी, राजेश पाण्डेय,विकास पाण्डेय, अंजनी पाण्डेय, उपस्थित रहे। सभी ने कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन का लुत्फ उठाया।
अल्पाहार के दौरान कई अनछुए पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें पिछले मई महीने में हुए रामकथा की सफल और ऐतिहासिक आयोजन को स्मरण कर सभी मंत्रमुग्ध हुए। कहा जा सकता है कि इस राम कथा को लेकर जब भी समिति के सदस्य आपस में मिलते हैं तो उनकी आंखों में एक अलग प्रकार की चमक दिखाई देती है जो कथा के सफलता की कहानी सुना जाती है। परन्तु सबसे खास बात यह है कि कोई इसका श्रेय नहीं लेता,सभी यही कहते है कि यह राघव जी की कृपा और महाराज जी के आशीर्वाद से सम्पन्न हुआ है।
बहरहाल इसके बाद सभी पूज्य राजन जी के साथ मैरवा लक्ष्मीपुर स्थित रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स अकादमी की ओर प्रस्थान किये। स्थल पर पहुंचकर पूज्य राजन जी महाराज ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई को तो हम सभी ने देखा नहीं लेकिन पढा व सुना है, परन्तु आज मैं कह सकता हूं कि यह बेटियां उनके नाम को चरितार्थ कर रही हैं और अपनी प्रतिभा से समाज, जिला,राज्य, देश को आगे बढा रही हैं और आगे भी प्रगति रहेंगी। मैं यह आशीष देता हूं कि ये आगे भी अपने विलक्षण कार्य में लगी रहे,साथ ही राघव जी से कामना करता हूं कि इस एकेडमी के निदेशक संजय पाठक पर आपकी कृपा बनी रहे।
प्रथम तल पर स्थित एकेडमी के कंप्यूटर कक्ष को देखकर सभी को सीवान में रजिस्ट्रार रहे तारकेश्वर पाण्डेय की याद आ गई। निदेशक संजय पाठक ने कहा कि सीवान के रजिस्ट्रार साहब की यह देन है। इस कंप्यूटर से बच्चियां लाभ उठा रही है,उनकी पढ़ाई हो रही है।
सचमुच में आप एक बेहतरीन व सुलझे हुए पदाधिकारी रहे जिसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है।
इसके बाद हम सभी सीवान नगर लौट आए और आदरणीय पूज्य राजन जी महाराज चकिया कोठी के लिए प्रस्थान कर गए जहां उनका कथा होना सुनिश्चित था।