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राकेश मामा आप (चांद) थे जिसकी उपस्थिति में हमलोगो के लिए रोज पूर्णिमा था-रितेश - श्रीनारद मीडिया

राकेश मामा आप (चांद) थे जिसकी उपस्थिति में हमलोगो के लिए रोज पूर्णिमा था-रितेश

राकेश मामा आप (चांद) थे जिसकी उपस्थिति में हमलोगो के लिए रोज पूर्णिमा था-रितेश

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राकेश मामा के प्रति श्रद्धांजलि……

‌ आप थे तो कभी चिंता नहीं थी कि मुझे क्या करना क्या नहीं करना ? बस केवल आदेश का इंतजार रहता था । किस समय क्या करना है इसकी चिंता आपको हमेशा लगी रहती थी। मैं कहीं रहूं लेकिन आप फोन करके दिन में जरूर एक बार पूछ लेते थे कि
कहां बाड़ ?
अब कौन पूछेगा ?
‌आपकी डांट कभी कभी अच्छी नही लगती थी लेकिन बाद में सोचकर मन को इत्मीनान होता था कि कोई तो है जो हमारे बारे में सोचता है और गलती होने पर डाटता है। आपका यू ही चले जाना मुझे बहुत झकझोर कर रख दिया है । अब ये लग रहा है कि कौन मुझे डाटेगा, कौन समझाएगा।
आप हमेशा दूसरों की चिंता में लगे रहते थे कि कैसे उसका कल्याण हो?आज आपके पैत्रिक घर नौवापाली में आपके मार्गदर्शन में नौकरी प्राप्त किए सैकड़ों विद्यार्थी सुबह सुबह पहुंचे तो उनकी आंखों से बिन कहे अश्रु निकल रहे थे तो लगा कि आपने जो धन कमाया है वो धन शायद ही किसी धनवान के पास होगा।

आपके बेटे सत्यम कुमार और बेटी स्वरा दीप इस वर्ष NEET की परीक्षा पास कर सरकारी कॉलेज में दाखिला लेने के बाद आप कितने खुश रहने लगे थे कि मेरा बेटा और बेटी दोनों एक साथ डॉक्टर बन कर तैयार हो जायेंगे लेकिन ईश्वर को शायद यह खुशी रास नहीं आई और उन्होंने आपको अपने पास बुला लिया। अभी अभी तो आपके दरवाजे पर खुशी दस्तक दी थी । आपका बेटा सत्यम आपका पूरा भक्त है आपके जाने के बाद बहुत मायूस है वो कह रहा था कि मैं सोचा था कि डॉक्टर बनकर पापा का स्वयं इलाज करूंगा इसलिए मैं इस प्रोफेशन को चूना लेकिन आपने मौका ही कहां दिया? आप तो केवल रास्ता दिखाकर जन सेवा हेतु छोड़ कर चले गए।

वह मुझसे पूछ रहा था कि भईया अब मुझे कौन पढ़ाएगा, मम्मी कैसे रहेगी, अच्छे लोगो को भगवान जल्दी क्यों बुला लेते है, पापा ने सबका भला ही किया है पर उनके साथ ऐसा क्यों ? लेकिन इन प्रश्नों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था ….. …….आपके मित्र लोग कह रहे थे की हमारे लिए वही एक जगह turning point शास्त्रीनगर था जहां हमलोग हर शाम बैठकर गप शप कर समय बिताते थे अब हमलोग कहां जायेंगे कहां बैठेंगे? …आप कल ही तो हॉस्पिटल में अपने भतीजे शिवम के बारे में पूछ रहे थे कि शिवम आर के मिशन देवघर से सिवान आ गया कि नहीं ? हर व्यक्ति का ध्यान रखना यही खासियत तो आज बिन कहे अश्रु धारा के रूप में प्रत्येक आंखों से बाहर निकल रही है। आप दूसरों को प्रेरित करने लगे थे कि उनका भी बच्चा भी इस तरह की उपलब्धि हासिल करे। आप हमेशा यह प्रयास करने में लगे रहे कि एक उम्दा टीम तैयार हो।

आपके जैसा दूरदर्शी आदमी कहां मिलेगा? लेकिन आप अपने बारे में दूरदर्शिता क्यों नहीं दिखा पाए? आज हम सभी परिवार के सदस्यों को महसूस हो रहा है कि परिवार की धुरी हीं टूट गई है अब कैसे चलेगा परिवार? आपकी कमी हमेशा टिस्टी रहेगी। आप वो राकेश (चांद) थे जिसकी उपस्थिति में हमलोगो के
लिए रोज पूर्णिमा था।

आपका,रितेश उर्फ़ रिंकू.

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