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काशी तमिल संगमम सांस्कृतिक संध्या में कठपुतली नृत्य ने किया प्रभावित, दक्षिण की सांस्कृतिक से परिचित हुए काशीवासी

काशी तमिल संगमम सांस्कृतिक संध्या में कठपुतली नृत्य ने किया प्रभावित, दक्षिण की सांस्कृतिक से परिचित हुए काशीवासी

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर प्रांगण में निर्मित भव्य सभामंडप में आयोजित काशी तमिल संगमम महोत्सव में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति मंत्रालय, तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में तमिलनाडु से पधारे अतिथि कलाकारो के समूह द्वारा गायन वादन एवं नृत्य की मनोहारी एवं प्रभावशाली प्रस्तुति की गई। गुरुवार को आयोजित सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ प्रोफेसर के शशि कुमार, डीन, स्वर संगीत विभाग, बीएचयू के टीम द्वारा प्रथम प्रस्तुति “शिव शंभू” गीत ने उपस्थित श्रोताओं को खुब झुमाया। प्रोफेसर के शशि की द्वितीय प्रस्तुति “जय गंगे जय गंगे” गीत से मां गंगा की स्तुति की गयी इस गीत में धरती पर मां गंगा ने किस तरह से धरती पर आकर धरती पर मनुष्य का कल्याण किया हैं उस प्रसंग की प्रस्तुति की गई। गीतों के श्रृंखला के अगली कड़ी में प्रोफेसर के शशि ने भगवान कृष्ण के भजन की प्रस्तुति दी । इस गीत में उन्होंने भगवान कृष्ण के विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया । अपने प्रस्तुति के अंतिम कड़ी में प्रोफेसर के शशि कुमार ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भजन की प्रस्तुति दी

आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वी. नारायणन (मालन) वरिष्ठ लेखक और पत्रकार थे। उन्होंने काशी तमिल संगमम के आयोजक समिति को इस महोत्सव के लिए बधाई दी। कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति तमिलनाडु से मुत्तु चंद्रन त्ववाली के नेतृत्व में ( तोलपावा कुथु ) आज सुन्दरकाण्ड के द्वितीय भाग की प्रस्तुति दी गई। जिसमें कठपुतली नृत्य के माध्यम से राम लक्ष्मण और हनुमान के चरित्र का मंचन किया गया। कठपुतली नृत्य दक्षिण भारत सभ्यता में देख दर्शक दीर्घा में बैठे मेहमान भावविभोर हो गये। कार्यक्रम की तृतीय प्रस्तुति में तमिलनाडु के लोक – गीत एवं लोक नृत्य का मंचन श्री एस ज़ेविओट जयकुमार कराकुड द्वारा किया गया जिसमें तमिलनाडु के प्रसिद्ध लोक गीतों की प्रस्तुति दी गयी जिसमें उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक का आदान प्रदान हुआ । इस प्रस्तुति में जयकुमार के टीम द्वारा कुरूम्बस आदिवासी नृत्य के रूप में दक्षिण भारत के प्रसिद्ध कला की प्रस्तुति दी ।इस प्रस्तुति ने पंडाल में मौजूद सभी दर्शकों को उत्साह से भर दिया ।

कार्यक्रम की चौथी प्रस्तुति कलईमामणि प्रिया मुरली के नेतृत्व में भरत नाट्यम की दी गयी । कार्यक्रम के पांचवें प्रस्तुति ने दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को मनमोहन कर लिया तमिलनाडु के कलईमामणि यू पार्वती के नेतृत्व में दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मयूर नृत्य ( मयिलट्टम ) एवं बुल डांस की प्रस्तुति की गयी।

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