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फिजा में राम थे और आस्था निहाल.

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 सीवान शहर में निकली शोभायात्रा में सब हो गए थे राममय

न थी तीव्र धूप की परवाह, न थी फिक्र सूखते कंठों की, बस धुन सुनाई दे रही थी राम भक्ति की

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रामजी की निकली सवारी रामजी की लीला है न्यारी

रामनवमी के शुभ अवसर पर सीवान में निकली भव्य शोभायात्रा

जय श्री राम के गगनभेदी नारों की गूंज, आस्था की अनवरत अभिव्यक्ति देती श्रद्धालुओं की तान, श्रद्धा में आकंठ डूबे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं, श्रद्धालुओं की सेवा में हाजिर हजारों समाजसेवी, भगवा झंडे, झांकियों की मन को श्रद्धा से लबरेज करतीं भंगिमाएं, उत्साह, उमंग और उल्लास की धार्मिक बानगी। सीवान सीवान कहां रह गया था? वह तो रामनवमी के शुभ अवसर पर रविवार को निकली शोभायात्रा के दौरान कुछ पल के लिए अयोध्या सा दिख रहा था। राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी के भक्ति संगीत गूंज ही नहीं रहे थे बल्कि हर श्रद्धालु राम मय हो गया था। दृश्य अद्भुत था और माहौल आनंदमयी।

लाखों लोगों की भीड़, करोड़ों लोगों का उत्साह

लाखों की संख्या में जनता हुई शामिल,गांव गांव से उमड़ पड़ा जनसमुदाय.

सीवान के सड़क पर वाहन नहीं थे बस था तो रामभक्तों का अपार जत्था। संख्या लाखों की थी पर उत्साह करोड़ों सा दिख रहा था। हर कोई रामधुन में लीन था। आसमान में सूर्य भी प्रखरता से अपनी किरणों को भेजकर मर्यादा पुरुषोत्तम की प्रतिमा का दीदार करना चाह रहे थे। सूर्य की उद्विग्नता की तपिश से श्रद्धालु भी बेपरवाह नजर आ रहे थे। कंठ सूख रहे थे पर आस्था उमंग की लहर में भींगती जा रही थी। जोश और जुनून का आलम यह था कि आस्था की थिरकन भी अपार ऊर्जा से संपोषित होती दिख रही थी। कहां थी थकान, कहां थी कोई परवाह सब बस राममय हो चुके थे।

मन मोह रही थी सजी संवरी झांकियां

माताओं व बहनों ने शोभा यात्रा में लगाई चार चांद,गांव की जनसमूह से पटा शहर

शोभा यात्रा में निकल रही सजी संवरी झांकियों का कारवां मन को मोहता जा रहा था। हर आंख, हर मोबाइल कैमरा उन अदभुत दृश्यों को कैद कर लेना चाह रहा था। झांकियां रामभक्ति की बहती अविरल धारा को और तीव्र कर दे रही थी। बच्चे और महिलाओं के लिए उन झांकियों का एक दीदार ही काफी था। आस्था के जोश और जुनून को ये झांकियां और झंकृत कर जा रही थी।

ग्रामीण अंचल से आता जा रहा था आस्था का कारवां

आसमान में ड्रोन लगाते रहै चक्कर,पुलिस तंत्र ने किया सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

तीन किलोमीटर की शोभा यात्रा में था तो बस रामभक्ति का आनंद। सिवान शहर के लोग तो शोभा यात्रा में शामिल हुए ही। ग्रामीण अंचलों से भी जत्थे दर जत्थे रामभक्ति के गीत गुनगुनाते हुए आते जा रहे थे। क्या बच्चे क्या महिलाएं, क्या बुजुर्ग सभी आस्था के श्रृंगार में सजे धजे बस चले ही जा रहे थे। जहां कुछ संगीत का सहारा मिल जाता युवा रामभक्ति की धुन पर थिरक ही जा रहे थे। ग्रामीण अंचल के बच्चों और महिलाओं का उत्साह शोभायात्रा के उल्लास को बढ़ाता जा रहा था।

