रेलवे ने पान-गुटखा का दाग मिटाने में 12,000 करोड़ खर्च किये

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया हुआ है. समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही कभी समुद्र के तट पर तो कभी दिल्ली के लुटियंस जोन में सफाई करते दिखाई देते हैं. इसके अलावा, दूसरे सेलिब्रिटीज भी इस अभियान को बढ़ावा देने में जुटे हैं. बावजूद इसके सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वाले लोग अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि देश के सबसे बड़े उद्योग का दर्जा हासिल करने वाले भारतीय रेलवे को अपने स्टेशनों और ट्रेनों में पान मसाला और गुटखों के दाग को साफ करने में ही 1200 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा. अब जबकि लोग अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं, तो रेलवे को नया प्लान बनाना पड़ा.

कोरोना काल में ही रेलवे ने बनाया था प्लान

पंजाब केसरी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान ही रेलवे ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थल पर लोगों को थूकने से रोकने के लिए नया प्लान लाने का ऐलान किया था. इस प्लान के तहत उसने देश के चुनिंदा रेलवे स्टेशनों पर स्पिटर कियोस्क लगाने की घोषणा की थी. उस समय उसने देश के करीब 42 स्टेशनों पर स्पिटर कियोस्क लगाने की बात कही थी.

रेलवे स्टेशनों पर थूकनवीर को लेना होगा स्टिपून पाउच

रेलवे की योजना के अनुसार, जो लोग रेलवे स्टेशनों पर पान, पान मसाला और गुटखा के पीक को थूकते हैं, उन्हें इस स्पिटर कियोस्क के जरिए स्टिपून पाउच उपलब्ध कराया जाएगा. सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों को इस स्टिपून पाउच के लिए 5 से 10 रुपये देने होंगे. इस योजना को लाने के पीछे रेलवे का मकसद रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को साफ-सुथरा रखना है.

स्वच्छ भारत अभियान के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद कुछ लोगों में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने की आदत में बदलाव लाना कठिन साबित हो रहा है। लोग शायद यह नहीं समझते कि इससे कितना नुकसान होता है। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय रेलवे (Indian Railways) हर साल ‘पान-गुटखा’ के दाग साफ करने के लिए करीब 12,000 करोड़ रुपए खर्च करता है। अब रेलवे इससे निपटने के लिए नया प्लान लेकर आई है, जिससे खर्च में कमी आएगी।

हालांकि, रेलवे इस समस्या से निपटने के लिए एक नया समाधान लेकर आया है। योजना के तहत स्टेशन परिसर में स्पिटर कियोस्क (spitter kiosks) लगाए जाएंगे, जिन्हें आम जनता उपयोग कर सकेगी।

रेलवे देश भर के 42 स्टेशनों में ऐसे कियोस्क लगाने जा रहा है। इन कियोस्क में थूकने के लिए स्पिटून पाउच (spittoon pouches) उपलब्ध होंगे, जिनकी कीमत 5 से 10 रुपए के बीच होगी। रेलवे को उम्मीद है कि लोग इन स्पिटून का उपयोग करेंगे, जिससे दाग साफ करने के खर्च में कमी आएगी।

COVID-19 दिशानिर्देशों के बावजूद, जो व्यक्तिगत स्वच्छता और आसपास की सफाई बनाए रखने पर जोर देते हैं, कुछ लोगों की आदतें नहीं बदली हैं और यह समस्या अभी भी बरकरार है।

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