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लोकसभा स्पीकर पद के लिए रेस शुरू, 26 जून को होगा अध्यक्ष का चुनाव

लोकसभा स्पीकर पद के लिए रेस शुरू, 26 जून को होगा अध्यक्ष का चुनाव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले बड़ी खबर सामने आ रही है. टीवी रिपोर्ट के अनुसार खबर है कि विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर की मांग कर दी है. खबर ये भी है कि अगर डिप्टी स्पीकर की मांग नहीं मानी जाती है, तो फिर विपक्ष भी स्पीकर पद के चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार उतारेगा.

26 जून को लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव

लोकसभा 26 जून को अपने नये अध्यक्ष का चुनाव करेगी. सदन के सदस्य उम्मीदवारों के समर्थन में प्रस्ताव के लिए एक दिन पहले दोपहर 12 बजे तक नोटिस दे सकते हैं. लोकसभा की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया है कि अध्यक्ष के चुनाव के लिए तय तिथि से एक दिन पहले दोपहर 12 बजे से पहले कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद के लिए किसी अन्य सदस्य के समर्थन में प्रस्ताव के लिए महासचिव को लिखित रूप से नोटिस दे सकता है.

लोकसभा की पहली बैठक 24 जून को

अठारहवीं लोकसभा की पहली बैठक 24 जून को होगी और सत्र तीन जुलाई को समाप्त होगा. सत्र के पहले दो दिन नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के लिए समर्पित होंगे, वहीं अध्यक्ष के चुनाव के लिए 26 जून की तिथि तय की गई है, जबकि 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी.

क्या है नियम

प्रस्ताव के लिए नोटिस का समर्थन किसी तीसरे सदस्य द्वारा किया जाना चाहिए. साथ ही, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार द्वारा यह बयान भी दिया जाना चाहिए कि वह निर्वाचित होने पर अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए तैयार है. लोकसभा सचिवालय ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि कोई सदस्य अपना नाम प्रस्तावित नहीं कर सकता है या अपने नाम वाले किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकता है. यदि कोई प्रस्ताव पारित होता है, तो कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति (प्रोटेम स्पीकर) यह घोषणा करेगा कि पारित किए गए प्रस्ताव में प्रस्तावित सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना गया है.

कैसे होता है लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव?

उम्मीदवारों का नामांकन: लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए किसी सदस्य को प्रस्तावित किया जाना चाहिए। एक सदस्य किसी अन्य सदस्य का नाम प्रस्तावित करता है और एक अन्य सदस्य इसका समर्थन करता है। ऐसे कई प्रस्ताव हो सकते हैं।

अधिसूचना जारी करना: सभी प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद, संसद सचिवालय एक अधिसूचना जारी करता है जिसमें सभी नामांकित उम्मीदवारों के नाम शामिल होते हैं।

चुनाव का आयोजन: अगर एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं, तो चुनाव का आयोजन किया जाता है। यह चुनाव आमतौर पर लोकसभा की बैठक में होता है। सभी सदस्य मतदान करते हैं।

मतदान प्रक्रिया: मतदान में सदस्य एक गुप्त मतपत्र के माध्यम से अपना वोट डालते हैं।

मतगणना और परिणाम की घोषणा: मतगणना के बाद, जो उम्मीदवार सबसे अधिक मत प्राप्त करता है, उसे लोकसभा अध्यक्ष घोषित किया जाता है।

निर्विरोध चुनाव: यदि केवल एक ही उम्मीदवार होता है, तो उसे निर्विरोध रूप से लोकसभा अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है।

लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव आमतौर पर लोकसभा के पहले सत्र में ही होता है, जो कि आम चुनाव के बाद आयोजित होता है। लोकसभा अध्यक्ष संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और संसद में निष्पक्षता सुनिश्चित करते हैं।

इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को कहा था कि 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा जिसमें नवनिर्वाचित संसद सदस्य शपथ ग्रहण करेंगे और निचले सदन के नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। सत्र के पहले तीन दिन में नवनिर्वाचित सदस्य शपथ लेंगे तथा लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।

लोकसभा को 10 साल बाद मिलेगा नेता प्रतिपक्ष, विपक्ष को उपाध्यक्ष पद के चुनाव की भी उम्मीद

मौजूदा लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों की सीटों की संख्या बढ़ने के साथ ही निचले सदन को 10 साल बाद विपक्ष का नेता (एलओपी) मिलेगा और विपक्षी नेताओं को यह भी उम्मीद है कि जल्द ही उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। लोकसभा में पिछले पांच साल से उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। पांच जून को भंग हुई 17वीं लोकसभा को अपने पूरे कार्यकाल के लिए कोई उपाध्यक्ष नहीं मिला तथा यह निचले सदन का लगातार दूसरा कार्यकाल था, जिसमें कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं था।

सभी की निगाहें निचले सदन पर टिकी हैं, जहां विपक्ष का नेता चुना जाएगा और साथ ही एक उपाध्यक्ष पद चुने जाने की भी उम्मीद है। उपाध्यक्ष का पद आमतौर पर विपक्षी खेमे को मिलता है। ‘इंडिया’ गठबंधन ने संसद के लिए अपनी रणनीति पर अभी तक कोई समन्वय बैठक नहीं की है। वहीं, एक विपक्षी नेता ने कहा कि वे इस बात के लिए दबाव बनाएंगे कि इस बार उपाध्यक्ष का पद खाली न छोड़ा जाए।

सत्रहवीं लोकसभा में भाजपा 303 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत में थी और ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था। पहली बार, पांच साल के कार्यकाल के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं चुना गया। संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा को जल्द से जल्द दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनना चाहिए, जब भी पद खाली हो। हालांकि, इसमें कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं दी गई है।

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