पिछले दो सालों का छुपा उत्साह भी ताजगी की सुनामी ला रहा था

नगर वासियों में दिखी उमंग-उत्साह की कमी,दो वर्ष बाद भी नहीं दिखा उत्साह

कोरोना महामारी के दहशत के कारण दो साल शोभा यात्रा नहीं निकली थी। लोग शोभायात्रा के पुराने गौरव को याद कर विचलित हो गए थे। लेकिन इस साल जब शोभायात्रा निकली तब पिछले दो सालों का छुपा उत्साह भी एक नई ताजगी का अहसास करा रहा था। कुछ युवा तो ऐसे लग रहा था कि पिछले दो सालों के रामभक्ति के आनंद की पूरी वसूली कर लेना चाह रहे थे। इसलिए शोभायात्रा का हर पल रामभक्ति के आनंद में झूमता नजर आ रहा था।

शीतल पेय, खीर, फल से हो रही थी रामभक्तों की सेवा

शीतल पेय,जल,फल,खीर,हलवा और चॉकलेट से भक्त हुए तरो-ताजा,

दो वर्ष के बाद हुए शोभा यात्रा में दिखा अलग तरह का उमंग,

रामभक्तों की सेवा के सुअवसर में समाजसेवी भी खूब तल्लीन दिखाई दिए। धूप की तपिश में रामभक्तों के कंठ सूख रहे थे तो समाजसेवी शीतल पेय, फल, खीर, हलवा, चॉकलेट के माध्यम से रामभक्ति की ऊर्जा में कोई कमी ना आ पावे इसके लिए जगह जगह मुस्तैद दिखे। भला राम जी की सवारी निकली तो कैसे कोई सेवा में पीछे रहे।

जमीन पर पुलिस आकाश में ड्रोन,लक्ष्मण रेखा के निकट बरती गई थी विशेष एहतियात
तीन किलोमीटर की शोभा यात्रा में लाखों जनता हुई शामिल

प्रशासन भी शोभायात्रा के दौरान सतर्क था। जमीन पर पुलिस और आसमान पर ड्रोन लगातार चक्कर लगाते जा रहे थे। प्रशासन के आलाधिकारी भी हर दृश्य पर सचेत नजर रख रहे थे। ताकि सौहार्द को कोई तकलीफ नहीं पहुंचे। पुलिस के जवान भी चप्पे चप्पे पर मुस्तैद थे ताकि असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगाह रखी जा सके। शोभायात्रा के कारवां का शांतिपूर्ण निकल जाना प्रशासन के लिए एक शानदार प्रसाद तो रहा ही आस्था के लिए भी बेहद सुकून का सबब भी बना।

आश्चर्य सेक्यूलर सियासी चेहरे नहीं दिखाई दिए,क्या राम केवल एक धर्म विशेष के मर्यादा पुरुषोत्तम है?

शहर की महिलाएं और बच्चे नहीं निकले घर से,

पर आश्चर्य घोर आश्चर्य सेक्यूलर सियासी शख्शियते नहीं दिखीं। नहीं दिखीं सांसद, नहीं दिखे विधायक, नहीं दिखे हालिया एमएलसी चुनाव के सियासी रणबांकुरे। क्या कारण हो सकता हैं ये तो सियासी जन ही जानें। राम तो किसी धर्म विशेष के मर्यादा पुरुषोत्तम तो नहीं हो सकते। राम तो हमारे सनातन संस्कृति के पहचान रहे हैं।

नहीं दिखे सांसद-विधायक,एमएलसी के जीते हारे प्रत्याशी,सेकुलर समर्थित लोगों ने शोभा यात्रा से बनाई दूरी

बहरहाल छोड़िए सियासत की बात। शोभायात्रा में तो रामभक्ति की धुन पर थिरकती आस्था का नजारा दिव्य अनुभूति करा रहा था। सब कोई बस राममय था। फिजा में राम थे और आस्था निहाल।

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