Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
पत्रकारिता जगत में राम का दर्शन होता रहेगा,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

पत्रकारिता जगत में राम का दर्शन होता रहेगा,कैसे?

पत्रकारिता जगत में राम का दर्शन होता रहेगा,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ लोग इस धारा पर आते हैं …अपना काम करते हैं और बस चुपके से निकल जाते हैं.. छोड़ जाते हैं अपनी यादें और अपने कर्म, जिसे वे अपना धर्म मानकर करते रहे हैं। उनके नहीं रहने पर यही कर्म याद किए जाते हैं। कुछ ऐसे ही शख्सियत थे हमारे मित्र ,साथी, हमारे ग्रामीण ,पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता राम दर्शन पंडित। आज वे हमारे बीच नहीं है पर उनकी यादें हमारे मानस पटल पर छपी हुई है ।मैं उन्हें कभी भूल नहीं सकता क्योंकि बचपन से ही मुझे उनसे नाता था।

सिवान जिले के भगवानपुर प्रखंड के सोन्धानी गांव में जन्में राम दर्शन पंडित बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे ।उनका पूरा जीवन संघर्षों के बीच बीता। कभी अपने लिए, कभी गांव के लिए तो कभी समाज के लिए राम दर्शन पंडित सदा लगे रहे। हर सुख दुख में सबके साथ खड़े रहने वाले राम दर्शन पंडित का बचपन अभावों के बीच बीता ।जिस समय राम दर्शन पंडित का जन्म एक कुम्हार परिवार में हुआ था ,उस वक्त उनके माता-पिता यही सोचते थे, पुश्तैनी धंधा अपना ले ,अच्छा मिट्टी का बर्तन बनाने वाला बन जाए या आगे चलकर बड़ा मूर्तिकार बन जाए जिससे जीविका आसानी से चल सके …..पर राम दर्शन पंडित का मन कहीं और अटका था ।

वे हर हाल में अपनी स्थिति और परिस्थिति दोनों बदलना चाहते थे, इसलिए जैसे भी स्थिति रही वे पढ़ना शुरू किये ।गांव के स्कूल से लेकर गोरखपुर तक की शिक्षा में उन्हें कई बाधाएं आई पर वे घबराएं नहीं,उन बधाओ को दूर किया और पीजी तक की पढ़ाई पूरी की। वक्त का पहिया घूमता रहा और सोन्धानी गांव की गलियों से निकाल कर जो लड़का गोरखपुर तक पढ़ाई करने पहुंचा था वो अब बचपन की दहलीज पार कर युवा राम दर्शन बन चुका था। जिनके मन में समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी। जिस उम्र में लोग नौकरी करने गांव छोड़कर शहर जाते हैं, उस समय राम दर्शन शहर छोड़ कर गांव आ गए और यही से शुरू हुआ सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी।

उस समय सिवान में एक संस्था बड़ी तेजी से सामाजिक कार्यों को अंजाम दे रही थी, उसका नाम था विकास भारती। विकास भारती के संस्थापक हमारे बड़े भाई अभिभावक और पत्रकार प्रो डॉ अशोक प्रियंबद्ध है। वे सोन्धानी में संस्था का एक इकाई स्थापित करना चाहते थे। मुझे याद है अशोक भैया गांव आए थे विकास भारती की पहली मीटिंग हुई थी और राम दर्शन जी इसके संयोजक बनाए गए थे। राम दर्शन जी ने विकास भारती को एक मिशन के तौर पर लिया और सामाजिक कार्यों में जुट गए। यहीं से हमारी और उनकी साझेदारी बनी।

दोनों का मन मिजाज एक था। उम्र में हमसे बड़े जरूर थे लेकिन वे सामंजस्य से बैठा लेते थे। सबसे पहले गांव में एक स्कूल खोला गया । तब गांव में सड़कों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। एक पुल बरसों से टूटा हुआ था ।हर बरसात में उसे पार कर लोग घर जाते थे। महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी ,जब उन्हें कमर से ज्यादा पानी में घुसकर पार करना होता था। हम लोगों ने निर्णय लिया उस पुल पर चचरी पुल बनाने का। राम दर्शन जी के नेतृत्व में पुल बनकर तैयार हो गया। लोगों को राहत मिली। गांव में विकास भारती के बैनर तले एक स्कूल भी खोला गया। राम दर्शन जी की भूमिका सराहनीय थी। वे हर उसे कार्य के लिए खड़े हो जाते थे जिस गांव और गांव वासियों को फायदा होने वाला था।

राम दर्शन जी अंदर से एक कलाकार भी थे। सांस्कृतिक गतिविधियों में उनका मन लगता था। यही कारण था कि वे नाटकों के प्रति भी आकर्षित हो गए। राम दर्शन जी रंगमंच के एक सफल कलाकार थे। उनका मन नाटकों में भी बहुत लगता था। मुझे भी बचपन से ही लिखते का शौक था। लिखना डायरेक्शन और एक्टिंग मेरे अंदर भी था और यही हम दोनों को एक दूसरे के और करीब लाया । हमारे गांव में बड़े स्तर पर दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा होता था। दुर्गा पूजा के दौरान 6 7 दिन तक नाटक होता था ।अगल-बगल के गांव की नाटक मंडलीया सोन्धानी बाजार पर आयोजित होने वाले आयोजन में भाग लेते थे.

