राकेश सर आप हमेशा चंद्रमा की भांति सदैव हम सभी को आलोकित करते रहेंगे-स्वराज कुमार
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सर जी को सादर श्रद्धांजलि.
मै नि:शब्द हूं। सोचा स्वप्न है। काश यह नींद होती। बालकनी से बाहर झांक कर देखा तो सबकुछ सामान्य था। यकीन हुआ आप नहीं हैं। धुंधली आंखों में भर आई भावनाओं को कई बार रोकने की कोशिश की। असफल रहा।
स्मृतिपटल पर बेरोजगारी के दिनों के संघर्ष में आपके साथ बिताए गए वक्त ताजा हो गए। 1990 से 94 के दौरान मेरे घर पर हमलोगों की एक साथ तैयारी। घड़ी देखकर English का सेट लेकर बैठते। एक दूसरे का answer check करते और गलतियों पर discussion होता और फिर आप कहते : अब तनी सूते द। मैं किताब पलटते आपके जागने की प्रतीक्षा करता और फिर हम एक साथ दाल भात तरकारी खाते। आपके साथ बिताए गए वो वक्त मेरे जीवन के सबसे सुनहरे संस्मरणों में एक हैं।
आपके अंदर योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन की बेहतरीन क्षमता थी। बच्चों के career planning और implementation का परिणाम हम सब के सामने है।
मैं अब तक साहस नहीं जुटा पाया हूं कि रिंकू, अंजू बुआ, कुसुम फुआ या चिन्ता फूफा को एक कॉल कर पाऊं। क्या बात करूंगा?
मुझे नहीं पता कि इस दुनियां से जाने के बाद भी कोई दूसरी दुनियां है या नहीं। यदि है तो आप उस दुनियां में भी अपनी कीर्ति के लिए याद किए जाएंगे। मैं नहीं जानता कि पुनर्जन्म सत्य है या नहीं। यदि सत्य है तो ईश्वर आपको बचे हुए नेक कार्यों के संपादन के लिए पुनः इस धरती पर अवतरित करे।
उम्मीद है कि सिवान में आपकी संस्था से जुड़े हुए लोग शिक्षा के क्षेत्र में आपके कार्य को आगे बढ़ाएंगे।
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