Breaking

आर-पार हुई रेल सुरंग, ‘भारत माता की जय’ के नारों संग मनाई खुशी

आर-पार हुई रेल सुरंग, ‘भारत माता की जय’ के नारों संग मनाई खुशी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

Rishikesh-Karnprayag Rail Project: 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की नरकोटा से जवाड़ी के बीच बन रही 3.2 किमी लंबी निकास सुरंग की खोदाई का कार्य पूरा हो गया है।

यह सुरंग आर-पार हो गई। इस सुरंग की खोदाई में 14 माह का समय लगा। इससे पूर्व, नौ अक्टूबर 2022 को नरकोटा से खांकरा के बीच परियोजना की पहली मुख्य सुरंग आर-पार हुई थी। यह सुरंग दो किमी लंबी है।

रेल विकास निगम को एक और सफलता हासिल हुई

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर रेल विकास निगम को एक और सफलता हासिल हुई है। निर्माण कार्य में जुटी मेगा कंपनी ने शनिवार को नरकोटा से जवाड़ी के बीच निर्माणाधीन निकास सुरंग की खोदाई का कार्य पूरा किया। इस अवसर पर कंपनी के अधिकारी व श्रमिकों ने ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष कर खुशी का इजहार किया।

मेगा कंपनी ने इस निकास सुरंग के फेज वन पर 24 नवंबर 2021 से कार्य शुरू किया गया था, जो चार फरवरी को पूरा हुआ। कंपनी के महाप्रबंधक एचएन सिंह ने बताया कि रेल विकास निगम के दिशा-निर्देश पर तय अवधि में परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

परियोजना पर एक नजर

यह परियोजना भारतीय रेलवे की सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना है। 16216 करोड़ की लागत से तैयार हो रही 125 किमी लंबी इस परियोजना के तहत 105 किमी रेल लाइन सुरंगों से होकर गुजरेगी।

परियोजना पर कुल 17 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें सबसे लंबी सुंरग 14.08 किमी (देवप्रयाग से जनासू के बीच) और सबसे छोटी सुरंग 200 मीटर (सेवई से कर्णप्रयाग के बीच) लंबी होगी। परियोजना के तहत वीरभद्र, योगनगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर (चौरास), धारी देवी, रुद्रप्रयाग (सुमेरपुर), घोलतीर, गौचर व कर्णप्रयाग (सेवई) में 13 स्टेशन बनने हैं।

रेल विकास निगम लिमिटेड (रेविनिलि) की स्थापना की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा 19.12.2002 को प्रदान कर दी गई थी और यह कंपनी अधिनियम, 1956 के अधीन कंपनी के रूप में 24 जनवरी 2003 को पंजीकृत हो गई थी। यह 100% केंद्रीय सरकार के स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। मंत्रिमंडल की स्वीकृति के अनुसार, रेविनिलि का सृजन निम्नलिखित प्रयोजनों और अधिदेश के लिए किया गया है-

1. रेविनिलि एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जिसकी इक्विटी अन्य पीएसयू, बैंक, वित्तीय संस्थानों अथवा सामरिक भागीदारों को दी जा सकती है।

2. रेविनिलि की भूमिका एक डेवलेपर की है, जो गैर-बजटीय वित्तपोषण, वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था और परियोजना क्रियान्वयन के लिए परियोजना का विकास करती है। परियोजना को विशेष वित्तीय व्यवस्था के अधीन गाड़ियों के परिचालन और अनुरक्षण के लिए रेलों को प्रदान किया जाता है।

3. कानूनी स्थिति के संदर्भ में रेविनिलि रेल अधिनियम, 1989 के अधीन एक रेलवे प्रशासन है।

4. रेविनिलि एक छत्र एसपीवी है, जो परियोजना का विकास और संसाधनों की व्यवस्था करती है और किसी विशिष्ट परियोजना के लिए उपयुक्त होने पर परियोजनाओं को सीधे अथवा परियोजना विशिष्ट एसपीवी का सृजन करके अथवा कोई अन्य वित्तीय संरचना को तैयार करके पूरा कर सकती है।

5. रेविनिलि राष्ट्रीय रेल विकास योजना के अधीन आने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज और अन्य बैंक ग्राह्य परियोजनाओं के क्षमता विस्तार संबंधी कार्य करेगी। इस कार्यक्रम में स्वर्णिम चतुर्भुज और इसकी भुजाएं, अंतिम मील पत्तन संपर्क और पश्य क्षेत्र गलियारों की क्षमता विस्तार संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं।

6. रेविनिलि तीन अधिकारियों की तैनाती के साथ अगस्त, 2003 में शुरू हुई थी। निदेशक मंडल के पदों की स्वीकृति की प्रक्रिया साथ-साथ चलती रही और मार्च, 2005 में निदेशक मंडल द्वारा अपना कार्य संभालने के पश्चात् रेविनिलि पूरी तरह से चालू हो गई थी.

रेविनिलि को निम्नलिखित कार्य सौपे गए हैं :-

Leave a Reply

error: Content is protected !!