हम लोगों ने भी विकास भारती के बैनर तले एक टीम बनाई। राम दर्शन जी हम सब में बड़े थे। एक अभिभावक की तरह टीम का नेतृत्व किया ।मैं नाटक लिखता था। डायरेक्ट करता था और एक्टिंग भी करता था। राम दर्शन जी एक मजे हुए कलाकार थे।उनके नेतृत्व में पूरी टीम विकास भारती के बैनर तले जो नाटक प्रदर्शित करती थी उसका इंतजार होता था। क्योंकि हमने जब से नाटक करना शुरू किया लगातार4 सालों तक हर बार विकास भारती की टीम ही सबसे आगे रहती थी। विकास भारती के बैनर चले जो स्कूल चल रहा था उस स्कूल के प्रांगण में हर सरस्वती पूजा में भी हम नाटक किया करते थे।

हमारा विषय वस्तु पूरी तरह से सामाजिक और लोकल समस्याओं पर आधारित होता था और लोगों को यही आकर्षित करता था। कुल मिलाकर राम दर्शन जी की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ एक नाटककार की भी थी। ये उन दिनों की बात है जब मैं इंटर कर गया था। गांव के किसी काम में शामिल होना और उसे अंजाम तक पहुंचाना राम दर्शन जी की दिनचर्या थी। चार-पांच वर्षों तक हम दोनों ने मिलकर नाटक और सामाजिक कार्यों को अंजाम दिया।जहां भी जाते साथ में जाते एक जोड़ी बन गई थी। समय का पहिया घूमता रहा और जब मेरी जिम्मेदारियां बढ़ी तो करियर की चिंता हुई..

फिर मैं महाराजगंज आ गया यही से पत्रकारिता की शुरुआत की और उधर राम दर्शन जी गांव में ही अपने मिशन में जुटे रहे। मैं आगे बढ़ते गया और छपरा में आज अखबार के कार्यालय में कार्यालय संवाददाता के रूप में मेरी नियुक्ति हो गई। पत्रकार बन जाने के बाद जीवन काफी व्यस्तता वाला हो गया,फिर भी राम दर्शन जी से मुलाकात हो ही जाती थी। वे सामाजिक कार्यों की वजह से अक्सर छपरा आ जाते थे। मैंने उन्हें अखबार से जुड़ने का सुझाव दिया पहले तो उन्होंने ना नुकुर किया। मैंने उन्हें बताया कि जिस काम में वे है, उसमें इससे सहायता ही मिलेगी नुकसान तो कुछ होने वाला है नहीं। इस माध्यम से आप कमजोर लोगों की आवाज भी उठा सकते हैं।

लोकल स्तर पर प्रशासनिक लापरवाहियों के खिलाफ आप एक आवाज बन सकते हैं । इसके बाद राम दर्शन जी ने मेरा प्रस्ताव स्वीकार किया और भगवानपुर हाट से संवाद सूत्र के रूप में आज अखबार से जुड़ गए। इसके बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में वे पीछे मुड़कर नहीं देखे। राम दर्शन जी के मेहनत और प्रयासों का ही नतीजा था कि उनकी पत्नी हमारे सोन्धानी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ी और जीत भी गई। मेरे अंदर भी सामाजिक कार्यों को अंजाम देने का जज्बा था इसलिए पत्रकार बनने के बाद भी वो काम नहीं हुआ ।

मैंने सोन्धानी में सोन्धानी महोत्सव करने की ठानी। राम दर्शन जी इसके सबसे बड़े पिलर बने। सोन्धानी महोत्सव के लिए वे रात दिन एक कर दिए। बड़ी मेहनत से इस कार्यक्रम को सफल बनाया गया। मुझे याद है तो 3 सालों तक हमने कोई ना कोई इस तरह का कार्यक्रम बड़े स्तर पर करते रहे ।जिसमें बड़े-बड़े राजनेता और पदाधिकारी शिरकत करते थे। फिर मैं पत्रकारिता छोड़ टेलीविजन एंटरटेनमेंट की दुनिया में चला गया। इसके लिए मुझे मुंबई जाना पड़ा। फिर धीरे-धीरे यह कार्यक्रम पीछे छूटते गये, पर राम दर्शन जी सोन्धानी में ही अपने कार्यों को अंजाम देते रहे। समाचार संकलन और पंचायत के कार्यों को संपादित करना उनकी दिनचर्या बन गई थी।

राम दर्शन पंडित एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। सिद्धांतों से हटकर कोई काम नहीं करते थे। यही कारण था की कुछ लोग उन्हें अहंकारी भी मान सकते हैं लेकिन वे नारियल की तरह थे। बाहर से कठोर और अंदर से मुलायम। यही कारण था कि वे हर किसी के सुख दुख में खड़े रहते थे। राम दर्शन जी अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं और साथ में छोड़ गए हैं मित्र साथियों की एक बड़ी टोली। अपनी यादें छोड़ गए हैं, इरादे छोड़ गए हैं जिस पर चलकर कई नौजवान अपनी भविष्य की नींव रख सकते हैं।

भगवानपुरहाट सहित सिवान जिले में सामाजिक कार्यों और पत्रकारिता में उनके योगदानों के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा। एक पत्रकार के रूप में उन्होंने उन्होंने अपनी पहचान बनाई है ।वे पत्रकारों के संगठन NUJ के सक्रिय सदस्य भी थे। सिवान जिला इकाई की मजबूती के लिए वे सदैव कार्य करते रहे। संगठन में उनके योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता।

आभार- राकेश जी

Leave a Reply

error: Content is protected !!