Raghunathpur:शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन नरहन में माता रानी का हुआ आगमन
माता के पैर रखने वाली जमीन पर बनेगा भव्य मंदिर.ग्रामीणों ने दान में दी करीब दो बीघा जमीन
सांप कटी,भुत-प्रेत,असाध्य बीमारियों से ग्रसित व धर्म संकट में फंसे लोगों का लग रहा है मेला
नरहन के मल्लाह परिवार के एक कुंवारी कन्या पर माता का है वास
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया,रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)
बीते दिन शुक्रवार की दोपहर को जो नवरात्र का दूसरा दिन था.राजपुर मोड़ पर हजारों की संख्या में लोग हाथी-घोड़ा,बैंड-बाजा व रथ लेकर दुर्गा माता के आने का इंतजार कर रहे थे।उत्तरप्रदेश के पड़ोसी जिले से चलकर आई माता का जोरदार ढंग से स्वागत करते हुए रथ पर बिठाकर जय माता दी कि भक्तिमय नारो के साथ नरहन ले जाया गया।नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्माचारिणी के नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। अर्थात तप का आचरण करने वाली शक्ति को हम बार-बार नमन करते हैं।
ग्रामीण बताते हैं की पिछले छह महीनों से गांव की ही एक कन्या पड़ोसी प्रदेश के एक जिले में सिद्धि हासिल कर रही थी. सिद्धि हासिल कर लौटने पर पैर रखने वाले जमीन पर ही माता का मंदिर बनेगा ऐसी चर्चा थी.शुक्रवार को माता आई और पैर रखने वाले जमीन पर भव्य मन्दिर बनाने हेतु ग्रामीणों ने तुरंत दो बीघा के करीब जमीन दान भी दे दिया।जिसकी साफ सफाई चल रही हैं.मन्दिर बनाने के लिए रुपया पैसा कहा से आएगा इस बात पर माता कहती हैं कि इसकी चिंता आप सब नही करे।
सांप कटी, भुत-प्रेत,असाध्य बीमारियों से ग्रसित व धर्म संकट में फंसे लोगों का मेला लग रहा है.ग्रामीण तो बताते हैं कि सांप कटी से मर जाने के बाद भी माता के स्थान पर आने से ठीक/जीवित हो जा रहे हैं।बशर्ते उनका कही पर इलाज व झाड़ फूक नही हुआ हो.भुत-प्रेत ( जिसे विज्ञान अंधविश्वास कहता है) कि शिकायत वाले मरीज स्थान पर आते ही खेलने लगते है।
बताते चले कि सरयू नदी के तट पर स्थित नरहन गांव निवासी ओमप्रकाश साहनी ( मल्लाह) की 16 वर्षीय पुत्री गुलाबी के रूप में माता रानी आई हैं.जिसे गांव सहित आस पास के गांवो के हजारों लोग रोज पूज रहे है।
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