राहुल गांधी जी सावरकर ने स्वंत्रता दिलाई और आप क्या रहे है- सुप्रीम कोर्ट
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा, उन्होंने हमें आजादी दिलाई और आप उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं।न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कांग्रेस नेता को सावरकर के खिलाफ आगे कोई अपमानजनक टिप्पणी न करने की चेतावनी दी और कहा कि महाराष्ट्र में उनकी ‘पूजा’ की जाती है। कोर्ट ने आगे कहा, इस तरह की टिप्पणी करना जारी रखते हैं तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
- हम स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ बयानों की इजाजत नहीं देंगे।
- इस बार सावरकर हैं अगली बार कोई कहेगा कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के नौकर थे।
- अगली बार ऐसी बयानबाजी की तो स्वत: संज्ञान लेंगे।
4 अप्रैल को हाई कोर्ट में हुई थी सुनवाई
मालूम हो कि इस मामले में चार अप्रैल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से झटका लगा था। हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ समन आदेश रद्द करने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अदालत में लंबित सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी को राहत देने से इनकार कर दिया था
क्या है पूरा मामला?
वकील नृपेंद्र पांडे ने इसको लेकर निकली अदालत के शिकायत दर्ज कराई थी। निचली अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ पहली नजर में आईपीसी 153(A) और 505 के तहत केस मानते हुए राहुल गांधी को समन जारी किया था।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने राहुल गांधी से कहा, आप स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते, साथ ही चेतावनी दी कि अगर उन्होंने भविष्य में इस तरह के बयान दोहराए तो उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की जाएगी.
न्यायमूर्ति दत्ता ने गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी को बताया कि महात्मा गांधी ने भी तत्कालीन वायसराय को लिखे अपने पत्र में आपका वफादार सेवक शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या इसके लिए उन्हें भी अंग्रेजों का सेवक कहा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को चेताया
न्यायमूर्ति दत्ता ने पूछा, ” क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए सज्जन (सावरकर) की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था. जब आप इतिहास जानते हैं तो आप स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते. आप इस तरह का बयान क्यों देते हैं?”
न्यायाधीश ने वरिष्ठ वकील से सवाल किया कि उन्हें स्वतंत्रता संग्रामियों के बारे में इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए.
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “वह एक राजनीतिक दल के राजनीतिक नेता हैं? आप महाराष्ट्र जाकर बयान देते हैं? वहां के लोग उनकी पूजा करते हैं.. ऐसा नहीं करें.” न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने उन दिनों कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी मुख्य न्यायाधीश को “आपका सेवक” कहते हुए देखा था.
हालांकि, न्यायमूर्ति दत्ता ने चेतावनी दी कि वह स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में आगे कोई भी बयान नहीं देंगे. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “हम आपको स्थगन देंगे, लेकिन हम आपको रोकेंगे. स्पष्ट कर दें, आगे कोई भी बयान नहीं दिया जाएगा और हम स्वतः संज्ञान लेंगे और मंजूरी का कोई सवाल ही नहीं है. हम आपको स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं देंगे. उन्होंने हमें स्वतंत्रता दी है.”
लखनऊ की अदालत ने अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे की शिकायत के बाद राहुल गांधी को तलब किया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि 2022 में महाराष्ट्र में रहते हुए गांधी ने सावरकर को “अंग्रेजों का सेवक” कहा था, जिन्हें “उनसे पेंशन मिलती थी.” हालांकि उन्होंने इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन 4 अप्रैल, 2024 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
स्वतंत्रता सेनानियों का मजाक उड़ाना सही नहीं
- न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने कहा कि हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
- पीठ ने गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से पूछा कि क्या उन्हें पता है कि महात्मा गांधी ने भी अंग्रेजों को लिखे अपने संदेश में “आपका वफादार सेवक” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।
तो क्या गांधी जी को अंग्रेजों का सेवक कहेंगे?
- जब सिंघवी ने तर्क दिया कि गांधी के खिलाफ शत्रुता और सार्वजनिक उत्पात को बढ़ावा देने के आरोप नहीं बनते, तो पीठ ने टिप्पणी की, “आप बहुत आज्ञाकारी हैं…क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गांधी ने भी वायसराय को संबोधित करते समय ‘आपका वफादार सेवक’ का इस्तेमाल किया था?
- क्या महात्मा गांधी को केवल इसलिए ‘अंग्रेजों का सेवक’ कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने खुद को वायसराय को ‘आपका सेवक’ कहकर संबोधित किया था।
SC ने इंदिरा गांधी के पत्र को दिलाया याद
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए इसी सज्जन (सावरकर) की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था? न्यायाधीश ने आगे कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना बयान न दें। पीठ ने आगे कहा कि कानून पर जो आपने कहा वो सही कहा, आप इस पर रोक लगाने के हकदार हैं। हम इस पर कुछ नहीं कह रहे हैं।
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