Raghunathpur: दक्षिणांचल के सुप्रसिद्ध रतन ब्रह्म स्थान पर 10 दिवसीय दशहरे मेले का शुभारंभ
10 दिवसीय अखंड महाअष्टयाम के साथ लगता है 10 दिनों का मेला
अनेको प्रखंड व जिलों सहित यूपी के सीमावर्ती जिलों से बाबा के दरबार में पहुंचते हैं फरियादी
दशहरे के अंतिम दिन कन्या-भोग, बाल-भोग व भंडारे का होता है आयोजन
श्रीनारद मीडिया, प्रकाश चन्द्र द्विवेदी, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)
सीवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड में मांझी-गुठनी मुख्य मार्ग पर सिसवन रघुनाथपुर के बीच नेवारी मोड़ से 1 किलोमीटर दक्षिण में स्थित गभीरार गांव है। जहां पर सुप्रसिद्ध रतन ब्रह्म का स्थान है जिनकी ख्याति अलग-अलग प्रखंडों व जिलों सहित बगल के राज्य यूपी के सीमावर्ती जिलों में फैली हुई है। बाबा के इस बहुचर्चित दरबार में लोग अपनी मनोकामना वह फरियाद को लेकर आते हैं तथा बाबा के द्वारा सभी की मनोकामनाएं वह फरियाद को पूरा किया जाता है।
जानकारों का कहना है कि आज तक बाबा के दरबार से कोई भी फरियादी खाली हाथ वापस नहीं गया है तथा यहां पर झूठी कसम खाने वालों का भी फैसला ऑन द स्पॉट होता है इसलिए लोग यहां पर झूठी कसमें खाने से डरते हैं। यहां पर सालों भर प्रत्येक सोमवार, शुक्रवार तथा पूर्णमासी के दिन मेला लगता है और श्रद्धालु बाबा के दर्शन को आते हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहां पर कथा, पूजा व अष्टयाम कराते हैं।
समस्त ग्रामवासी व प्रखंड वासियों के सहयोग से त्याग, धैर्य, संयम, शक्ति, सत्य व अत्याचार पर सदाचार, पाप पर पुण्य, दंभ पर विनम्रता, क्रोध पर करुणा, आसुरी प्रवृत्ति पर सदवृत्तियों की विजय के इस शारदीय नवरात्र में लगातार 27 वर्षों से बाबा के दरबार में 10 दिवसीय अखंड महाअष्टयाम का आयोजन होते आ रहा है। महाअष्टयाम के पूर्णाहुति पर आरती के समय आरती गाने व बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए गायकों का जमावड़ा लगता है। पूर्णाहुति के बाद कन्या-भोग, बाल-भोग व भंडारे का आयोजन कराया जाता है जिसमें बाबा के दरबार में आए श्रद्धालु प्रसाद के रूप में आशीर्वाद पाकर बाबा का जयकारा लगाते हुए अपने घरों को जाते हैं।
रतन ब्रह्म सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष भी दशहरे के मौके पर बाबा के दरबार में 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार तक महाअष्टयाम के साथ मेले का आयोजन हो रहा है। 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पूर्णाहुति होगी तथा पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन होगा। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में ग्रामवासियों के साथ-साथ अलग-अलग प्रखंडों व जिलों के लोग भी तन, मन, धन से सहयोग करते हैं।
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